शनिवार, अप्रैल 22, 2017

हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष



हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष

शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।

विनम्रता, तत्परता, गुरु के प्रति समर्पण
मेरे महाप्रज्ञ प्रभु का जीवन जैसे दर्पण।।

प्रेक्षाप्रणेता ने दिया प्रेक्षा ध्यान अनमोल
साहित्य सृजन कर दिया खजाना खोल।।

शांति का तुमने सदा ही था पाठ पढ़ाया
मानव को तुमने सदा मानव ही बनाया।।

हिंसा पर लगाने अंकुश तुमने कदम बढ़ाया
अहिंसा यात्रा द्वारा शांति सन्देश फैलाया।।

हे दिव्य दिवाकर, हे शांत सुधा के सागर
तुम भी बने मेरे जीवन निर्माण के आधार।।

महाप्रयाण दिवस पर दिव्य प्रज्ञ को अर्पित
"पंकज" प्रभु महाप्रज्ञ के चरणों में समर्पित।।

हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।।

गुरुवार, फ़रवरी 23, 2017

अब घर बैठे सीखे प्रतिक्रमण

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🔺 न साधू साध्वी की अनुपस्थिति में प्रतिक्रमण नही सिख पाने का अफ़सोस करने की जरूरत
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प्रसारक – अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

मंगलवार, दिसंबर 27, 2016

सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहुंचे आध्यात्मिकता के महासंरक्षक आचार्यश्री महाश्रमण

 सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहुंचे आध्यात्मिकता के महासंरक्षक आचार्यश्री महाश्रमण

आचार्यश्री महाश्रमणजी

27 दिसंबर 2016, पानबाड़ी, (आसाम), आचार्यश्री लगभग चौदह किलोमीटर का विहार कर पानबाड़ी स्थित सीमा सुरक्षा बल के 71वें बटालियन के कैंप परिसर में पहुंचे। इस बटालियन के कमांडेंट श्री वीरेन्द्र दत्ता सहित अन्य श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री का स्वागत किया। आचार्यश्री कैंप स्थित ऑफिसर इन्स्टीट्यूट भवन परिसर में पधारे सीमा सुरक्षा बल के 71वें बटालियन कैंप के जवानों को आत्मा को जीतने का गुर सिखाने आत्मविजेताअखंड परिव्राजकअहिंसा यात्रा के प्रणेताजैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ पहुंचे। आचार्यश्री ने जवानों को जहां अपनी आत्मा को जीतने का ज्ञान प्रदान किया और साथ ही कमांडेंट सहित प्रवचन में उपस्थित जवानों को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प भी स्वीकार कराए। इस तरह मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने को तत्पर जवान आचार्यश्री से आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त कर अपनी आत्मा को सुरक्षित करने के लिए खुद को तैयार किया।
परिसर में ही बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं और सेना के जवानों को मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि एक योद्धा युद्ध में लाखों शत्रुओं को जीत लेता है, जिसे अजेय समझा जाता है उसे भी जीत लेता है तो कितनी बड़ी बात हो जाती है, किन्तु अध्यात्म जगत में आत्मा को जीतना युद्ध में जीतने से भी बड़ा विजय बताया गया है। जो आत्मा को जीत लेता है, वह अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। युद्ध के लिए तैयार रहना, प्रशिक्षण लेना और प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना मनोबल की दृष्टि से बहुत ऊंची बात है। सीमा सुरक्षा बल के जवान किस प्रकार प्रशिक्षित होते होंगे और किस प्रकार अपना कार्य करते होंगे। आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आज हम सीमा सुरक्षा बल के स्थान में आए हैं। यदि एक प्रकार से देखा जाए तो साधु-साध्वियां भी योद्धा हैं, जो आत्मा की सुरक्षा के लिए समर्पित रहते हैं।
आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा, जैन साधुचर्या के बारे में बताने के उपरान्त अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य-सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के बारे में बताया और जवानों से भी इसके तीन संकल्प-सद्भावपूर्ण व्यवहार करने, यथासंभव ईमानदारी का पालन करने और नशामुक्त जीवन जीने को स्वीकार करने का आह्वान किया। आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित जवानों सहित स्वयं कमांडेंट श्री वीरेन्द्र दत्ता ने तीनों संकल्पों को स्वीकार किया। नशामुक्ति के संकल्प के दौरान आचार्यश्री ने जब कमांडेंट जवानों से कहा कि यदि मद्यपान छोड़ना आप सभी के लिए संभव हो तो स्वीकार करें अथवा नहीं। तब कमांडेंट महोदय ने आचार्यश्री से कहा कि शायद आपका पदार्पण ही इसीलिए हुआ है। आचार्यश्री ने पुनः प्रश्न करते हुए कहा कि आपका विश्वास पक्का है ना ? पुनः एकबार कमांडेंट श्री वीरेन्द्र दत्ता ने कहा कि बिलकुल मेरा विश्वास पक्का आप संकल्प करवाइए। इस दृढ़ निश्चय को देखते हुए आचार्यश्री ने कमांडेंट सहित जवानों को मद्यपान करने का संकल्प कराया।
इसके पूर्व कमांडेंट श्री वीरेन्द्र दत्ता ने आचार्यश्री का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि इस कैंप का परम सौभाग्य है जो आज आप जैसे महापुरुष का आगमन हुआ। मैं पूरी बटालियन की ओर से आपका स्वागत करता हूं। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंघ का भी विस्तृत परिचय दिया। तेरापंथ धर्मसंघ की जानकारी कमांडेंट के मुंह से सुन एकबार तेरापंथी श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित थे। श्री नरेन्द्र सेठिया ने भी अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी तो सुश्री सोनल पीपाड़ा ने गीत का संगान किया। अहिंसा यात्रा की ओर से कैंप में स्थित पुस्तकालय के लिए कमांडेंट महोदय को तेरापंथ धर्मसंघ के दसवें अधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की महान कृति तुलसी वाङ्मय की 108 पुस्तकें प्रदान की गईं।

शनिवार, नवंबर 26, 2016

YOU CAN WIN : Design a LOGO Competition

www.jainterapanthnews.in

YOU CAN WIN
आप भी बन सकते है सहभागी

Design a LOGO Competition

आप के द्वारा डिज़ाइन किया हुआ लोगो हो सकता है आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष कि पहचान।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के लिए LOGO बनाने कि प्रतियोगिता पूरे भारत में आयोजित कि जा रही है। प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी वैज्ञानिक, साधना पुरुष, नई नई सोच के साथ नई नई खोज करने वाले व्यक्तित्व थे। इसलिए हमें कुछ नई सोच के साथ नव इतिहास का निर्माण करना है।

आप अपने स्वयं के द्वारा बनाये गए LOGO (jpeg File) में janmshatabdilogo@gmail.com पर प्रेषित करे उन में से सबसे बेहतरीन LOGO का चयन होगा और चयनित LOGO को पुरस्कृत किया जाएगा।

विजेताओ को मिलेगा

Ist PRIZE NEW APPLE IPHONE
2nd PRIZE LENOVO LAPTOP
3rd PRIZE SAMSUNG TAB

Let your imagination flow, let your creativity show !! Lets design a wonder Logo for the great visionary HH. Acharya Mahapragya ji's Birth Centenary. Last date for sending the design is 12/12/2016

: निवेदक :
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद्
बी॰सी भलावत               विमल कटारिया
अध्यक्ष                          महामंत्री

: सम्पर्क सूत्र :
नितेश कोठारी : 9367750695
अभिषेक पोखरना : 9829074922

Poster design by :

शनिवार, फ़रवरी 13, 2016

मर्यादा महोत्सव द्वितीय दिवस

तेरापंथ के ग्यारहवें अधिशास्ता,पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में मर्यादा महोत्सव
द्वितीय दिवस के कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ।



वन्दे गुरुवरम और जय जय ज्योतिचरण से गुंजायमान हुआ पण्डाल



मर्यादा महोत्सव के साक्षी बनने उमड़े हजारों श्रद्धालु 
द्वितीय दिवस के कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय



"महाश्रमण दरबार में रहता सदा हर्ष और उल्लास
दर्शन को आतुर श्रावक समाज आता दूर दूर से खास" 



अद्भुत नजारा, अकल्पनीय दृश्य
बिहार के राज्यपाल महामहिम रामनाथ कोबिन्द हुए मर्यादा महोत्सव के कार्यक्रम में सरीक
राष्ट्रगान शुरू होने पर हजारो का जनसमूह ने अपने स्थान पर खड़ा हो कर किया संगान



तेरापंथ सरताज आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शन करते हुए
मर्यादा महोत्सव के ऐतिहासिक पल के साक्षी बनने पधारे
बिहार के राज्यपाल महामहिम श्री रामनाथ कोबिन्द 



152वें मर्यादा महोत्सव के द्वितीय दिवस पर पूज्य प्रवर का मंगल उदबोधन का
महावीर तुम्हारे चरणों में,श्रद्धा के कुसुम चढ़ाएं के साथ शुभारंभ


महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिन्द ने 152वें मर्यादा महोत्सव के अवसर दिया अपना वक्तव्य ।
मर्यादा व अनुशासन के बिना न परिवार चल सकता है, न समाज और न ही राष्ट्र ।
एक उज्ज्वल नक्षत्र की तरह आचार्य महाश्रमण जी ने मानवता को रोशन किया है - महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिन्द।



मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री राजकरण दफ्तरी ने दिया स्वागत भाषण
महामहिम राज्यपाल जी को पटका पहनाकर किया गया स्वागत

जैन विश्वभारती के अध्यक्ष श्री धरम चंद लुंकड ने पुस्तक देकर किया महामहिम राज्यपाल बिहार सरकार का स्वागत




पुनः अद्भुत नजारा, अद्वितीय पल
किशनगंज के मर्यादा समवसरण से लाइव राष्ट्रगान का हुआ पुनः संगान


पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का अभिवादन करते हुए बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिन्द



आचार्य श्री महाश्रमण जी के श्री चरणों में पहुँचे भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता, सह पूर्व सांसद किशनगंज सैयद शाहनावाज हुसैन



तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री कमल जी दुगड़ एवं उपाध्यक्ष श्री किशनजी डागलिया ने किया
महामहिम राज्यपाल श्री रामनाथ कोबिन्द का स्वागत ।



152 वें मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन श्री चरणों में पहुचे किशनगंज सांसद सैयद शाहनवाज हुसैन
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा दुनिया अगर अहिंसा मे विश्वास करे तो दुनिया स्वर्ग बन जाए ।




गुवाहाटी श्रावक समाज पहुँचा श्री चरणों में।


पूज्य प्रवर के मंगलपाठ के उदबोधन के साथ मर्यादा महोत्सव द्वितीय दिवस का कार्यक्रम हुआ सम्पन्न ।