26 November 2017
Acharya Shri Mahapragyaji's Last Pravachan
Vishesh - Ach. Mahapragya Ji Pravachan | Ep - 1671
22 April 2017
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।
विनम्रता, तत्परता, गुरु के प्रति समर्पण
मेरे महाप्रज्ञ प्रभु का जीवन जैसे दर्पण।।
प्रेक्षाप्रणेता ने दिया प्रेक्षा ध्यान अनमोल
साहित्य सृजन कर दिया खजाना खोल।।
शांति का तुमने सदा ही था पाठ पढ़ाया
मानव को तुमने सदा मानव ही बनाया।।
हिंसा पर लगाने अंकुश तुमने कदम बढ़ाया
अहिंसा यात्रा द्वारा शांति सन्देश फैलाया।।
हे दिव्य दिवाकर, हे शांत सुधा के सागर
तुम भी बने मेरे जीवन निर्माण के आधार।।
महाप्रयाण दिवस पर दिव्य प्रज्ञ को अर्पित
"पंकज" प्रभु महाप्रज्ञ के चरणों में समर्पित।।
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।।
Labels:
HH. Mahapragya,
Poem,
Terapanth
23 February 2017
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प्रसारक – अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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