मंगलवार, दिसंबर 20, 2022

भौतिकता पर रहे आध्यात्मिकता का अंकुश : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

 


20.12.2022, मंगलवार, कुड़ी, जोधपुर (राजस्थान), जनकल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में कांकाणी से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर कुड़ी स्थित जिनेट प्रा. लि. में पधारे तो जोधपुर के श्रद्धालुओं व जिनेट आफिस के कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने जिनेट के परिसर में श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान कर अल्पकालीन प्रवास पुनः भक्तों की भावनाओं को देखते हुए सान्ध्यकालीन विहार किया। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए लगभग छह किलोमीटर का सान्ध्यकालीन विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर नम्बर दो में स्थित श्री मर्यादा कोठारी के निवास स्थान में पधारे। जहां नगरवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ। श्रद्धालुओं की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एक दिन में कुल लगभग 22 किलोमीटर का विहार किया। 


जिनेट में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ ने एक ही जन्म में भौतिक जगत के सबसे सर्वोच्च पद चक्रवर्ती को भी प्राप्त किया और भौतिक जगत का परित्याग किया तो अध्यात्म जगत के सर्वोच्च पद तीर्थंकर पद को भी प्राप्त कर लिया। अध्यात्म के समक्ष भौतिकता की बात बौनी-सी बात होती है। गृहस्थ के पास संपदा का भण्डार हो सकता है, किन्तु संयम रत्न के समक्ष उसकी समस्त सम्पदाएं मानों तुक्ष-से होते हैं। धन तो इसी जीवन में उपयोेग में आ सकता है, किन्तु संयम रूपी रत्न आगे भी काम आ सकता है। 


गृहस्थों को भौतिक संपदाओं के विकास पर अध्यात्मिकता का अंकुश लगाए रखने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन को चलाने के लिए भौतिक विकास की आवश्यकता होती है, किन्तु संपदा के अर्जन में नैतिकता, प्रमाणिकता रहे, तो संपदा के अर्जन में अध्यात्म का अंकुश रह सकता है। अर्थाजन में अहिंसा, संयम और प्रमाणिकता रहे तो शुद्धता की बात हो सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित किया। 


आचार्यश्री के आगमन से हर्षित जिनेट के ऑनर श्री सुरेन्द्र पटावरी (बेल्जीयम) व श्री संदीप पटावरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। जिनेट ऑफिस की महिला टीम व राकेश सुराणा के नेतृत्व में पुरुष टीम ने स्वागत गीत का संगान किया। सुश्री खुशी चौपड़ा व श्रीमती मनोनिका चोरड़िया ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। ऑफिस के सदस्यों ने आचार्यश्री से कार्यालय समय के दौरान आधा घण्टा तक मोबाइल का यूज न करने का संकल्प स्वीकार किया। 


प्रलम्ब विहार, मंगल प्रवचन के बाद भी भक्तों की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अल्पसमय का विश्राम कर पुनः सान्ध्यकालीन विहार को गतिमान हुए। आचार्यश्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति से अनायास ही भव्य जुलूस-सा दृश्य उपस्थित हो गया। आचार्यश्री लगभग छह किलोमीटर का विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर दो में स्थित कोठारी परिवार के निवास स्थान में पधारे, जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ। 


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रविवार, दिसंबर 04, 2022

मातृभाषा के प्रति हम कितने जागरूक



हम आपाधापी की दौड़ में अपने को अपडेट बताने के चक्कर में क्या कही हिंदी भाषा को हीन तो नही समझ रहें? 

हमें जैसे दुनिया की नजर में अपडेट दिखना जरूरी होता है वैसे ही हिंदी के प्रति भी संवेदनशील होना अति आवश्यक है। यह जान ले व्यक्ति जैसे स्वयं को सुंदर दिखाने के लिए मेकअप करता है बाद में वह उस मेकअप को साफ भी करता है वैसे ही मातृभाषा के प्रति गंभीरता से चिंतक करें कि पाश्चात्य भाषा तो मात्र मेकअप है जबकि मातृभाषा हमारी धरोहर है, सम्मान है, अभिमान है हम इसको विस्मृत ना करें और अपनी भाषा से प्रेम करें। 
मेरे पास किसी व्हाट्सएप ग्रुप में हिंदी को समर्पित यह वीडियो आया जो आपके साथ भी साझा कर रहा हूँ। जिससे हमारी आंखें खुलें। परायों को अपनाते अपनाते कहीं हमारे अपने तो नहीं छूट रहे। 
मातृभाषा के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से नजर बट्टू टीम द्वारा निर्मित यह हृदयस्पर्शी वीडियो पूरा देखकर आत्मावलोकन जरूर करें आपको मालूम होगा हम वास्तव में कितने गलत हैं...।

#MOTHERTOUNG #pankajdudhoria

गुरुवार, नवंबर 17, 2022

विद्यालय वह मन्दिर जहाँ तराशी जाती है बच्चों की प्रतीभा - अर्हत कुमार जी



विद्यालय वह पावन मंदिर है यहां अनगढ़ पत्थर आते है जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ती के रुप मे निर्मित होते है। विद्यालय जहां बच्चे शिक्षित होते है और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते है। विद्यालय वह पावन धाम है जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। आपने आगे कहा- बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिन्दगी मे नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह मात-पिता का आर्शीवाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणो का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।

युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने सभी मे जोश भरते हुए कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान।

बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये।


आज सुबह मुनि श्री 17 KM का विहार कर कलम्बेला Government Higher Primary School मे पधारे। जहाँ के अनिल कुमार D ने मुनि श्री जी का स्वागत किया और उनके आगमन को अपना सौभाग्य माना। मुनि श्री के सेवा मे तेयुप बेंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया । मुनि श्री के सानिध्य मे कैसे हो भारत के भविष्य का निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया।


मुनिश्री अर्हत कुमारजी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनिश्री भरत कुमारजी ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये । हिन्दी से कन्नड़ मे अनुवाद रजत वैद ने किया। महिला मंडल कि ओर से लता गादिया और बिमला भंसाली उपस्थित रहे।कार्यक्रम मे 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।

मंगलवार, नवंबर 15, 2022

अहंकार और संस्कार में फर्क


अहंकार और संस्कार में फर्क है, अहंकार दूसरे को झुका कर खुश होता है, जबकि संस्कार खुद झुक कर खुश होता है। बोलना तो सब लोग जानते हैं, पर कब और क्या बोलना है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। खोलते हुए पानी मे जिस तरह प्रतिबिंब नहीं देखा जा सकता,,,, उसी तरह गुस्से में सच को नहीं देखा जा सकता...!! जिस तरह माचिस की तीली किसी दूसरे को जलाने से पहले खुद जलती है, उसी तरह गुस्सा भी पहले आपको बर्बाद करता है, फिर दुसरो को। गुस्से में भी शब्दों का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि कल जब गुस्सा उतरे तो खुद की नज़रों में शर्मिंदा ना होना पड़े।  अपने किरदार की हिफाजत जान से भी बढ़कर कीजिये, क्योकि इसे जिंदगी के बाद भी याद किया जाता है।

गुरुवार, नवंबर 10, 2022

संस्कारी बेटी तेरापंथ की कार्यक्रम का आयोजन : भुज

युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी के पावन सानिध्य में तेरापंथ महासभा का विशेष उपक्रम बेटी तेरापंथ की के अंतर्गत "संस्कारी बेटी तेरापंथ की" विशेष कार्यक्रम तेरापंथ भवन भुज में आयोजित हुआ। मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने इस अवसर पर फरमाया तेरापंथ धर्मसंघ में महिला जागृति तथा संस्कार संवर्धन के संदर्भ में आचार्य श्री भारमलजी स्वामी ,श्रीमद् जयाचार्य, पूज्य कालूगणि तथा आचार्यश्री तुलसी आदि आचार्यों ने तेरापंथ की बेटी संस्कारवान कैसे बने तथा जिस परिवार की बहू बने वहां भी धार्मिक वातावरण संस्कारी वातावरण बनाए रखें इसके लिए विशेष श्रम किया है ।बेटी संस्कारवान बनती है तो दो कुलों को रोशन करती हैं ।कच्छ भुज में तेरापंथ की बेटियों का सक्रिय संगठन एवं माहौल सन 2013 के आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान बना था। तेरापंथ की बेटियां आज भी गुरुवर के प्रति भक्तिवान बनकर उनके दिशानिर्देश को पालन करने के लिए सदा तत्पर बनी रहती हैं ।मुनिश्री ने आव्हान किया की आगे संभावित आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान तेरापंथ की बेटियां विशेष सेवा दर्शन का लाभ उठाने की योजना तैयार करें ।कार्यक्रम का प्रारंभ नमस्कार महामंत्र उच्चारण से हुआ ।मंगलाचरण वीणा मेहता ने किया ।तेरापंथी महासभा के प्रकल्प बेटी तेरापंथ की जूम मीटिंग एवं ऑनलाइन फॉर्म की जानकारी शांतिलालजी जैन ने दी ।ध्यान प्रयोगों के साथ आदित्य मुनि ने धर्म आराधना की प्रेरणा प्रदान की ।तेरापंथ सभा भुज के अध्यक्ष वाडीभाई मेहता ने उपस्थित सभी तेरापंथी बेटियों का स्वागत किया। महिला मंडल भुज से दीपा मेहता ने मंगल भावना व्यक्त की। तेरापंथी बेटियों की तरफ से पुनीता बहन ने मुनिश्री के प्रति इस तरह के कार्यक्रम आयोजन के लिए कृतज्ञता व्यक्त की ।कार्यक्रम में लगभग 65 के आसपास तेरापंथ की बेटियों ने उत्साह के साथ सहभागिता दर्ज करवाई जिनकी अन्य संप्रदायों में शादी हुई है। मुनि श्री के चातुर्मास ने इस तरह का यह तीसरी बार कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रीति दोशी ने किया।





रविवार, सितंबर 25, 2022

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के बैनर का लोकार्पण युगप्रधान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के बैनर का लोकार्पण


25 सितंबर 2022, छापर , राजस्थान, अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा उदघोषित और अणुव्रत विश्व भारती द्वारा निर्देशित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के बैनर का लोकार्पण युगप्रधान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में छापर राजस्थान में किया गया। इस अवसर पर अणुविभा महामंत्री श्री भीखम सुराणा एवं टीम उपस्थित रही।


अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने मंगल आशीर्वाद से अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह को आप्लावित करते हुए अणुव्रत आन्दोलन द्वारा मानव कल्याण की अनुप्रेरणा दी।

बुधवार, जुलाई 20, 2022

Over 10K youngsters join the 'No Plastic' movement in Rajasthan's Chappar town


Over 10K youngsters join the 'No Plastic' movement in Rajasthan's Chappar town: Chappar (Rajasthan) [India], June 13 (ANI/PNN): Chappar town in Rajasthan is witnessing a silent revolution in the fight against plastic pollution. Thanks to the 'No Plastic Drive' started by Chamankumar Dudheria, over 10,000 youngsters have joined the movement to eradicate plastic pollution from Chappar in the last few months.

मंगलवार, जुलाई 12, 2022

उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू से अभातेयुप पदाधिकारियों की MBDD के सन्दर्भ में शिष्टाचार भेंट


उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू से अभातेयुप पदाधिकारियों की मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के सन्दर्भ में भेंट


नई दिल्ली, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन में सम्पूर्ण देश और देश से बाहर आगामी 17 सितंबर को आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष में मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव का आयोजन किया जा रहा है। अभातेयुप अपने शाखा परिषदों के माध्यम से व अन्य संस्थाओं के सहयोग से इस मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के तहत पूरे देश में एक दिन में 2000 से अधिक रक्तदान शिविरों का आयोजन करके नया कीर्तिमान स्थापित करने जा रही है । 

अभातेयुप के राष्ट्रीय मीडिया सलाहकार अंकुर बोरदिया ने जानकारी देते हुए बताया कि इसी संदर्भ में देश के माननीय उपराष्ट्रपति श्री वैंकेया नायडू से अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के महामंत्री पवन मांडोत एवं भूतपूर्व अध्यक्ष विमल कटारिया ने शिष्टाचार भेंट की एवं अपने इस अभियान व महनीय सेवा कार्य से उपराष्ट्रपतिजी को अवगत कराया । इस अवसर पर महामंत्री पवन मांडोत ने उपराष्ट्रपतिजी को बताया कि हमारी संस्था गत 5 जून को देश का पांच चिन्हित क्षेत्रों से इस सेवा कार्य का आगाज कर चुकी है। पूर्व अध्यक्ष विमल कटारिया ने बताया की पूरे देश और नेपाल में फैली हमारी 354 शाखाओं के साथ साथ देश की अन्य कई समाज सेवी संस्थाएं भी इस महाभियान में जुड़ने के लिए आगे आ रही है । माननीय उपराष्ट्रपति जी ने संस्था के सेवा कार्यो की सराहना करते हुए 17 सितंबर को होने वाले इस मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव को अपना महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान किया । विदित रहे कि मानव सेवा, देश सेवा, राष्ट्र सेवा के इस क्रम में यह संस्था पहले भी कई कीर्तिमान रच चुकी है ।

साभार : डॉ श्रीमती कुसुम लुनिया

सोमवार, जुलाई 11, 2022

अर्हतों के अनुभवों का सार है आगम : युगप्रधान आचार्य महाश्रमण


 

छापरवासियों को प्रतिकूल परिस्थति में भी मानसिक शांति बनाए रखने की दी पावन प्रेरणा

आसपास के क्षेत्रों से गुरु सन्निधि में चतुर्मास करने पहुंच रहीं हैं चारित्रात्माएं

11.07.2022, सोमवार, छापर, चूरू (राजस्थान) , जैन आगमों में विभिन्न विषयों से संबंधित वर्णन प्राप्त होता है। हालांकि आगम आम आदमी के समझ में न भी आए, क्योंकि इसकी भाषा प्राकृत या अर्धमागधी है। आगमों की वाणी का अर्थ उसके हिन्दी अनुवाद अथवा टिप्पण आदि के माध्यम से जाना जा सकता है। जैन धर्म में बत्तीस आगम मान्य हैं। परम पूज्य आचार्य तुलसी के समय में आगम सम्पादन का कार्य प्रारम्भ हुआ था। इस कार्य में आचार्य महाप्रज्ञजी का कितना श्रम लगा। लगभग सभी आगमों के मूल पाठ के संपादन का कार्य तो गया, अब उनका अनुवाद, टिप्पण और परिशिष्ट आदि का कार्य आज भी गतिमान है। आगमों से अनेक विषयों का वर्णन मिलता है। सृष्टि, संसार की जानकारी मिलती है। अध्यात्म की साधना में क्या करणीय और क्या अकरणीय का ज्ञान प्राप्त होता है।

हमारे यहां नवदीक्षित साधु-साध्वियां दसवेंआलियं ग्रन्थ को कंठस्थ करते हैं। इस आगम के माध्यम से साधुचर्या का प्रशस्त मार्गदर्शन प्राप्त होता है। साधु को कैसे बोलना, किसी प्रकार गोचरी करना, विनय करना, साधुओं के पंच महाव्रत व हिंसा से बचने का वर्णन भी इस छोटे-से ग्रंथ से प्राप्त हो जाता है। साधु के लक्षण को जानने के लिए यह ग्रन्थ आदर्श है। आगमों में कितना तत्त्वज्ञान भरा हुआ है। ज्ञान के संदर्भ में नंदीसूत्र को देखा जा सकता है। इस प्रकार आगमों से विविध विषयों के संदर्भ में ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए मानों यह कहा जा सकता है कि अर्हतों के अनुभवों का सार है आगम। इसलिए आगमों अध्ययन आदि करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान की प्राप्ति कर अपने जीवन को मोक्ष की दिशा में ले जाने का प्रयास कर सकता है। उक्त पावन प्रेरणा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने छापर चतुर्मास प्रवासस्थल में बने भव्य में एवं विशाल प्रवचन पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की।

आचार्यश्री ने आगे कहा कि यह संसार अनित्य है और यह जीवन अधु्रव है। यहां की दुःख की बहुलता है। जीवन में अनेक रूपों में दुःख प्राप्त होता है। कभी शारीरिक तो कभी मानसिक दुःख प्राप्त होता है। इसलिए आदमी आगमों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर अपने मन में शांति बनाए रखने और चित्त को प्रसन्न बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। आगे की दुर्गति से बचने के लिए आदमी को सत्संगति के माध्यम से ज्ञानार्जन कर अपने जीवन को परमसुख अर्थात् मोक्ष की दिशा में जाने का प्रयास करे।

तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टामाचार्य कालूगणी की जन्मभूमि में वर्ष 2022 के चतुर्मास हेतु पधारे आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में आसपास के क्षेत्रों की चारित्रात्माएं भी गुरुकुलवास में चतुर्मास हेतु उपस्थित हो रही हैं। कार्यक्रम के दौरान बीदासर से साध्वी साधनाश्रीजी व साध्वी अमितप्रभाजी ने अपनी सहवर्ती साध्वियों के साथ दर्शन कर हृदयोद्गार व्यक्त करते हुए सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने साध्वियों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के दर्शन कर साध्वियां हर्षविभोर नजर आ रही थीं।

कार्यक्रम में श्री झंकार दुधोड़िया, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री श्री दिलीप मालू व श्रीमती तारामणि दुधोड़िया ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। गुवाहाटी व छापर की तेरापंथ महिला मण्डल, भ्राताद्वय श्री सुरेन्द्र-नरेन्द्र कुमार नाहटा, अणुव्रत समिति की महिला सदस्याओं व श्री राहुल बैद ने पृथक्-पृथक् गीत का संगान कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।


साभार : महासभा कैम्प ऑफिस

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सोमवार, जून 27, 2022

हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है

ये एक सरल चित्र है, लेकिन बहुत ही गहरे अर्थ के साथ

आदमी को पता नहीं है कि नीचे सांप है और महिला को नहीं पता है कि आदमी भी किसी पत्थर से दबा हुआ है।


महिला सोचती है : - ‘मैं गिरने वाली हूं और मैं नहीं चढ़ सकती क्योंकि साँप मुझे काट रहा है।" आदमी अधिक ताक़त का उपयोग करके मुझे ऊपर क्यों नहीं खींचता!


आदमी सोचता है :- "मैं बहुत दर्द में हूं फिर भी मैं आपको उतना ही खींच रहा हूँ जितना मैं कर सकता हूँ! आप खुद कोशिश क्यों नहीं करती और कठिन चढ़ाई को पार कर लेती । आदमी को ये नहीं पता है कि औरत को सांप काट रहा है ।


नैतिकता : - आप उस दबाव को देख नहीं सकते जो सामने वाला झेल रहा है, और ठीक उसी तरह सामने वाला भी उस दर्द को नहीं देख सकता जिसमें आप हैं।


यह जीवन है, भले ही यह काम, परिवार, भावनाओं, दोस्तों, के साथ हो, आपको एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए, अलग अलग सोचना, एक-दूसरे के बारे में सोचना और बेहतर तालमेल बिठाना चाहिए।

हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है और सबके अपने अपने दुख हैं। इसीलिए कम से कम जब हम अपनों से मिलते हैं तब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने के बजाय एक दूसरे को प्यार, स्नेह और साथ रहने की खुशी का एहसास दें, जीवन की इस यात्रा को लड़ने की बजाय प्यार और भरोसे पर आसानी से पार किया जा सकता है।


साभार : फेसबुक

गुरुवार, जून 16, 2022

सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र से युक्त हो जीवनशैली: शांतिदूत आचार्य महाश्रमण


16.06.2022, गुरुवार, गंगाशहर, बीकानेर (राजस्थान), गंगाशहर में भले ही जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, मानवता के मसीहा, महातपस्वी, शांतिदूत, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का चार दिवसीय प्रवास ही प्राप्त हुआ हो, लेकिन इन चार दिनों में बीकानेर की आम जनता से लेकर हर क्षेत्र के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों, विद्वतजनों, लेखकों, न्यायाधीशों सहित देश की सीमा की सुरक्षा में जुटे जवानों को भी आचार्यश्री महाश्रमणजी से मानवीय मूल्य आधारित जीवन जीने की प्रेरणा और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का सुअवसर प्राप्त हो गया। इसमें भी महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का अद्वितीय श्रम दृष्टिगोचर हो रहा था। 


 बुधवार की रात लगभग नौ बजे प्रबुद्धजन सम्मेलन में बीकानेर क्षेत्र के संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन, पुलिस महानिरीक्षक, जिला कलक्टर, न्यायाधीश, वाइस चांसलर, महाविद्यालयों के प्रोफेसर, वकील, साहित्यकार, चिकित्सक, वरिष्ठ पत्रकार, कला, संस्कृति तथा व्यापारिक वर्ग के वरिष्ठजनों ने आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित होकर आचार्यश्री से पावन प्रेरणा प्राप्त करने के उपरान्त आचार्यश्री से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करने के साथ ही पावन आशीर्वाद भी प्राप्त किया। 


 वहीं दूसरी ओर गुरुवार को प्रातः लगभग साढ़े छह बजे ही बीएसएफ के 100 से अधिक जवान डीआईजी श्री पुष्पेन्द्र सिंह व सिविल एयरपोर्ट अधिकारी श्री अनिल शुक्ला के नेतृत्व में तथा मिडिया के लोग आचार्यश्री से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए समुपस्थित हुए। आचार्यश्री ने जवानों को पावन प्रेरणा प्रदान की और आचार्यश्री की अनुज्ञा से मुनि कुमारश्रमणजी ने उन्हें ध्यान-योग के प्रयोग द्वारा अपने चित्त को शांत और एकाग्र बनाने की विधि बताई। 


 इसके कुछ ही समय बाद आचार्यश्री अपने प्रातःकाल भ्रमण के दौरान गंगाशहर के असक्त, अक्षम और वयोवृद्ध श्रद्धालुओं को दर्शन देने और नगरवासियों पर कृपा बरसाने लगे। कुछ समय बाद ही मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान आज बीकानेर क्षेत्र के समस्त जैन समाज की ओर ‘जैन जीवनशैली’ विषय पर आचार्यश्री का विशेष व्याख्यान भी आयोजित था तो आचार्यश्री प्रातःकालीन भ्रमण सम्पन्न कर कुछ ही क्षणों के बाद प्रज्ञा समवसरण में पहुंच जनता को पावन पाथेय प्रदान किया। देर रात तक बीकानेर के विशिष्ट लोगों को प्रेरणा, प्रातःकाल सेना के जवानों का उत्साहवर्धन और उनके जीवन को उन्नत बनाने की प्रेरणा और फिर श्रद्धालुओं को दर्शन देने की कृपा के बाद पुनः व्याख्यान में श्रद्धालुओं के मानस को अभिसिंचन प्रदान करना वह भी बिना रूके, बिना थके, बिना विश्राम किए। भला इससे अच्छा सोदाहरण महातपस्वी महाश्रमण के महाश्रम का और क्या हो सकता है, जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर रखा हो। आचार्यश्री के महाश्रम को देख केवल तेरापंथ ही नहीं, बीकानेर का जन-जन बस यहीं कह रहा था -‘महातपस्वी महाश्रमण की जय हो, जय हो, जय हो। 


 बुधवार की रात को आयोजित प्रबुद्धजन सम्मेलन में उपस्थित बीकानेर जिले के सभी वरिष्ठ लोगों को पावन पाथेय प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने अपनी बुद्धि को शुद्ध करने और बुद्धि द्वारा समस्या पैदा करने नहीं, समस्याओं के समाधान में नियोजित करने की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त करने के उपरान्त उपस्थित विशिष्ट महानुभावों ने आचार्यश्री के समक्ष अपने मन की जिज्ञासाओं को अभिव्यक्त किया तो आचार्यश्री ने सभी की जिज्ञासाओं का समाधान प्रदान किया। जिज्ञासा-समाधान का क्रम मानों कुछ तरह चल रहा था जैसे गुरुकुल में शिष्य अपने गुरु से अपनी जिज्ञासा करते हैं और सुगुरु उनकी जिज्ञासाओं को समाहित कर उन्हें आत्मतोष प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के शुभारम्भ में तेरापंथी सभा-गंगाशहर के आयोजन प्रभारी श्री लूणकरण छाजेड़ ने स्वागत वक्तव्य दिया। मुनिकुमारश्रमणजी ने आचार्यश्री महाश्रमणजी और अहिंसा यात्रा के विषय में जानकारी दी। श्री महावीर रांका ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में संभागीय आयुक्त श्री नीरज के. पवन के अलावा न्यायाधीश श्री महेश शर्मा, पत्रकार श्री हेम शर्मा, डॉ. सुधा आचार्य, बाफना अकादमी के सीइओ श्री पी.एस. बोहरा, कैरियर काउन्सलर श्री चन्द्रशेखर श्रीमाली व महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के सचिव श्री बिट्ठल बिस्सा ने अपनी जिज्ञासाएं प्रस्तुत कीं। इसके उपरान्त कार्यक्रम में पुलिस महानिरीक्षक श्री ओमप्रकाश, जिला कलक्टर श्री भगवती प्रसाद कलाल, एसडीएम श्री पंकज शर्मा, आयकर अधिकारी श्री प्रमोद के. देवड़ा, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर श्री विनोद कुमार, वृत्ताधिकारी श्री दीपचन्द, वास्तुविज्ञ श्री आर.के. सुथार, शिक्षाविद् डॉ. पन्नालाल हर्ष, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के डॉ. गिरिराज हर्ष, लॉयन एक्सप्रेस के पत्रकार श्री हरीश बी शर्मा, खबर एक्सप्रेस के श्री हेम शर्मा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र पाल, एडवोकेट श्री अजय पुरोहित, लेखक डॉ. अजय जोशी, कवि श्री गिरिराज पारीक, श्री राजाराम स्वर्णकार, पूर्व महापौर श्री नारायण चौपड़ा, कार्डियोलॉजी विभाग के डा. श्री पिन्टू नाहटा, गैस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉ. सुशील फलोदिया, सर्जन डा. संजय लोढ़ा, चिकित्सक होमियोपैथिक विभाग डा. चारूलाल शर्मा, प्राइवेट स्कूल ऐसोसिएशन राजस्थान (पेपा) के अध्यक्ष श्री गिरिराज खैरीवाल, प्राचार्य श्री प्रदीप लोढ़ा, अखिल भारतीय अल्पसंख्य आयोग के श्री सलीम भाटी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री टेकचन्द बरड़िया, श्री राजेन्द्र अग्रवाल, सी.बी.एस. अस्पताल के डा. श्री एन.के.दारा, भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के एएसपी श्री रजनीश पुनिया, कार्डियोलाजिस्ट डा. आर.एल. रांका, नेत्र रोग विभाग के डा. जीसी जैन के अलावा अनेकों लेखन, कला, साहित्य, नाट्य, उद्योग, शिक्षा, व प्रशासनिक कार्यों से जुड़े विशिष्ट महानुभावों की उपस्थिति रही। उपस्थित सभी महानुभावों को साहित्य आदि से सम्मानित किया गया। 


 गुरुवार को प्रातः बीएसएफ के जवानों व मिडियाकर्मियों के साथ आयोजित कार्यक्रम में आचार्यश्री से प्रेरणा प्राप्त करने के उपरान्त बीएसएफ के डीआईजी श्री पुष्पेन्द्र सिंह ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। मुनि कुमारश्रमणजी ने जवानों को ध्यान आदि का प्रयोग कराया। 


 गुरुवार को ‘जैनी जीवनशैली’ विषय पर आधारित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सृष्टि का प्रत्येक प्राणी जीवन जीता है, किन्तु कलापूर्ण जीवन जीना महत्त्वपूर्ण बात होती है। जीवनशैली को अच्छा बनाने के लिए पहले जीवन में लक्ष्य का निर्धारण हो और फिर उसके अनुरुप सम्यक् ज्ञान, दर्शन और चारित्र का निर्माण करने का प्रयास करना चाहिए। विचार से लेकर आहार तक में विशुद्धि रखने का प्रयास हो तो ‘जैनी जीवनशैली’ की बात सार्थक हो सकती है। हिंसा से बचना, भोजन में मांसाहार का सर्वथा त्याग, नशा से मुक्तता ‘जैनी जीवनशैली का महत्त्वपूर्ण अंग है। 


 कार्यक्रम में आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने अपना उद्बोधन दिया। अपनी जन्मभूमि में मुनि राजकुमारजी, समणी जयंतप्रज्ञाजी व समणी सन्मतिप्रज्ञाजी ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। मूर्तिपूजक समाज की ओर से तथा जैन महासभा के मंत्री श्री सुरेन्द्र जैन, स्थानकवासी समाज की ओर से श्री मोहन सुराणा, दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री विनोद जैन, जैन महासभा के अध्यक्ष व जैन श्वेताम्बर तेरापंथी समाज की ओर से श्री लूणकरण छाजेड़ व तेरापंथी सभा-बीकानेर के मंत्री श्री रतनलाल छल्लाणी ने अपनी विचाराभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला-गंगाशहर के ज्ञानार्थियों ने जैन ध्वज के साथ मार्च पास्ट करने के उपरान्त आचार्यश्री के समक्ष ‘महाश्रमण अष्टकम्, भक्तामर, प्रतिक्रमण आदि की भावूपर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय-बीकानेर की शोधार्थिनी डा. मेघना व्यास ने आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा रचित पुस्तक ‘रत्नपालचरितम्’ः एक समीक्षात्मक अनुशीलन शोध की पुस्तक पूज्यचरणों में समर्पित कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। 


मंगलवार, मार्च 08, 2022

World Women's Day

आज 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व Women's Day अर्थात नारी दिवस मना रहा है। जिसकी बधाई सभी विविध माध्यम से समाज का प्रत्येक वर्ग दे रहा है। मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है हम जन्मदिन, वैवाहिक व मृत्यु के तारीख के तर्ज पर ही शायद Women's Day, Mother's Day, Children Day, Father's Day, Valentine's Day जैसे के मनाने के लिए एक दिवस को चयनित कर सीमा में बांध दिया। जबकि यह सारे दिवस एक दिवसीय नहीं होते ये तो रोज के दिवस है पर हम सभ्य सामाजिक प्राणी है ख़ुशी के इजहार के लिए एक दिन चयन कर लेते है। क्या हम सिर्फ उस एक विशेष घोषित दिन को ही उन्हें बधाई देते है, उनसे आशीर्वाद लेते है या रोज ही आशीर्वाद लेते है या चिंतन करने योग्य बात है। हम दिल की गहराई से चिंतन जरुर करें।


आज समाज का हर वर्ग जब इस दिवस के लिए बधाई प्रेषित कर रहा है इसलिए मैं भी सभी के स्वर के साथ अपना एक स्वर मिलाते हुए आज के दिवस की बधाई देता हूँ। परन्तु मेरी यह बधाई / शुभकामना सिर्फ आज के लिए ही नहीं है। मेरी बधाई / शुभकामना शक्ति की प्रतिक नारी को सदा के लिए समर्पित है।


हम मूलतः नारी को माँ, बहन, जीवनसंगनी या बेटी के रूप में देखते है।


माँ हमें संसार में जन्म दे हमारा पालन पोषण कर शिक्षा दे हमें अलग पहचान देती है।


भाई बहन का सबसे पवित्र रिश्ता भावनओं के तार से जुड़ा होता है बहन जब कलाई में मोली के कच्चे धागों को भावनाओं के स्नेहाशीष से अटूट शक्ति भर बाँधती है जिससे भाई की रक्षा होती है।


जीवनसंगनी विवाह के पश्चात अपने माता - पिता का घर छोड़ जीवन भर 7 वचनों के पवित्र संकल्पों से अपने पति का साथ हर कदम पर देते हुए उसके परिवार का साथ जीवन भर निभाती है।


बेटी एक ऐसी अनमोल कड़ी है जो एक घर नहीं दो घर (जन्म लेकर पिता के घर, विवाह बाद पति के घर) को रौशन करती है।


हम नारी को दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी के रूप में भी देखते है। हम ध्यान से देखे तो ये तीनो रूप एक तरह से शक्ति के ही पर्याय है।


आज इस दिवस को कई जगह सशक्तिकरण के रूप में भी मनाया जा रहा है। मनाना भी चाहिए क्योकि नारी सर्व शक्तिशाली है संसार पुरुष प्रधान हो सकता है पर सहनशीलता और कार्य करने की असीम क्षमता नारी में ही देखने की मिलती जिसमें सहने की क्षमता हो वो ही शक्तिशाली हो सकता है। कमजोर में सहने की क्षमता नहीं होती है। इसलिए मेरा पुरजोर मानना है की प्रत्येक नारी दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी की प्रतिबिम्ब होती है।


बस यह अलग बात है की शक्ति जिसके पास है वो उसे कैसे उपयोग करता है कैसे उस शक्ति के द्वारा सृजन करता है या विनाश करता है।


कई बार हम सुनते है नारी अबला है, कमजोर है पर मैं यह नहीं मानता मेरा व्यक्तिगत मानना है की शक्ति की प्रतिबिम्ब नारी को सिर्फ नारी ही दबा सकती है अन्य किसी में वो क्षमता नहीं जो शक्तिरूपी नारी से मुकाबला कर सके। क्योकि जो शक्ति एक नए जीवन को संसार में अस्तित्व प्रदान करती है वो कमजोर हो ही नहीं सकती समय आने पर वो सरस्वती रूप में बच्चे की पहली शिक्षक बन ज्ञान, संस्कार प्रदान करती है, लक्ष्मी रूप में विष्णु (पति) के सहयोग से शांति द्वारा समृद्धि लाती है हम सुनते ही है बुजुर्गो से की जहाँ शांति है वहा समृद्धि है वही अन्याय के खिलाफ जब खड़ी होती है तब लोगों द्वारा अबला कहे जाने वाली नारी दुर्गा, काली, चंडी का रूप ले लेती है। नारी कमजोर नहीं हो सकती क्योकि उसमे माँ समाहित है और किसी की उत्पत्ति माँ द्वारा ही हो सकता है। प्रसंगवश कह रहा हूँ  हमारी जिद्द / हट के आगे उसकी माँ, बहन, पत्नी व बेटी झुक जाती है इसका अर्थ यह नहीं की जो झुकता है वो अबला होता है वास्तिवकता यह है की ये हमारे स्नेह के कारण भी कई बार झुकती है। 

हम अध्ययन करे तो लगेगा की हम नारी शक्ति के अनगिनत उदाहरण पढ़ चुके, देख चुके और भविष्य में भी पढने और देखने को मिलेगा पर उस शक्ति को शक्ति माने कैसे यह बात कईयों को आज भी समझ नहीं आती। इसलिए आज सभी से मैं पंकज दुधोडिया कोलकाता से यही कहना चाहता हूँ की -


यह दिवस नहीं

सिर्फ

एक दिवस का

ये दिवस तो रोज

प्रतिदिन आता है।


प्रति दिवस करें हम

शक्ति रूपी को

नमन

जिनसे प्राणी

अस्तित्व पाता है।


"पंकज" कहता यही

हे शक्ति रूपी

स्विकारों बधाई

भावों से नित मेरी

जो अन्तर्मन देता है।।

मंगलवार, जनवरी 04, 2022

आत्मा की शुद्धि के लिए ऋजुता आवश्यक - आचार्य महाश्रमण

 

04.01.2022, मंगलवार, बोराज, जयपुर (राजस्थान), जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी राजस्थान की रेतीली धरती पर ज्ञान की गंगा बहाते हुए निरंतर गतिमान हैं। इस निर्मल गंगा से अब तक राजस्थान के भीलवाड़ा, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, चित्तौड़गढ़ जिले के साथ राजस्थान की राजधानी जयपुर भी पावनता को प्राप्त हो चुकी है। ग्यारह दिवसीय संघ प्रभावक जयपुर प्रवास के उपरान्त आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ जयपुर जिले के ग्रामीण इलाकों में गतिमान हैं। मंगलवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के साथ देहमी कलां स्थित मणिपाल विश्वविद्यालय से मंगल प्रस्थान किया। ठंड के मौसम में जहां लोग गर्म कपड़ों से ढंके होने के बावजूद भी बाहर निकलने पर आग का सहारा लेते दिखाई दे रहे थे वहीं मानवीय मूल्यों की स्थापना को और जन-जन को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का संदेश देने के लिए महातपस्वी महाश्रमण गतिमान थे। रास्ते में अनेकानेक लोगों को अपने दर्शन और आशीर्वाद से पावन बनाते आचार्यश्री लगभग चौदह किलोमीटर का विहार कर बोराज गांव में पधारे। ग्राम्यजनों तथा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रिंसिपल, शिक्षक व विद्यार्थियों ने आचार्यश्री भव्य स्वागत किया। 

 विद्यालय परिसर के एक कमरे से आचार्यश्री ने वर्चुअल रूप में आयोजित प्रातःकाल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के दौरान पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि एक प्रश्न हो सकता है कि निर्वाण को कौन प्राप्त कर सकता है? निर्वाण का अर्थ मोक्ष भी हो सकता है, किन्तु कभी-कभी एकार्थक शब्दों में गहराई में जाने पर कुछ सूक्ष्म भिन्नता भी प्राप्त हो सकता है। निर्वाण प्राप्ति की बात की जाए तो जिस आदमी के भीतर धर्म हो अर्थात् धर्मवान मनुष्य निर्वाण को प्राप्त हो सकता है। एक प्रश्न और हो सकता है कि धर्मवान कौन होता है अथवा धर्म किस आदमी के भीतर हो सकता है तो उसका उत्तर यह होगा कि जिस आदमी की आत्मा शुद्ध हो व धर्मवान होता है। पुनः एक प्रश्न हो सकता है आत्मा शुद्ध कैसे हो? इसका उत्तर होगा कि जो आदमी ऋजु अर्थात् सरल होता है, उसकी आत्मा शुद्ध होती है। आत्मा की शुद्धि के लिए आदमी के भीतर संयम, दया, शील, सत्य आदि की भावना हो तो आत्मशुद्धि की बात हो सकती है। जिस आदमी के भीतर छल-कपट हो, उसकी आत्मा शुद्ध नहीं हो सकती।