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मंगलवार, मार्च 08, 2022

World Women's Day

आज 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व Women's Day अर्थात नारी दिवस मना रहा है। जिसकी बधाई सभी विविध माध्यम से समाज का प्रत्येक वर्ग दे रहा है। मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है हम जन्मदिन, वैवाहिक व मृत्यु के तारीख के तर्ज पर ही शायद Women's Day, Mother's Day, Children Day, Father's Day, Valentine's Day जैसे के मनाने के लिए एक दिवस को चयनित कर सीमा में बांध दिया। जबकि यह सारे दिवस एक दिवसीय नहीं होते ये तो रोज के दिवस है पर हम सभ्य सामाजिक प्राणी है ख़ुशी के इजहार के लिए एक दिन चयन कर लेते है। क्या हम सिर्फ उस एक विशेष घोषित दिन को ही उन्हें बधाई देते है, उनसे आशीर्वाद लेते है या रोज ही आशीर्वाद लेते है या चिंतन करने योग्य बात है। हम दिल की गहराई से चिंतन जरुर करें।


आज समाज का हर वर्ग जब इस दिवस के लिए बधाई प्रेषित कर रहा है इसलिए मैं भी सभी के स्वर के साथ अपना एक स्वर मिलाते हुए आज के दिवस की बधाई देता हूँ। परन्तु मेरी यह बधाई / शुभकामना सिर्फ आज के लिए ही नहीं है। मेरी बधाई / शुभकामना शक्ति की प्रतिक नारी को सदा के लिए समर्पित है।


हम मूलतः नारी को माँ, बहन, जीवनसंगनी या बेटी के रूप में देखते है।


माँ हमें संसार में जन्म दे हमारा पालन पोषण कर शिक्षा दे हमें अलग पहचान देती है।


भाई बहन का सबसे पवित्र रिश्ता भावनओं के तार से जुड़ा होता है बहन जब कलाई में मोली के कच्चे धागों को भावनाओं के स्नेहाशीष से अटूट शक्ति भर बाँधती है जिससे भाई की रक्षा होती है।


जीवनसंगनी विवाह के पश्चात अपने माता - पिता का घर छोड़ जीवन भर 7 वचनों के पवित्र संकल्पों से अपने पति का साथ हर कदम पर देते हुए उसके परिवार का साथ जीवन भर निभाती है।


बेटी एक ऐसी अनमोल कड़ी है जो एक घर नहीं दो घर (जन्म लेकर पिता के घर, विवाह बाद पति के घर) को रौशन करती है।


हम नारी को दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी के रूप में भी देखते है। हम ध्यान से देखे तो ये तीनो रूप एक तरह से शक्ति के ही पर्याय है।


आज इस दिवस को कई जगह सशक्तिकरण के रूप में भी मनाया जा रहा है। मनाना भी चाहिए क्योकि नारी सर्व शक्तिशाली है संसार पुरुष प्रधान हो सकता है पर सहनशीलता और कार्य करने की असीम क्षमता नारी में ही देखने की मिलती जिसमें सहने की क्षमता हो वो ही शक्तिशाली हो सकता है। कमजोर में सहने की क्षमता नहीं होती है। इसलिए मेरा पुरजोर मानना है की प्रत्येक नारी दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी की प्रतिबिम्ब होती है।


बस यह अलग बात है की शक्ति जिसके पास है वो उसे कैसे उपयोग करता है कैसे उस शक्ति के द्वारा सृजन करता है या विनाश करता है।


कई बार हम सुनते है नारी अबला है, कमजोर है पर मैं यह नहीं मानता मेरा व्यक्तिगत मानना है की शक्ति की प्रतिबिम्ब नारी को सिर्फ नारी ही दबा सकती है अन्य किसी में वो क्षमता नहीं जो शक्तिरूपी नारी से मुकाबला कर सके। क्योकि जो शक्ति एक नए जीवन को संसार में अस्तित्व प्रदान करती है वो कमजोर हो ही नहीं सकती समय आने पर वो सरस्वती रूप में बच्चे की पहली शिक्षक बन ज्ञान, संस्कार प्रदान करती है, लक्ष्मी रूप में विष्णु (पति) के सहयोग से शांति द्वारा समृद्धि लाती है हम सुनते ही है बुजुर्गो से की जहाँ शांति है वहा समृद्धि है वही अन्याय के खिलाफ जब खड़ी होती है तब लोगों द्वारा अबला कहे जाने वाली नारी दुर्गा, काली, चंडी का रूप ले लेती है। नारी कमजोर नहीं हो सकती क्योकि उसमे माँ समाहित है और किसी की उत्पत्ति माँ द्वारा ही हो सकता है। प्रसंगवश कह रहा हूँ  हमारी जिद्द / हट के आगे उसकी माँ, बहन, पत्नी व बेटी झुक जाती है इसका अर्थ यह नहीं की जो झुकता है वो अबला होता है वास्तिवकता यह है की ये हमारे स्नेह के कारण भी कई बार झुकती है। 

हम अध्ययन करे तो लगेगा की हम नारी शक्ति के अनगिनत उदाहरण पढ़ चुके, देख चुके और भविष्य में भी पढने और देखने को मिलेगा पर उस शक्ति को शक्ति माने कैसे यह बात कईयों को आज भी समझ नहीं आती। इसलिए आज सभी से मैं पंकज दुधोडिया कोलकाता से यही कहना चाहता हूँ की -


यह दिवस नहीं

सिर्फ

एक दिवस का

ये दिवस तो रोज

प्रतिदिन आता है।


प्रति दिवस करें हम

शक्ति रूपी को

नमन

जिनसे प्राणी

अस्तित्व पाता है।


"पंकज" कहता यही

हे शक्ति रूपी

स्विकारों बधाई

भावों से नित मेरी

जो अन्तर्मन देता है।।

गुरुवार, मई 06, 2021

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ ।


जन-जन है डरा हुआ,

हर मन है घुटन से भरा हुआ ।

आशा की नव किरण जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ....


नकारात्मकता फैली है चहुँ ओर,

मृत्यु का भय फैला हर ओर ।

आत्म विजय का पाठ पढ़ाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


तन की "इम्युनिटी" हुई है क्षीण,

हर मन हुआ है जीर्ण - शीर्ण ।

प्रेक्षा से प्रज्ञा को जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हिंसा का तांडव है फैला,

प्रेम भाव मानव है भुला ।

अहिंसा का नव अभियान चलाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


जीवन जीना, पर कैसे जीना ?

कैसे चलना, सोना, खाना ? 

जीने का विज्ञान सिखाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


महाप्रयाण दिवस द्वादश है आया,

सरदारशहर समाधि स्थल मन भाया ।

जन जन को "पावन" दर्श दिराने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ .....


श्री पवन फुलफगर, सूरत - लाडनूँ की भावपूर्ण प्रस्तुति तेरापंथ के दशमाधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के द्वादशम महाप्रयाण दिवस की पूर्व संध्या पर।

सोमवार, मार्च 22, 2021

मार्च एन्डिंग में जांचे स्वयं के जीवन की बैलेंस शीट


इस मार्च एन्डिंग में जीवन की बैलेंस शीट जांचने की इच्छा हुई तो पाया कि प्रेम, स्नेह, आत्मीयता, भाईचारा, कर्तव्यनिष्ठा के खाते ही गायब हैं।

मन के 'मुनीम' से पूछा तो वो बोला - सर  जी, वर्षो से इनके साथ कोई लेनदेन हुआ ही नहीं।।।
  
ना जाने कितने रिश्ते, ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं ही सही हूँ, और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ...!!

हम सभी के साथ कही ना कही ऐसा हो रहा है। हम भी अपना बेलेंसशिट चेक करे कही हम मैं के खातिर हम को तो नहीं भूल रहें। मैं एक अंगुली जैसी होती है और हम मुट्ठी जैसी। एकता मुट्ठी में ही होती है। अब समय है रिश्तों को सुधारने का सबके साथ वैचारिक मतभेद दूर करने का, आपसी सम्बन्ध व्यवस्थित करने का क्योकि रिश्ते बनाते सालों बीत जाते है पर टूट एक पल में जाते है क्योकि दिल तो बच्चा है जी वैसे बच्चा सरल होने के साथ साथ चंचल भी होता है।

पंकज नाम में जल व कीचड़ का योग मिलता है और कहते है कीचड़ में रहते हुए भी वो कीचड़ से निर्लिप्त रहता है। हम आज विश्व जल दिवस के अवसर पर संकल्पित हो की हम द्वेष रूपी कीचड़ से ऊपर उठकर जल रूपी पवित्र जीवन जिए क्योकि जल है तो जीवन है वैसे ही पवित्रता है, विश्वास है, मधुरता है तो जीवन अमृतमय बन जाता है।

अग्रेषित Whatsapp सन्देश साथ मेरे भावों के समावेश पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें - पंकज दुधोडिया

बुधवार, मई 06, 2020

आराध्य के प्रति भावों की अभ्यर्थना


बालक मोहन सरदारशहर दुगड़ कुल के अद्भुत , विलक्षण , रत्न अनमोल,
गुरु तुलसी आज्ञा से मुनि सुमेर ने दी दीक्षा, सीखे प्रभु आध्यात्म के बोल।

12 वर्ष की अल्प आयु में मोहन से मुनि मुदित बन संयम यात्रा हुई प्रारंभ,
गुरु - आज्ञा को आत्मधर्म मान, सहज, समर्पण, निष्ठा से शिक्षा हुई आरंभ।

छोटा कद था पर संकल्प फौलादी , लक्ष्य बड़े लेकर बढ़ते थे प्रभुवर के चरण,
राग विराग के भावों से ऊपर उठकर बन गए मुनि मुदित से आप महाश्रमण।

गौर मुखमंडल को जब जब देखा, सहज मुस्कान की मिलती छाया शीतल,
प्रवचन की धारा इतनी निर्मल जैसे कल कल बहता हो गंगा का अमृत जल।

सर्दी-गर्मी, अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति में भी महातपस्वी को सदा सम देखा,
तुलसी - महाप्रज्ञ का रूप जय जय ज्योतिचरण, जय जय महाश्रमण में है देखा।

दीक्षा दिवस के अवसर पर तेरापंथ सरताज को जन जन शुभ भावों से बधाता है
तेरी दृष्टि में मेरी सृष्टि रहें सदा "पंकज" अपने भगवान की गौरव गाथा गाता है।

शनिवार, अप्रैल 25, 2020

मधुमक्खी से मिली प्रेरणा कोई आपका Creation चुरा जा सकता है Talent नहीं - पंकज दुधोडिया


💤💫 बहुत सुन्दर सन्देश 💫💤

एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हें बुरा नहीं लगता ??
मधुमक्खी ने बहुत सुंदर मार्मिक जवाब दिया :
इंसान मेरा शहद ही चुरा सकता है पर मेरी शहद बनाने की कला नहीं !!
कोई भी आपका Creation चुरा सकता है पर आपका Talent (हुनर) नहीं चुरा सकता।

Whatsaap पर आये इस अग्रेषित मैसेज को पढ़ने के बाद ऐसा विचार (फिलिंग) मन में आया की चिंतन कितना विशाल है सकारात्मक है मधुमक्खी का की शहद चुरा सकता है पर टेलेंट नहीं।


इस सकारात्मक प्रेरणा देने वाले मैसेज के साथ मैं भी कुछ अपने विचार जोड़ रहा हूँ।


हम 84 लाख जीवयोनी मे मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ मानते है। हम माने भी क्यों ना मनुष्य चिंतनशील प्राणी होता है।
यह अलग बात है चिंतन हम किस दिशा में करते है सकारात्मक दिशा या नकारात्मक दिशा यह हम विचार करें।

उपरोक्त FWD मैसेज में जो सकारात्मक जबाब मधुमक्खी ने दिया वो वास्तव में सीख प्रदान करता है की हम कभी जीवन में हतास ना हो सुख दुःख, ख़ुशी गम, आते रहेगे जाते रहेगे। पर हमें हर भाव में सकारात्मक सोच के साथ प्रसन्न रहना है। अपने विचार को सकारात्मक सोच से भावीत करना है। तभी हम जीवन की वास्तविक कड़वाहट के साथ साथ मिठास का अनुभव कर पायेगे। 
यह विचार मेरे स्वयं पर भी लागू होती है क्योकि हम लिखते तो बहुत है पर उसे जीवन में कितना अपनाते है यह महत्वपूर्ण है। हम जीवन में पढ़ते तो बहुत है पर उसे कितना आत्मसात करते है यह महत्वपूर्ण है।
हम आईने को रोज देखते है आइना हमें प्रतिबिम्ब दिखाता है कुछ ऐसा ही प्रतिबिम्ब हमें हमारी आत्मा में भी देखने का प्रयास करना चाहिए। प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करना चाहिए। आत्मावलोकन, आत्मवलोचन करना चाहिए व सदा इसे सकारात्मक चिंतन से भावीत करना चाहिए। जिससे हम ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण कर पाये की हमारा Creation कोई भले ही चुरा ले पर हम अपने Talent के बल पर पुनः सकारात्मक सोच, सकारात्मक कार्य से आगे बढ़ते हुए जीवन में विकास के सोपान चढ़ते जाए।
यदि हम अपनी ऊर्जा प्रयास के द्वारा मन वचन काया के माध्यम से होने वाले निगेटिव सोच को हटा सकारात्मक सोच को स्थापित कर पाये तो हो सकता है हम नव युग का निर्माण कर दें।
क्योकि हमारी सोच ही हमें ऊंचाई प्रदान करती है और हमारी सोच ही हमें निचे गिराती है।
मैं पंकज धन्यवाद देना चाहूँगा जिसने भी उपरोक्त मैसेज बनाया है और जिन्होंने FWD किया उनके माध्यम से प्राप्त मैसेज से यही सकारात्मक विचार आया की हम चिंतित ना हो, हतास ना हो हम अपने पुरुषार्थ से पुनः प्रयास करे जिससे हम जीवन में प्रगति कर सकते है।


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155256602639451&id=641524450

सोमवार, अप्रैल 06, 2020

महावीर प्रभु की वाणी दुनिया को आज अपनाने की ज़रूरत है - जयंत सेठिया

दुनिया वालों याद करो महावीर प्रभु की वाणी को
आज ज़रूरत दुनिया में इस वाणी की हर प्राणी को

जब सम्पूर्ण विश्व आज एक समस्या से सामना कर रहा है ऐसे समय में भगवान महावीर के सिद्धांत वर्तमान की आवश्यकता है।
पिता राजा सिद्धार्थ और माता त्रिशला ने बालक वर्धमान को जन्म दिया। वर्धमान से महावीर तक का सफ़र आसान नहीं था, संसार के सुख-वैभव छोड़कर अपनी इच्छा से कष्ट सहन करना, जब तक माता-पिता जीवित हैं तब तक उनकी सेवा और तत्पश्चात् अपना सम्पूर्ण जीवन संसार के कल्याण के लिए अर्पित करना, अवतरित महापुरुष ही इस पथ पर चल सकते हैं।
भगवान महावीर ने आत्मा को महत्व देते हुए बताया की प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है, आनंद बाहर से नहीं आता.
भगवान ने असली शत्रु लालच, द्वेष, क्रोध, घमंड, आसक्ति इत्यादि को बताया और कहा ये शत्रु हमारे भीतर रहते हैं, इन पर विजय प्राप्त करना बाहरी शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने से बेहतर है।
हर जीवित प्राणी, चाहे वह एकेंद्रिय हो या पंचेंद्रिय, के प्रति समभाव और दयाभाव ही अहिंसा है, घृणा से मनुष्य का विनाश होता है। भगवान ने अहिंसा के महत्व को बताया।
भगवान महावीर ने अपने जीवन को रोशन करने के साथ-साथ दूसरों के जीवन के अंधेरे को भी दूर करते हुए जैन धर्म प्रतिपादित किया। जीवन में मोक्ष पाने के हर रास्ते पर पहले स्वयं चले जिसमें भव्य सफलता प्राप्त करने के बाद उन्होंने जगत को बताया की मनुष्य जीवन मोक्ष पाने की उत्तम सेवा है और पिछले जन्मों में किए हर बंधन से मुक्त होने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।
तप, धर्म और दया इन बातों को प्राप्त करने के लिए अपने जीवन में साढ़े बारह वर्षों तक कठोर साधना करने के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ और बाद में परम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त किया। 
आत्मा को परमात्मा बनाने वाले और दुनिया को अहिंसा सिखाने वाले भगवान महावीर का जन्म कल्याणक  मनाना तब सार्थक होगा जब हम महावीर के दिए उपदेशों को जीवन में अपनाएँ।

जयंत सेठिया, गंगाशहर

रविवार, मार्च 15, 2020

कोरोना मार्केट मंदी सोशल मीडिया और जागरूकता : करुणा कोठारी

श्रीमती करुणा कोठारी
आज पूरा विश्व एक ही डर के साये में जी रहा है,पूरे विश्व मे एक आतंक है। आपसी मतभेदों को भुला कर आज सब साथ खड़े है। एक छोटे से वायरस ने ना सिर्फ आम जनजीवन को प्रभावित किया है वरन पूरे विश्व मे एक इमरजेंसी जैसा माहौल बना दिया है। आर्थिक मंदी से जूझते विश्व मे कोरोना के कारण गिरावट आई है। वैश्विक मार्केट पर इसका सीधा प्रभाव दिख रहा है।

इससे पूर्व भी कई बार विभिन्न आपदाओं के कारण विश्व आर्थिक मंदी से गुजरा है,कई बीमारियों के कारण विश्व के हालात पर भी असर पड़ा है। फिर इस बार अचानक इतना व्यापक रूप कैसे लिया वायरस ने। इसे इतनी व्यापकता के साथ फैलाने में कही ना कही एक महत्वपूर्ण रोल सोशल मीडिया ने भी निभाया है।

कोरोना वायरस कोविड 19 जिसकी पुष्टि चीन के वुहान शहर में सबसे पहले हुई और फिर अचानक से पुर चीन में इस वायरस के पेशेंट दिखाई देने लगे। चीन में अभी न्यू ईयर का माहौल होता है और ये वक़्त होता है जब चीन की अर्थव्यवस्था उछाल पर होती है। लेकिन इस वायरस ने लोगो को घर तक सीमित कर दिया व्यापार ठप्प हो गया। चीन में सबसे ज्यादा उपभोक्ता है जिसके कारण विश्व की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में चीन का योगदान भी है।साथ ही आयात के साथ निर्यात भी बंद हो गया। विधवा के कई देश कई चीजों के लिए चीन पर निर्भर है जिसमे मोबाईल से लेकर रोजमर्रा की चीजें भी है।

पहले से आर्थिक मंदी का असर विश्व के कई देशों पर दिख रहा था लेकिन अब तो अमेरिका जैसे देश पर भी ये संकट महसूस किया जा सकता है।

चीन के सामानों का उपभोक्ता मार्केट में पिछले 10 से 15 वर्षो में ज्यादा बड़ा है। हर छोटी बड़ी वस्तु को सस्ता करके लोगो मे एक तरह से उनकी लत ही लगा दी गई। चीन में शायद सबसे ज्यादा रिसर्च यही होती है कि किस तरह आम आदमी के बजट में हम नवीन वस्तुओं को लांच कर सके और ये कहना गलत नही होगा कि इसमें चीन सफल भी हुआ है।

लेकिन आज जब चीन मार्केट बंद है तो स्थानीय स्तर पर वही वस्तुए अधिक या दुगुने दाम में भी बिक रही है। ऐसे माहौल में व्यक्तिगत रूप से भी मंदी बढ़ेगी,जो लोग इस बीमारी के कारण शाकाहार की ओर बढ़ रहे है और घर के खाने को ज्यादा महत्व दे रहे है उसका असर होटल व्यवसाय ओर किराना स्टोर पर दिख रहा है।

हैंड वाश ओर सेनिटाइजर जिनके दाम पिछले कुछ दिनों में जिस तरह बड़े है क्या आम व्यक्ति की पहुंच में है एक व्यक्ति जो सड़क पर अपना ठेला लगा कर परिवार का पालन करता है ये सब उसकी पहुँच से बाहर है,उसका व्यवसाय तो लगभग बंद ही हो गया है।

सरकार को इस समय इस तबके विशेष के लिए भी सोचना आवश्यक है जिनके लिए 2 जून की रोटी मुश्किल है वो कोरोना से बच कर भुखमरी की गिरफ्त में ना पहुच जाए।

सोशल मीडिया पर कोरोना से बचाव के जितने मेसेज आ रहे है उनकी सत्यता संदिग्ध है। फिर वो कोई भी मेसेज क्यो ना हो यहाँ किसी खाने की चीज का या कुछ और करने का लिख कर हम उस मेसेज को आगे नही बढ़ाना चाहते।

लेकिन जब तक उनकी सत्यता सिद्ध ना हो हम ऐसे बिना प्रमाण वाले निम हकीम से दूरी ही रखे। जिस तरह गाड़ी के पीछे लिखा होता है कीप डिस्टेंस दूरी बनाए रखे बस इसी लाइन को अपने जीवन मे अपना ले और शारीरिक रूप से दूरी बनाए रखे। हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते कहे हाथ पैरों को अच्छे धोए किसी से बात करते समय मुह पर मास्क या कपड़ा रखे।घर से बाहर जाते समय मास्क का उपयोग करे ये कोरोना के साथ प्रदूषित हवा से भी बचाएगा। सर्दी खांसी सांस फूलना बुखार आना चाहे मौसमी ही क्यो ना हो डॉ से जल्द से जल्द सम्पर्क करें।

क्योकि बचाव ही सुरक्षा है। प्रतिदिन प्रातः उठते ही ओर रात को सोने से पूर्व अपने सकारात्मक प्रार्थना अवश्य करे कि आप स्वस्थ है आपकी रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति अच्छी है।आपका मन शांत है,आपके भीतर की ऊर्जा आपके मनोबल को मजबूत कर रही है और आप खुश है।

किसी भी प्रकार के डर को खुद पर हावी ना होने दे व्यस्त रहे जिससे फालतू की बातों से दूर रह सके,ओर सिर्फ सरकार द्वारा अधिकृत अधिकारी की बातों पर ध्यान दे।सोशल मीडिया पर कोई मेसेज आये जीसमे किसी भी इलाज की जनकारी हो तो उसे फॉरवर्ड करने से पहले देख ले कि वो सम्बंधित संस्था के लेटर पेड़ पर है या नही।अपवाहों को फैलने से रोकना भी कोरोना को रोकने के लिए एक सफल प्रयास ही होगा।

देश जिस विकट हालातो का सामना कर रहा है उस समय सब एकजुटता से एकसाथ खड़े रहे।

लेखिका प्रबुद्ध मोटिवेशनल स्पीकर, विचारक होने के साथ साथ JTN मुम्बई की प्रतिनिधि भी है।

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

वीर जवानों को हमें सलामी देना है


संसद में बैठे नेताओ से मुझको कुछ कहना है
चुपी है क्यों बोलो सेना को कब तक मरना है।।

भारत माता के रक्षक चौकीदार हमारी सेना है
युद्ध भूमि में शाहिद हुए उनको नमन करना है।।

दे दो आदेश वीर जवानों को अब नही रुकना है
दिवंगत सपूतों का बदला लेकर तुमको आना है।।

बलिदान हुए वीर सैनानी के आगे सर झुकाना है
"पंकज" ऐसे वीर जवानों को हमें सलामी देना है।।

रविवार, नवंबर 25, 2018

कार्यकर्ता का मतलब


निष्ठावान कार्यकर्ता मतलब क्या ??
Ans: तेजपत्ता
कोई भी सब्जी बनाते समय सबसे पहले उसे ही डाला जाता है
और..
उसी सब्जी को खाते समय सबसे पहले उसे ही खींचकर बाहर फेंका जाता है !!
******************************
चापलूस कार्यकर्ता मतलब क्या ??
Ans: हरा धनिया
कोई भी सब्जी बनाते समय सबसे बाद मे प्रस्तुत करने के समय डाला जाता है
और..
फिर सब्जी के सारे स्वाद का श्रेय वही ले जाता है !

प्रिय भाई अमित कांकरिया के व्हाट्सएप्प ग्रुप अपना फैमली से प्राप्त प्रिय भाई पंकज पटवा का ये संदेश (कार्यकर्ता का मतलब) पढ़कर लगा कि लिखने वाले ने क्या सटीक उदाहरण के साथ यह चिंतन प्रस्तुत किया है।
मेरी दृष्टि में यह उदाहरण कटु किंतु कड़वा सच है जो सिर्फ संगठन में ही लागू नही हमारे दैनिक व्यवहारिक जीवन मे भी लागू होता है।

एक बार अगर हम तेजपत्ता को ईमानदारी / नैतिकता माने और हरा धनिया को बेईमानी / अनैतिकता मान ले तो आज के दौर में हम देख सकते है ईमानदारी / नैतिकता से कार्य करने वालो को अधिक श्रम करना पड़ता है, कतार में लगना पड़ता है, वही बेईमानी / अनैतिकता से काम करने वाला दुसरो के द्वारा किये कार्यों का श्रेय चापलूसी / छल / कपट से खुद का बना पूर्ण कर लेता है और वाहवाही भी बटोर लेता है।


यह भेद हम हर कार्य क्षेत्र में देखते है बस हमें चिंतन यह करना है कि हम दो पथ हो / दो रास्ते हो तो किस पथ को / रास्ते को अपनाएंगे। 
हम तेजपत्ता बनना चाहेगे या हरा धनिया यह चिंतन स्वयं को स्वयं से करना है क्योकि स्वयं की चेतन आत्मा हमें सही गलत का राह दिखाती है पर हम स्वार्थ, लोभ, आकांछा के वश में फँसकर अंतरमन की बात को नही सुन वर्तमान की चकाचौंध की आवाज में खो जाते है।

श्री कृष्ण में गीता में कहा कर्म कर फल की चिंता ना कर को मैं यो कहूँ की हमें तेजपत्ता ज्यूँ निष्ठावान कार्यकर्ता बन कार्य करना चाहिए जिससे हम कर्मो की मार से भी बच सके। अगर हम हरा धनिया ज्यों चापलूस कार्यकर्ता बनेंगे तो हो सकता है हम किसी और का श्रेय खुद के नाम से भुना लोकप्रियता भी हो सकते है पर बाद में उसे उसके द्वारा किये छल कपट के कर्मो से उसे कौन बचा पायेगा।

एक गीत का मुखड़ा स्मृति में आ रहा है - 
मनुज कर्मो का नौकर है, 
राजा राणा सब नीचे है करनी ऊपर है, मनुज कर्मो का नौकर है।।

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के प्रतापी सूर्य 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी कई बार श्रावक कार्यकर्ता बनने के संदर्भ में कहते है। जब हम श्रावक कार्यकर्ता बनने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे तो कर्मो को भी समझ पाएंगे तो आइए हम सब कर्मो को समझ चापलूस कार्यकर्ता की जगह निष्ठावान कार्यकर्ता बनें। ताकि नकली हीरा ज्यों चमक नहीं, असली हीरे ज्यों चमक हमारे आत्मार्थी जीवन में आ सके।

सोमवार, नवंबर 10, 2008

मारवाडी शब्द को भुना रहे ठेकेदार

मारवाडी शब्द को भुना रहे ठेकदार
जैसे तैसे चल पड़े उनका भी कारोबार
उनका भी कारोबार, कि चिंता नही समाज की
मूल जाए गर्त में, पकडो चाबी ब्याज की।
सेठों के पकडो पैर, और उनसे साधो मतलब
झंडा ऊँचा रखो अपना, दिखा-दिखा के करतब।
दिखा दिखा के करतब, यारों परवाह किसकी करनी
थू-थू करे समाज चाहे, वाह-वाह ख़ुद ही करनी
कुछ तो शर्म करो, बेशर्मों , यह कॉम हमारी माता है
जिस्म इसी का, जान इसी की, माँ-बेटे का नाता है।
- श्री प्रकाश चंडालिया