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बुधवार, अप्रैल 21, 2021

नोट लेकर आया था खोट देकर गया


21/4/2021, विहार के मध्य आज श्रद्धा-भक्ति का अनूठा दृश्य देखने को मिला। पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जब विहार करा रहे थे तभी सामने से आता एक ट्रक सहसा शांतिदूत के समक्ष रुक गया और उसमें से ट्रक ड्राइवर ने उतरकर गुरुदेव को कुछ रुपए भेंट करने चाहे। जब उसे साधुचर्या के बारे में बताया गया कि जैन साधु रूपए-पैसे आदि नहीं लेते तब वह विस्मित हो उठा। आचार्यश्री की प्रेरणा से उसने शराब आदि नशे को छोड़ते हुए नशामुक्ति की भावना व्यक्त की। शांतिदूत के चरणों में नोट चढ़ाने आया वह व्यक्ति मानों अपने जीवन की खोट चढ़ा गया।

Fwd & Received

सोमवार, मार्च 22, 2021

मार्च एन्डिंग में जांचे स्वयं के जीवन की बैलेंस शीट


इस मार्च एन्डिंग में जीवन की बैलेंस शीट जांचने की इच्छा हुई तो पाया कि प्रेम, स्नेह, आत्मीयता, भाईचारा, कर्तव्यनिष्ठा के खाते ही गायब हैं।

मन के 'मुनीम' से पूछा तो वो बोला - सर  जी, वर्षो से इनके साथ कोई लेनदेन हुआ ही नहीं।।।
  
ना जाने कितने रिश्ते, ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं ही सही हूँ, और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ...!!

हम सभी के साथ कही ना कही ऐसा हो रहा है। हम भी अपना बेलेंसशिट चेक करे कही हम मैं के खातिर हम को तो नहीं भूल रहें। मैं एक अंगुली जैसी होती है और हम मुट्ठी जैसी। एकता मुट्ठी में ही होती है। अब समय है रिश्तों को सुधारने का सबके साथ वैचारिक मतभेद दूर करने का, आपसी सम्बन्ध व्यवस्थित करने का क्योकि रिश्ते बनाते सालों बीत जाते है पर टूट एक पल में जाते है क्योकि दिल तो बच्चा है जी वैसे बच्चा सरल होने के साथ साथ चंचल भी होता है।

पंकज नाम में जल व कीचड़ का योग मिलता है और कहते है कीचड़ में रहते हुए भी वो कीचड़ से निर्लिप्त रहता है। हम आज विश्व जल दिवस के अवसर पर संकल्पित हो की हम द्वेष रूपी कीचड़ से ऊपर उठकर जल रूपी पवित्र जीवन जिए क्योकि जल है तो जीवन है वैसे ही पवित्रता है, विश्वास है, मधुरता है तो जीवन अमृतमय बन जाता है।

अग्रेषित Whatsapp सन्देश साथ मेरे भावों के समावेश पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें - पंकज दुधोडिया

शुक्रवार, जनवरी 29, 2021

Kayotsarg means, "abandoning the body" - Acharya Mahapragya

All humans have strong attachments to material things, and in fact, to their body. Strong attachments are a significant obstacle in practicing meditation. Attachments can make it difficult to take even the first step of meditation, called Kayotsarg. Kayotsarg means, "abandoning the body". 


There is a technique very similar to kayotsarg in Hindu tradition of Hathyoga called shavaasan. There are simi|arities and differences between Hathyoga’s shavaasan and Jain tradition’s kayotsarg. Therefore, readers who have heard about shavaasan should not assume that kayotsarg and shavaasan are the same. In shavaasan one concentrates on relaxing the body, whereas in kayotsarg one not only makes the body relaxed but goes beyond the body to experience the separateness of body and soul and detachment from the body (mamatva visarjan).


 This is a profound realization of seeing the soul as different from the body, and is known by a technical term in Jain philosophy called bhed-vigyaan (Le. the science of differentiation between the soul and the body). To completely achieve the state of kayotsarg it is essential to use bhed vigyaan, the science of differentiation. 


~ Acharya Mahapragya


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साभार : Preksha Meditation

शनिवार, जनवरी 04, 2020

गूंजेगा विश्वशांति व एकता का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय जैन सामायिक फेस्टिवल ५ जनवरी को

कोलकाता, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आगामी 5 जनवरी 2020 को नववर्ष के प्रथम रविवार को सम्पूर्ण विश्व मे सकल जैन समाज द्वारा विश्व मैत्री और एकता का संदेश लिए हो रहे जैन सामायिक फेस्टिवल का आयोजन हो रहा है।
विश्व में अहिंसा एवं शांति के सिद्धांतों पर चलकर विश्व शांति हेतु प्रेरणा देने वाले जैन धर्म में समायिक साधना का अनूठा महत्व है । जैन धर्म के सिद्धांतों अनुसार 48 मिनट तक मन-वचन-काया से किसी की प्रकार की पापकारी प्रवृति का त्यागकर अपनी आत्मा में रमण करना ही समायिक करना है ।
विश्वशांति एवं एकता हेतु परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी की पावन प्रेरणा से जैन तेरापंथ धर्मसंघ के युवाओं का संगठन अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा अनूठे रूप में जैन समायिक फेस्टिवल का आयोजन पूरे देशभर में और विश्व के अनेक प्रमुख शहरों में नववर्ष 2020 के प्रथम रविवार, दिनांक 5 जनवरी को किया जाएगा।
इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संदीप कोठारी ने कहां कि पूरे भारतवर्ष सहित पूरे विश्व में अनेंको स्थानों पर जैन समायिक फेस्टिवल के माध्यम जैन धर्म के सभी संप्रदायों के श्रावक समाज साथ मिलकर एक समायिक की आराधना कर जैन एकता का परिचय देंगे । इस कार्यक्रम हेतु जैन धर्म के महान आचार्य श्री महाश्रमण जी, आचार्य डॉ. शिवमुनि जी म.सा, आचार्य विजय श्री अभयदेव सुरी जी म.सा, आचार्य श्री ललितप्रभ सागर जी म.सा, श्री सौभाग्य मुनि जी म.सा, मुनिप्रवर श्री जयकीर्ति म.सा आदि अनेकों आचार्यों - मुनि प्रवर, साधु साध्वी जी भगवंतों ने जैन समायिक फेस्टिवल कार्यक्रम हेतु आशीर्वाद प्रदान किया है और इस प्रयास की अनुमोदना की है ।
जैन समाज के गौरव एवं जैन समाज से एकमात्र मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने जैन सामायिक फेस्टिवल कार्यक्रम को समर्थन दिया है ।
इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के साथ श्री ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेस, अखिल भारतीय खतरगच्छ युवा परिषद, अखिल भारतीय श्री प्राज्ञ जैन युवा मंडल, भारतीय जैन संगठना आदि विभिन्न संगठनों ने सहभागिता दर्ज करने हेतु समर्थन दिया है । जैन एकता में मील का पत्थर सिद्ध होनेवाले कार्यक्रम को पूरे देशभर में आयोजन करवाने हेतु अनेकों संघीय संस्थाएं सज्ज बन चुकी है ।
अभातेयुप के महामंत्री श्री मनीष दफ्तरी ने इस कार्यक्रम की आयोजना हेतु बताया कि अभातेयुप की 346 शाखाओं में इस कार्यक्रम को लेकर अपूर्व उत्साह है और जैन समाज के सभी युवा इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे यही विश्वास है ।
अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज के सहसंपादक पंकज दुधोडिया ने बताया कि वर्ष के प्रथम रविवार 5 जनवरी 2020 को देश भर में वृहद रूप से आयोजित जैन सामायिक फेस्टिवल को लेकर सकल जैन समाज में उत्साह देखने को मिल रहा है। यह आयोजन विश्व मैत्री और जैन एकता का प्रतीक बनेगा।

बुधवार, सितंबर 18, 2019

Contact and Connection

एक साधु का न्यूयार्क में बडे पत्रकार इंटरव्यू ले रहा थे। 

पत्रकार-
सर, आपने अपने लास्ट लेक्चर में 
संपर्क (Contact) और
 संजोग (Connection)
पर स्पीच दिया लेकिन यह बहुत कन्फ्यूज करने वाला था। क्या आप इसे समझा सकते हैं ?

साधु मुस्कराये और उन्होंने कुछ अलग पत्रकारों से ही पूछना शुरू कर दिया।

"आप न्यूयॉर्क से हैं?"

पत्रकार: "Yeah..."

सन्यासी: "आपके घर मे कौन कौन हैं?"

पत्रकार को लगा कि साधु उनका सवाल टालने की कोशिश कर रहे है क्योंकि उनका सवाल बहुत व्यक्तिगत और उसके सवाल के जवाब से अलग था।

फिर भी पत्रकार बोला : मेरी "माँ अब नही हैं, पिता हैं तथा 3 भाई और एक बहिन हैं सब शादीशुदा हैं "

साधू ने चेहरे पे एक मुस्कान के साथ पूछा:
 "आप अपने पिता से बात करते हैं?"

पत्रकार चेहरे से गुस्से में लगने लगा...

साधू ने पूछा, "आपने अपने फादर से last कब बात की?"

पत्रकार ने अपना गुस्सा दबाते हुए जवाब दिया : "शायद एक महीने पहले".

साधू ने पूछा: "क्या आप भाई-बहिन अक़्सर मिलते हैं? आप सब आखिर में कब मिले एक परिवार की तरह ?"

इस सवाल पर पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया कि , इंटरव्यू मैं ले रहा हूँ या ये साधु ?  
ऐसा लगा साधु, पत्रकार का इंटरव्यू ले रहा है?

एक आह के साथ पत्रकार बोला : "क्रिसमस पर 2 साल पहले".

साधू ने पूछा: "कितने दिन आप सब साथ में रहे ?"

पत्रकार अपनी आँखों से निकले आँसुओं को पोंछते हुये बोला :  "3 दिन..."

साधु: "कितना वक्त आप भाई बहनों ने अपने पिता के बिल्कुल करीब बैठ कर गुजारा ?

पत्रकार हैरान और शर्मिंदा दिखा और एक कागज़ पर कुछ लिखने लगा... 

साधु ने पूछा: " क्या आपने पिता के साथ नाश्ता , लंच या डिनर लिया ? 
क्या आपने अपने पिता से पूछा के वो कैसे हैँ ?  
माता की मृत्यु के बाद उनका वक्त कैसे गुज़र रहा है ?

पत्रकार की आंखों से आंसू छलकने लगे।

साधु ने पत्रकार का हाथ पकड़ा और कहा: " शर्मिंदा, परेशान या दुखी मत होना। 
मुझे खेद है अगर मैंने आपको अनजाने में चोट पहुंचाई हो,
 लेकिन ये ही आपके सवाल का जवाब है । "संपर्क और संजोग" 
(Contact and Connection)

आप अपने पिता के सिर्फ संपर्क (Contact) में हैं
 ‌पर आपका उनसे कोई 'Connection'  (जुड़ाव ) नही है।
 You are not connected to him.
आप अपने father से संपर्क में हैं जुड़े नही है 

Connection हमेशा आत्मा से आत्मा का होता है।
 heart से heart होता है। 
एक साथ बैठना, भोजन साझा करना और एक दूसरे की देखभाल करना, स्पर्श करना, हाथ मिलाना, आँखों का संपर्क होना, कुछ समय एक साथ बिताना 

आप अपने  पिता, भाई और बहनों  के संपर्क ('Contact') में हैं लेकिन आपका आपस मे कोई' जुड़ाव '(Connection) नहीं है".

पत्रकार ने आंखें पोंछी और बोला: "मुझे एक अच्छा और अविस्मरणीय सबक सिखाने के लिए धन्यवाद".

वो तब का न्यूयार्क था पर आज ये भारत की भी सच्चाई हो चली है।
 At home and society में सबके हज़ारो संपर्क (contacts) हैं पर कोई connection नही।
कोई विचार-विमर्श  नहीं।
हर आदमी अपनी नकली दुनिया में खोया हुआ है।

 हमें केवल "संपर्क" नहीं बनाए रखना चाहिए अपितु "कनेक्टेड" भी रहना चाहिये। हमें हमारे सभी प्रियजनों की देखभाल करना, उनके सुख-दुख को साझा करना और साथ में समय व्यतीत करना चाहिए।

वो साधु और कोई नहीं " स्वामी विवेकानंद" थे।

साभार : नीलेश भाई द्वारा प्राप्त Whatsapp

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

वीर जवानों को हमें सलामी देना है


संसद में बैठे नेताओ से मुझको कुछ कहना है
चुपी है क्यों बोलो सेना को कब तक मरना है।।

भारत माता के रक्षक चौकीदार हमारी सेना है
युद्ध भूमि में शाहिद हुए उनको नमन करना है।।

दे दो आदेश वीर जवानों को अब नही रुकना है
दिवंगत सपूतों का बदला लेकर तुमको आना है।।

बलिदान हुए वीर सैनानी के आगे सर झुकाना है
"पंकज" ऐसे वीर जवानों को हमें सलामी देना है।।

रविवार, नवंबर 25, 2018

कार्यकर्ता का मतलब


निष्ठावान कार्यकर्ता मतलब क्या ??
Ans: तेजपत्ता
कोई भी सब्जी बनाते समय सबसे पहले उसे ही डाला जाता है
और..
उसी सब्जी को खाते समय सबसे पहले उसे ही खींचकर बाहर फेंका जाता है !!
******************************
चापलूस कार्यकर्ता मतलब क्या ??
Ans: हरा धनिया
कोई भी सब्जी बनाते समय सबसे बाद मे प्रस्तुत करने के समय डाला जाता है
और..
फिर सब्जी के सारे स्वाद का श्रेय वही ले जाता है !

प्रिय भाई अमित कांकरिया के व्हाट्सएप्प ग्रुप अपना फैमली से प्राप्त प्रिय भाई पंकज पटवा का ये संदेश (कार्यकर्ता का मतलब) पढ़कर लगा कि लिखने वाले ने क्या सटीक उदाहरण के साथ यह चिंतन प्रस्तुत किया है।
मेरी दृष्टि में यह उदाहरण कटु किंतु कड़वा सच है जो सिर्फ संगठन में ही लागू नही हमारे दैनिक व्यवहारिक जीवन मे भी लागू होता है।

एक बार अगर हम तेजपत्ता को ईमानदारी / नैतिकता माने और हरा धनिया को बेईमानी / अनैतिकता मान ले तो आज के दौर में हम देख सकते है ईमानदारी / नैतिकता से कार्य करने वालो को अधिक श्रम करना पड़ता है, कतार में लगना पड़ता है, वही बेईमानी / अनैतिकता से काम करने वाला दुसरो के द्वारा किये कार्यों का श्रेय चापलूसी / छल / कपट से खुद का बना पूर्ण कर लेता है और वाहवाही भी बटोर लेता है।


यह भेद हम हर कार्य क्षेत्र में देखते है बस हमें चिंतन यह करना है कि हम दो पथ हो / दो रास्ते हो तो किस पथ को / रास्ते को अपनाएंगे। 
हम तेजपत्ता बनना चाहेगे या हरा धनिया यह चिंतन स्वयं को स्वयं से करना है क्योकि स्वयं की चेतन आत्मा हमें सही गलत का राह दिखाती है पर हम स्वार्थ, लोभ, आकांछा के वश में फँसकर अंतरमन की बात को नही सुन वर्तमान की चकाचौंध की आवाज में खो जाते है।

श्री कृष्ण में गीता में कहा कर्म कर फल की चिंता ना कर को मैं यो कहूँ की हमें तेजपत्ता ज्यूँ निष्ठावान कार्यकर्ता बन कार्य करना चाहिए जिससे हम कर्मो की मार से भी बच सके। अगर हम हरा धनिया ज्यों चापलूस कार्यकर्ता बनेंगे तो हो सकता है हम किसी और का श्रेय खुद के नाम से भुना लोकप्रियता भी हो सकते है पर बाद में उसे उसके द्वारा किये छल कपट के कर्मो से उसे कौन बचा पायेगा।

एक गीत का मुखड़ा स्मृति में आ रहा है - 
मनुज कर्मो का नौकर है, 
राजा राणा सब नीचे है करनी ऊपर है, मनुज कर्मो का नौकर है।।

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के प्रतापी सूर्य 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी कई बार श्रावक कार्यकर्ता बनने के संदर्भ में कहते है। जब हम श्रावक कार्यकर्ता बनने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे तो कर्मो को भी समझ पाएंगे तो आइए हम सब कर्मो को समझ चापलूस कार्यकर्ता की जगह निष्ठावान कार्यकर्ता बनें। ताकि नकली हीरा ज्यों चमक नहीं, असली हीरे ज्यों चमक हमारे आत्मार्थी जीवन में आ सके।

शनिवार, सितंबर 01, 2018

क्रांतिकारी संत मुनि तरुण सागर जी के निधन से शोक में डूबा जैन समाज

1 सितंबर 2018, दिल्ली, प्रज्ञापाथेय, क्रांतिकारी संत मुनि तरुण सागर जी महाराज का शनिवार सुबह देश की राजधानी दिल्ली में निधन हो गया। आप 51 वर्ष के थे। मुनि श्री का स्वास्थ्य कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी। 
मैक्स अस्पताल की ओर से कहा गया था कि उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का निधन शनिवार सुबह लगभग 3 बजकर 11 मिनट पर हुआ। कृष्णानगर के राधेपूरी में उऩ्होंने अंतिम सांस ली। जैन मुनि के पार्थिक शव को राधे पुरी से मोदीनगर (यूपी) ले जाया गया। यहां पर तरुण सागर जी नाम से एक आश्रम है, जहां आपका अंतिम संस्कार होगा। बताया जा रहा है कि जैन मुनि तरुण सागर बुखार और पीलिया की बीमारी से जूझ रहे थे। वैशाली के मैक्स अस्पताल में उन्हें करीब 15 दिन तक भर्ती रखा गया था।
मुनि तरुण सागर के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। उन्होंने शोक संदेश के साथ जैन मुनि के साथ अपनी एक फोटो भी ट्वीट कर लिखा है की - 'जैन मुनि तरुण सागर के निधन पर गहरा दुख हुआ है। हम उन्हें उनके उच्च विचारों और समाज के लिए योगदान के लिए याद करेंगे। उनके विचार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।' 
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी शोक जताते हुए ट्वीट किया की - 'जैन मुनि श्रद्धेय तरुण सागर जी महाराज के असामयिक महासमाधि लेने के समाचार से मैं स्तब्ध हूं। वे प्रेरणा के स्रोत, दया के सागर एवं करुणा के आगार थे। भारतीय संत समाज के लिए उनका निर्वाण एक शून्य का निर्माण कर गया है। मैं मुनि महाराज के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जैन मुनि तरुण सागर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- 'उनके शिक्षा और विचार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।'
उल्लेखनीय है कि प्रवास स्थल के बाहर सैकड़ों श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए मुनि श्री तरुण सागर चार बार मकान की बालकनी में आए और फिर अंदर चले गए थे।
मुनि तरुण सागर जी का असली नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्‍म 26 जून 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में हुआ था। आपने 1981 में उन्होंने घर छोड़ दिया और दीक्षा ली थी। जैन मुनि तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिए काफी मशहूर थे। वे मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा में प्रवचन भी कर चुके थे। 
मुनि श्री तरुण सागर जी के निधन सम्पूर्ण जैन समाज की अपूर्णीय क्षति है। आपके समाज सुधार के लिए दिए गए कड़वे प्रवचन व्यक्ति को भीतर से झकझोर देते थे जिससे व्यक्ति सुधार की प्रक्रिया को अपना अपने व्यक्तित्व का नवनिर्माण करने के लिए गतिशील होता था। आपने जैन समुदाय की एकता के लिए सराहनीय कार्य किया था।