21/4/2021, विहार के मध्य आज श्रद्धा-भक्ति का अनूठा दृश्य देखने को मिला। पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जब विहार करा रहे थे तभी सामने से आता एक ट्रक सहसा शांतिदूत के समक्ष रुक गया और उसमें से ट्रक ड्राइवर ने उतरकर गुरुदेव को कुछ रुपए भेंट करने चाहे। जब उसे साधुचर्या के बारे में बताया गया कि जैन साधु रूपए-पैसे आदि नहीं लेते तब वह विस्मित हो उठा। आचार्यश्री की प्रेरणा से उसने शराब आदि नशे को छोड़ते हुए नशामुक्ति की भावना व्यक्त की। शांतिदूत के चरणों में नोट चढ़ाने आया वह व्यक्ति मानों अपने जीवन की खोट चढ़ा गया।
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