हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ ।
जन-जन है डरा हुआ,
हर मन है घुटन से भरा हुआ ।
आशा की नव किरण जगाने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ....
नकारात्मकता फैली है चहुँ ओर,
मृत्यु का भय फैला हर ओर ।
आत्म विजय का पाठ पढ़ाने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....
तन की "इम्युनिटी" हुई है क्षीण,
हर मन हुआ है जीर्ण - शीर्ण ।
प्रेक्षा से प्रज्ञा को जगाने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....
हिंसा का तांडव है फैला,
प्रेम भाव मानव है भुला ।
अहिंसा का नव अभियान चलाने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....
जीवन जीना, पर कैसे जीना ?
कैसे चलना, सोना, खाना ?
जीने का विज्ञान सिखाने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....
महाप्रयाण दिवस द्वादश है आया,
सरदारशहर समाधि स्थल मन भाया ।
जन जन को "पावन" दर्श दिराने,
हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ .....
श्री पवन फुलफगर, सूरत - लाडनूँ की भावपूर्ण प्रस्तुति तेरापंथ के दशमाधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के द्वादशम महाप्रयाण दिवस की पूर्व संध्या पर।
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