सोमवार, जनवरी 30, 2023

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डा. सी. वी. आनंद बोस जी से राजभवन में मुनि श्री जिनेश कुमार जी की शिष्टाचार भेंटवार्ता

मैं जैन धर्म का विशेष सम्मान करता हूँ - राज्यपाल डा.सी.वी.  आनंद बोष जी

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी एवं सहवर्ती मुनिश्री परमानंद जी, मुनिश्री कुणाल कुमार जी राजभवन पधारने पर राज्यपाल डा.सी.वी. आनंद  बोस जी से शिष्टाचार भेंट एवं वार्तालाप कार्यक्रम समायोजित हुआ।


वार्तालाप के दौरान मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने राज्यपाल डा. सी. वी. आनन्द बोस जी को जैन धर्म, तेरापंथ धर्मसंघ, आचार्य श्री भिक्षु आचार्य श्री तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी, आचार्य श्री महाश्रमण जी, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान, अहिंसा यात्रा आदि के बारे में मौलिक जानकारी देते हुए संघीय संस्थाओं एवं सेवा कार्यों से परिचित कराया। वार्तालाप के दौरान मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा - भारतीय संस्कृति के चार स्तंभ है-चरित्र, समानता, स्वतंत्रता. भाईचारा । इन चारों स्तंभों पर भारतीय संस्कृति का महल टिका हुआ है। आचार्यश्री महाश्रमण जी की अहिंसा यात्रा के तीन उद्देश्य सद्‌भावना नैतिकता और नशामुक्ति देश के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इंसान में इंसानियत बनी रहे यह बहुत अपेक्षित है।

वार्तालाप के दौरान राज्यपाल डा. सी.वी. आनंद बोस जी ने कहा मैं जैन धर्म का विशेष सम्मान करता हूँ। जैन समाज - का देश के विकास में अहम् योगदान है। जैन समाज जो कार्य करता है उसमें नैतिकता विशेष रूप से जुड़ी हुई  होती है। मैं आपको राजभवन में कार्यक्रम करने के लिए आमंत्रित करता हूँ।राज्यपाल महोदय ने बहुत ही रूचि के साथ मुनि श्री से वार्तालाप किया और जैन धर्म के सन्दर्भ में जानकारी भी प्राप्त की ।


इस अवसर पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, कोलकाता के अध्यक्ष अजय भंसाली ,भेंटवार्ता के योजनाकार अमित जैन तातेड़, अ.भा. ते.यु.प. के कार्यकारिणी सदस्य सुनील दुगड, कोलकाता मेन ते.यु.प. के अध्यक्ष ऋषभ सुराणा, काम्या दुगड़, अभिषेक मणोत ऋषभ कोठारी, अंकित मणोत विशेष रूप से उपस्थित थे। राज्यपाल महोदय का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप से सम्पादित करने में रवि बैद भागलपुर का विशिष्ट योगदान रहा।

शनिवार, जनवरी 21, 2023

सुविचार


"कहते हैं कि मुसीबत कभी अकेले नहीं आती, उसके बाल-बच्चे भी साथ होते हैं । अभी एक कठिनाई से छूटे नहीं कि दूसरी आ धमकी। जीवन एक संग्राम है । इसे कायरों को भी लड़ना पड़ता है, शूरवीरों को भी । कठिनाइयां, दुःख, मुसीबतें ऐसे ही शत्रु हैं, जिनसे हमें लड़ना ही पड़ेगा । इनसे पीछा छुड़ाना असंभव है, फिर इन्हें साहस के साथ क्यों न ललकारें ? क्यों न वीर योद्धाओं के समान इनसे जूझें ? जीवन-संग्राम में वही विजय पाता है, जो कठिनाइयों से रक्त की अंतिम बूंद रहने तक, जीवन की अंतिम सांस तक लड़ता है । जीवन का श्रेय भी इसी में है कि मुसीबतों में घबराएं नहीं, उनके साथ संघर्ष करें ।"


साभार ; श्री गजेंद्र नाहटा (Whatsapp ग्रुप के माध्यम से)

मंगलवार, जनवरी 17, 2023

नैतिकता से महके मानव जीवन - आचार्य महाश्रमण


फलसुंडवासियों पर बरसी गुरुकृपा, एक दिवस पूर्व ही युगप्रधान का मंगल पदार्पण


18 कि.मी. प्रलम्ब विहार कर मुख्यमुनि की जन्मस्थली फलसुंड पधारे ज्योतिचरण


17.01.2023, मंगलवार, फलसुंड, जैसलमेर (राजस्थान), मंगलवार का दिन आज फलसुंडवासियों के लिए मंगल ही मंगल लेकर आया। जब युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का निर्धारित दिवस से एक दिन पूर्व ही फलसुंड में धवल सेना संग पावन पदार्पण हुआ तो वर्षों से आराध्य के आगमन को प्रतीक्षारत श्रद्धालु श्रावक–श्राविकों का हर्ष हिलोरे लेने लगा। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज प्रातः जाखड़ ग्राम से मंगल विहार किया। 5-6 डिग्री सेल्सियस तापमान के सर्द मौसम में आमजन जहां घरों से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचते है, ऐसे में जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध गुरुदेव सदा की भांति समत्व भाव से पदयात्रा के साथ गतिमान हुए। रेतिले धोरों की मरुधरा पर बाड़मेर जिले से जैसलमेर जिले में गुरुवर का प्रवेश हुआ। लगभग 12 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री मानासर के राजकीय विद्यालय में प्रवास हेतु पधारे। इस दौरान ग्रामवासियों से श्रद्धा भावों से शांतिदूत का स्वागत किया।


पूर्व निर्धारित यात्रा पथ के अनुसार धवल सेना का फलसुंड पदार्पण 18 जनवरी को संभावित था, किन्तु फलसुंडवासियों की तीव्र भावना एवं भक्ति भाव भरे निवेदन पर गुरुदेव ने स्वीकृति प्रदान की और मुख्यमुनि श्री महावीरकुमार जी की जन्मभूमि फलसुंड पर अनुग्रह कर आज ही पधारने की घोषणा की। लगभग 10 वर्ष पूर्व सन् 2012 में आचार्यश्री महाश्रमण फलसुंड में पधारे थे उस समय चार दिवसीय प्रवास यहां प्रदान किया था। तब मुख्यमुनि सामान्य मुनि अवस्था में थे। वर्तमान में मुख्यमुनि बनने के पश्चात अपनी जन्मभूमि पर आचार्यप्रवर के साथ उनका प्रथम बार यह आगमन हुआ है। एक दिवसीय अतिरिक्त प्रवास पाकर क्षेत्रवासियों का उल्लास द्विगुणित हो गया। मध्याह्न में लगभग 6 कि.मी. का विहार कर आचार्यप्रवर फलसुंड में श्री सवाईचंदजी कोचर के निवास स्थान पर रात्रि प्रवास हेतु पधारे।


मंगल प्रवचन में उद्बोधन देते हुए आचार्यश्री ने कहा- दुनियां में अनेक प्रकार के पाप बताए गए हैं। जैन धर्म में 18 प्रकार के पापों का वर्णन आता है। जिनमें अदत्तादान पाप तीसरा पाप है। अदत–आदान अर्थात जो नहीं दिया गया उसको लेना, चोरी करना। पराया धन तो धूलि के समान होता है। व्यक्ति को किसी दूसरे की वस्तु को हडपने का प्रयास नहीं करना चाहिए। साधु महाव्रती होते है उनके सर्व प्रकार की चोरी का त्योग होता है। गृहस्थ भी बड़ी चोरी से बचने का प्रयास करे और जितना संभव हो सूक्ष्म चोरी से भी बचे। जीवन में ईमानदारी, नैतिकता की सौरभ से महके यह जरुरी है। 


शांतिदूत ने एक कथा के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि चोरी के दो मुख्य कारण हो सकते है - अभाव और लोभ। बेरोजगारी, अभाव, गरीबी में आकर व्यक्ति चोरी की दिशा में बढ सकता है। इसी प्रकार लालच भी चोरी का एक बड़ा कारण है। व्यक्ति इन सबसे बचने का प्रयास करे। मनोबल के द्वारा और साधु, संतों की संगति में त्याग आदि ग्रहण कर व्यक्ति अदत्तादान पाप से बच सकता है।


कार्यक्रम में आचार्यप्रवर की प्रेरणा से ग्रामवासियों ने नैतिकता एवं नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। फलसुंड की ग्रामीण बहनो ने गीत के द्वारा अपनी भावनाएं रखी।


गुरुवार, जनवरी 12, 2023

अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन


बालोतरा। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा स्थानीय न्यू तेरापंथ भवन में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन का योजन किया गया। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि विद्यार्थियों को तीन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है - सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति। इनका निरंतर विकास होता रहे। विशेषकर विद्यार्थी नशे से दूर रहे एवं जीवन में अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों की पालना करते हुए अपने जीवन को पवित्र बनाने का अभ्यास करें।


कार्यक्रम में मुनि श्री योगेश कुमार जी ने प्रेरणा देते हुए फरमाया विद्यार्थी प्रतिदिन जीवन विज्ञान के प्रयोग कर अपने जीवन को ऊर्जावान बना सकते हैं। मुनि श्री ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान के प्रयोग करवाए। श्वासप्रेक्षा, महाप्राण ध्वनि एवं मंत्र उच्चारण करवाए गए। 


कार्यक्रम में मुनि श्री मनन कुमार जी का भी उपस्थित थे। अणुव्रतसेवी एवं राज्य प्रभारी श्री ओम जी बांठिया ने बताया कि बालोतरा के आसपास के क्षेत्रों में अणुव्रत समिति द्वारा जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा शहर की दीवारों पर अणुव्रत आन्दोलन, जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति के स्लोगन पेंटिंग किए गए। इस कार्यक्रम में तुलसी किड्स स्कूल, शांति निकेतन स्कूल, नवकार विद्या मंदिर, राजकीय उच्च बालिका विद्यालय एवं वर्धमान स्कूल आदि विद्यालय के प्राचार्य एवं लगभग 500 विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। समिति द्वारा विद्यालय प्राचार्य को आचार संहिता के फोल्डर भेंट किए गए। कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में ओसवाल समाज अध्यक्ष श्री शांतिलाल जी डागा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री धनराज जी ओस्तवाल एवं तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति आदि सभी के पदाधिकारी व सदस्यगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार अणुव्रत समिति मंत्री सुरेश बागमार ने किया।