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गुरुवार, जनवरी 12, 2023

अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन


बालोतरा। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा स्थानीय न्यू तेरापंथ भवन में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन का योजन किया गया। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि विद्यार्थियों को तीन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है - सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति। इनका निरंतर विकास होता रहे। विशेषकर विद्यार्थी नशे से दूर रहे एवं जीवन में अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों की पालना करते हुए अपने जीवन को पवित्र बनाने का अभ्यास करें।


कार्यक्रम में मुनि श्री योगेश कुमार जी ने प्रेरणा देते हुए फरमाया विद्यार्थी प्रतिदिन जीवन विज्ञान के प्रयोग कर अपने जीवन को ऊर्जावान बना सकते हैं। मुनि श्री ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान के प्रयोग करवाए। श्वासप्रेक्षा, महाप्राण ध्वनि एवं मंत्र उच्चारण करवाए गए। 


कार्यक्रम में मुनि श्री मनन कुमार जी का भी उपस्थित थे। अणुव्रतसेवी एवं राज्य प्रभारी श्री ओम जी बांठिया ने बताया कि बालोतरा के आसपास के क्षेत्रों में अणुव्रत समिति द्वारा जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा शहर की दीवारों पर अणुव्रत आन्दोलन, जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति के स्लोगन पेंटिंग किए गए। इस कार्यक्रम में तुलसी किड्स स्कूल, शांति निकेतन स्कूल, नवकार विद्या मंदिर, राजकीय उच्च बालिका विद्यालय एवं वर्धमान स्कूल आदि विद्यालय के प्राचार्य एवं लगभग 500 विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। समिति द्वारा विद्यालय प्राचार्य को आचार संहिता के फोल्डर भेंट किए गए। कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में ओसवाल समाज अध्यक्ष श्री शांतिलाल जी डागा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री धनराज जी ओस्तवाल एवं तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति आदि सभी के पदाधिकारी व सदस्यगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार अणुव्रत समिति मंत्री सुरेश बागमार ने किया।


गुरुवार, नवंबर 17, 2022

विद्यालय वह मन्दिर जहाँ तराशी जाती है बच्चों की प्रतीभा - अर्हत कुमार जी



विद्यालय वह पावन मंदिर है यहां अनगढ़ पत्थर आते है जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ती के रुप मे निर्मित होते है। विद्यालय जहां बच्चे शिक्षित होते है और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते है। विद्यालय वह पावन धाम है जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। आपने आगे कहा- बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिन्दगी मे नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह मात-पिता का आर्शीवाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणो का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।

युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने सभी मे जोश भरते हुए कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान।

बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये।


आज सुबह मुनि श्री 17 KM का विहार कर कलम्बेला Government Higher Primary School मे पधारे। जहाँ के अनिल कुमार D ने मुनि श्री जी का स्वागत किया और उनके आगमन को अपना सौभाग्य माना। मुनि श्री के सेवा मे तेयुप बेंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया । मुनि श्री के सानिध्य मे कैसे हो भारत के भविष्य का निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया।


मुनिश्री अर्हत कुमारजी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनिश्री भरत कुमारजी ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये । हिन्दी से कन्नड़ मे अनुवाद रजत वैद ने किया। महिला मंडल कि ओर से लता गादिया और बिमला भंसाली उपस्थित रहे।कार्यक्रम मे 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।

रविवार, दिसंबर 05, 2021

मानव का शरीर एक नौका के समान है - आचार्य महाश्रमण

धर्म-साधना द्वारा संसार सागर से तरने का प्रयास करे मानव

आचार्यश्री की प्रेरणा से ग्रामीणों ने स्वीकार किए अहिंसा यात्रा के संकल्प 

05.12.2021, रविवार, अरनेठा, बूंदी (राजस्थान), मानव-मानव को मानवता की प्रेरणा देने वाली, लोगों में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की अलख जगाने वाली अहिंसा यात्रा वर्तमान में बूंदी जिले की सीमा में गतिमान है। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी के कुशल नेतृत्व में अहिंसा यात्रा बूंदी जिले के नित नए गांव में मानवता की अलख जगा रही है। रविवार को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी अहिंसा यात्रा के साथ गामछ गांव से प्रातः की बेला में मंगल विहार किया। रास्ते में अनेक गांवों के ग्रामीण आचार्यश्री के दर्शन और आशीर्वाद से लाभान्वित हुए। सबको आशीर्वाद बांटते, लोगों को प्रेरित करते आचार्यश्री लगभग 16 किलोमीटर का विहार कर अरनेठा गांव स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में पधारे तो इस विद्यालय सहित पूरा अरनेठा पावनता को प्राप्त हो गया। रविवार को विद्यालय की छुट्टी होने के बावजूद भी आज पूरा विद्यालय स्थानीय ग्रामीणों व श्रद्धालुओं से भरा हुआ था। ग्रामीणों तथा विद्यालय से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन किया। 

 मध्याह्न के उपरान्त आचार्यश्री ने अपनी मंगलवाणी से अरनेठावासियों को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मानव का शरीर एक नौका के समान है, जीव इसका नाविक है और यह संसार सागर के समान है। त्यागी संत और महर्षि लोग इस संसार सागर को तर जाते हैं। गृहस्थ भी धर्म-साधना के द्वारा इस संसार सागर को तरने का प्रयास कर सकता है। शरीर है तो इससे साधना करते हुए आदमी को तरने का प्रयास करना चाहिए। शरीर रूपी नौका में आश्रव रूपी छेद भी हो सकता है। हिंसा, चोरी, झूठ, क्रोध, लोभ आदि आश्रव रूपी वह छिद्र हैं जो मानव जीवन रूपी नौका में पाप का पानी भरते हैं, जिसके कारण यह नौका संसार सागर में डूबती रहती है। जैन धर्म में अठारह पाप बताए गए हैं। आदमी को पापकर्मों से बचने हुए इस शरीर रूपी नौका निश्छिद्र बनाने का प्रयास करना चाहिए। संतों की वाणी, भगवान का ध्यान, उनकी कथा श्रवण आदि के माध्यम से अपने जीवन में धर्म को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ अच्छे हों, उनमें सद्गुणों का विकास हो, जीवन में धार्मिकता का विकास हो तो यह जीवन भव सागर से पार पाने वाला और कल्याणपथगामी बन सकता है। 

 मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने बड़ी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों को जैन साधुचर्या व अहिंसा यात्रा की अवगति प्रदान कर उन्हें अहिंसा यात्रा के संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान तो ग्रामीणों ने खड़े होकर संकल्पों को स्वीकार किया। आचार्यश्री ने उन्हें व्यसनों से मुक्त रहने की विशेष प्रेरणा व पावन आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के आगमन से मानों पूरा विद्यालय परिसर और आसपास का क्षेत्र मेला जैसा बना हुआ था। ग्रामीण जन पूरे दिन भर आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित होते रहे। उन्हें यथानुकूलता आचार्यश्री के दर्शन व आशीष का लाभ पूरे दिन प्राप्त होता रहा। 

साभार : महासभा कैम्प आफिस

सोमवार, सितंबर 27, 2021

नागपुर में मनाया गया जीवन विज्ञान दिवस

जीवन विज्ञान दिवस

नागपुर, 27 सितंबर 2021, अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का दूसरा दिन, जीवन विज्ञान दिवस। कार्यक्रम की शुरुआत, महिला मंडल ने अणुव्रत गीत से की। साध्वी रिद्धि श्री जी ने उद्बोधन में कहा - शारीरिक मानसिक भावनात्मक विकास जरूरी है। सुंदर उदाहरण द्वारा उन्होंने बहुत अच्छे ढंग से समझाया। जीवन बिना लक्ष्य के, बिना उद्देश्य के, तथा बिना जीने की कला आए, व्यर्थ है। साध्वी वर्धमान श्री जी ने अपने उदबोधन में फरमाया - जीवन जीने की कला, बिना प्रयोग के संभव नहीं है। उन्होंने सुंदर गीतिका द्वारा प्रेक्षा ध्यान का महत्व समझाया। कुछ प्रयोग करवाएं। साथ ही श्वास प्रेक्षा तथा श्वास स्वर के द्वारा चिकित्सा कैसे कर सकते हैं, बताया। शरीर आपका ऑर्डर मानता है। बस दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ प्रयोग करें। सफलता जरूर मिलेगी। मंच संचालन प्रेक्षा ट्रेनर जतन जी मालू ने किया। साथ ही उन्होंने प्राणिक हीलिंग का छोटा सा सुंदर प्रयोग भी कराया।

रविवार, सितंबर 26, 2021

अणुव्रत समिति नागपुर ने किया संप्रदायिक सौहार्द दिवस का आयोजन

अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी, द्वारा 26 सितंबर से 2 अक्टूबर अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह प्रतिवर्ष मनाया जाता है। आज दिनांक 26 सितंबर, रविवार को अणुव्रत समिति नागपुर  ने केंद्र द्वारा निर्देशित संप्रदायिक सौहार्द दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री समीक्षा प्रभा जी,धृति प्रभा जी और राज श्री जी द्वारा अणुव्रत गीत से किया गया। नागपुर अणुव्रत समिति अध्यक्ष राजेंद्र जी पटावरी ने अपने वक्तव्य में स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हुए कहा कि मैं अणुव्रत का  कार्यकर्ता हूँ। उन्होंने और भी अणुव्रत संबंधित जानकारी दी। साध्वी श्री जी द्वारा वक्तव्य, कविता तथा गीत का संगान किया गया। विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों का वक्तव्य हुआ। साध्वी चंदनबाला जी ने उद्बोधन में कहा - जब प्रकृति, कुदरत अपनी उर्जा देने में भेदभाव नहीं करते हैं ,तो फिर हम क्यों करें। साथ ही कहा संप्रदायिकता घातक है।केवल प्रोग्राम लेने मात्र से कुछ नहीं होगा, अपितु स्वयं में सुधार करना पड़ेगा। आपके व्यवहार में आचार में नैतिकता दिखनी चाहिए। नैतिकता से शुन्य जीवन का कोई अर्थ नहीं है।

 ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा (हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई) अलग-अलग गेट अप में आ, सौहार्द सद्भावना का संदेश दिया। प्रोग्राम का कुशल संचालन मंत्री श्रद्धा जवेरी ने किया ।

सोमवार, नवंबर 02, 2020

गायन, चित्रकला, भाषण और लेखन प्रतियोगिताओं का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन शीघ्र

अणुव्रत आंदोलन द्वारा नई पीढ़ी के नव निर्माण की अनूठी पहल

नई पीढ़ी में रचनात्मकता और सकारात्मकता के विकास को केन्द्र में रख कर अणुव्रत आन्दोलन की प्रतिनिधि संस्था अणुव्रत विश्व भारती द्वारा पूरे देश में अणुव्रत क्रिएटिविटी कॉन्टेस्ट के नाम से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। गायन, चित्रकला, भाषण और कविता व निबन्ध लेखन जैसी रचनात्मक विधाओं में होने वाली इन प्रतियोगिताओं में तीन वर्गों में कक्षा 3 से 12 तक के बच्चे भाग ले सकेंगे। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए शीघ्र ही वेबसाइट और ऐप लॉन्च किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इनमें से कुछ प्रतियोगिताएं पिछले 25 वर्षों से आयोजित की जा रही हैं लेकिन कोरोना जनित परिस्थितियों के चलते पहली बार इन्हें ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आयोजित किया जा रहा है।


अणुविभा के अध्यक्ष श्री संचय जैन ने बताया कि ये प्रतियोगिताएं पूर्णतः ऑनलाइन आयोजित होंगी जिसमें बच्चे अपनी स्कूल के माध्यम से अथवा सीधे भी पंजीकरण करवा कर अपनी प्रविष्ठि अपलोड कर सकेंगे। प्रतियोगियों में बिना किसी जाति, धर्म, वर्ग या लैंगिक भेदभाव के कक्षा 3 से 12 का कोई भी बच्चा भाग ले सकेगा और यह पूर्णतः निशुल्क होगी। शहर व जिला स्तर पर ई प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे एवं राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रतियोगियों को चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। प्रतियोगिताओं का मुख्य विषय है - "कोरोना वैश्विक संकट : प्रभाव, समाधान और अवसर" जिसके अन्तर्गत दिए गए अनेक उप विषयों में से बच्चे अपनी पसन्द के विषय पर प्रस्तुति दे सकेंगे।


उल्लेखनीय है कि 7 दशक पूर्व महान संत आचार्य तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन मानवीय मूल्यों के संवर्द्धन के लिए अपने बहुआयामी रचनात्मक प्रकल्पों के माध्यम से निरन्तर प्रयासशील है। अणुव्रत दर्शन की यह मान्यता है छोटे-छोटे व्रत स्वीकार कर व्यक्ति स्वयं को सकारात्मक दिशा में अग्रसर कर सकता है और सुधरे व्यक्ति से ही समाज, राष्ट्र और विश्व सुधर सकता है। वर्तमान में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण इस आन्दोलन को आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं और अहिंसा यात्रा के रूप में हजारों किलोमीटर की पदयात्राएं करके जन-जन को नैतिकता, सद्भावना और नशामुक्ति का संदेश दे रहे हैं। 


नई पीढ़ी का संस्कार निर्माण अणुव्रत आंदोलन की प्रमुख प्रवृत्तियों में शामिल रहा है और अणुव्रत विश्व भारती का राजसमंद स्थित मुख्यालय चिल्ड्रन'स पीस पैलेस बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक प्रयोगशाला है जहां कुछ दिन बीता कर ही बच्चे अपने आप को रूपांतरित अनुभव करते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रणीत जीवन विज्ञान पाठ्यक्रम नई पीढ़ी के नव निर्माण का सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से लाखों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।


श्री जैन ने बताया कि प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक स्कूल और बच्चों के लिए शीघ्र ही वेबसाइट का लिंक शेयर किया जाएगा। प्रतियोगिता की तैयारियों के लिए अणुविभा की केंद्रीय टीम में अध्यक्ष श्री संचय जैन के अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अविनाश नाहर, महामंत्री श्री राकेश नौलखा, मंत्री श्री प्रकाश तातेड, सह मंत्री श्री जय बोहरा प्रतियोगिताओं के राष्ट्रीय संयोजक श्री रमेश पटावरी एवं लगभग 150 से अधिक जोनल, राज्य एवं स्थानीय संयोजकों की टीम दिन रात तैयारियों में जुटी है। श्री विमल गुलगुलिया के तकनीकी सहयोग से प्रतियोगिता के लिए वेबसाइट एवं ऐप तैयार किया गया है।