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शुक्रवार, मार्च 17, 2023

भाग्योदय

जब भाग्य का उदय होता है तो भगवान भी भक्त को दर्शन देने स्वयं आ जाते है। यह अहमदाबाद - बारडोली का नन्हा सा श्रावक जन्म के एक दिन बाद ही तीर्थंकर के प्रतिनिधि आचार्य श्री महाश्रमण जी से मंगलपाठ श्रवण कर रहा है, इस वीडियो को जब देखा तो मन में आया कि कितना सौभाग्यशाली है होगा यह बालक जिसको अपने जन्म के एक दिन उपरांत ही पूज्यप्रवर से मंगल पाठ सुनने का अवसर प्राप्त हुआ वो भी इतनी नजदीक से मंगलपाठ सुना ऐसा अवसर विरलों को ही प्राप्त होता है। 



आप स्वयं भी मंगलपाठ सुनते हुए इस 26 सेकेंड के वीडियो को देखे और लाइक शेयर करते हुए कॉमेंट बॉक्स में जय जय महाश्रमण लिखें।

मंगलवार, दिसंबर 20, 2022

भौतिकता पर रहे आध्यात्मिकता का अंकुश : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

 


20.12.2022, मंगलवार, कुड़ी, जोधपुर (राजस्थान), जनकल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में कांकाणी से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर कुड़ी स्थित जिनेट प्रा. लि. में पधारे तो जोधपुर के श्रद्धालुओं व जिनेट आफिस के कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने जिनेट के परिसर में श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान कर अल्पकालीन प्रवास पुनः भक्तों की भावनाओं को देखते हुए सान्ध्यकालीन विहार किया। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए लगभग छह किलोमीटर का सान्ध्यकालीन विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर नम्बर दो में स्थित श्री मर्यादा कोठारी के निवास स्थान में पधारे। जहां नगरवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ। श्रद्धालुओं की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एक दिन में कुल लगभग 22 किलोमीटर का विहार किया। 


जिनेट में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ ने एक ही जन्म में भौतिक जगत के सबसे सर्वोच्च पद चक्रवर्ती को भी प्राप्त किया और भौतिक जगत का परित्याग किया तो अध्यात्म जगत के सर्वोच्च पद तीर्थंकर पद को भी प्राप्त कर लिया। अध्यात्म के समक्ष भौतिकता की बात बौनी-सी बात होती है। गृहस्थ के पास संपदा का भण्डार हो सकता है, किन्तु संयम रत्न के समक्ष उसकी समस्त सम्पदाएं मानों तुक्ष-से होते हैं। धन तो इसी जीवन में उपयोेग में आ सकता है, किन्तु संयम रूपी रत्न आगे भी काम आ सकता है। 


गृहस्थों को भौतिक संपदाओं के विकास पर अध्यात्मिकता का अंकुश लगाए रखने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन को चलाने के लिए भौतिक विकास की आवश्यकता होती है, किन्तु संपदा के अर्जन में नैतिकता, प्रमाणिकता रहे, तो संपदा के अर्जन में अध्यात्म का अंकुश रह सकता है। अर्थाजन में अहिंसा, संयम और प्रमाणिकता रहे तो शुद्धता की बात हो सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित किया। 


आचार्यश्री के आगमन से हर्षित जिनेट के ऑनर श्री सुरेन्द्र पटावरी (बेल्जीयम) व श्री संदीप पटावरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। जिनेट ऑफिस की महिला टीम व राकेश सुराणा के नेतृत्व में पुरुष टीम ने स्वागत गीत का संगान किया। सुश्री खुशी चौपड़ा व श्रीमती मनोनिका चोरड़िया ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। ऑफिस के सदस्यों ने आचार्यश्री से कार्यालय समय के दौरान आधा घण्टा तक मोबाइल का यूज न करने का संकल्प स्वीकार किया। 


प्रलम्ब विहार, मंगल प्रवचन के बाद भी भक्तों की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अल्पसमय का विश्राम कर पुनः सान्ध्यकालीन विहार को गतिमान हुए। आचार्यश्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति से अनायास ही भव्य जुलूस-सा दृश्य उपस्थित हो गया। आचार्यश्री लगभग छह किलोमीटर का विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर दो में स्थित कोठारी परिवार के निवास स्थान में पधारे, जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ। 


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रविवार, दिसंबर 04, 2022

मातृभाषा के प्रति हम कितने जागरूक



हम आपाधापी की दौड़ में अपने को अपडेट बताने के चक्कर में क्या कही हिंदी भाषा को हीन तो नही समझ रहें? 

हमें जैसे दुनिया की नजर में अपडेट दिखना जरूरी होता है वैसे ही हिंदी के प्रति भी संवेदनशील होना अति आवश्यक है। यह जान ले व्यक्ति जैसे स्वयं को सुंदर दिखाने के लिए मेकअप करता है बाद में वह उस मेकअप को साफ भी करता है वैसे ही मातृभाषा के प्रति गंभीरता से चिंतक करें कि पाश्चात्य भाषा तो मात्र मेकअप है जबकि मातृभाषा हमारी धरोहर है, सम्मान है, अभिमान है हम इसको विस्मृत ना करें और अपनी भाषा से प्रेम करें। 
मेरे पास किसी व्हाट्सएप ग्रुप में हिंदी को समर्पित यह वीडियो आया जो आपके साथ भी साझा कर रहा हूँ। जिससे हमारी आंखें खुलें। परायों को अपनाते अपनाते कहीं हमारे अपने तो नहीं छूट रहे। 
मातृभाषा के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से नजर बट्टू टीम द्वारा निर्मित यह हृदयस्पर्शी वीडियो पूरा देखकर आत्मावलोकन जरूर करें आपको मालूम होगा हम वास्तव में कितने गलत हैं...।

#MOTHERTOUNG #pankajdudhoria

गुरुवार, नवंबर 17, 2022

विद्यालय वह मन्दिर जहाँ तराशी जाती है बच्चों की प्रतीभा - अर्हत कुमार जी



विद्यालय वह पावन मंदिर है यहां अनगढ़ पत्थर आते है जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ती के रुप मे निर्मित होते है। विद्यालय जहां बच्चे शिक्षित होते है और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते है। विद्यालय वह पावन धाम है जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। आपने आगे कहा- बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिन्दगी मे नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह मात-पिता का आर्शीवाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणो का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।

युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने सभी मे जोश भरते हुए कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान।

बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये।


आज सुबह मुनि श्री 17 KM का विहार कर कलम्बेला Government Higher Primary School मे पधारे। जहाँ के अनिल कुमार D ने मुनि श्री जी का स्वागत किया और उनके आगमन को अपना सौभाग्य माना। मुनि श्री के सेवा मे तेयुप बेंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया । मुनि श्री के सानिध्य मे कैसे हो भारत के भविष्य का निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया।


मुनिश्री अर्हत कुमारजी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनिश्री भरत कुमारजी ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये । हिन्दी से कन्नड़ मे अनुवाद रजत वैद ने किया। महिला मंडल कि ओर से लता गादिया और बिमला भंसाली उपस्थित रहे।कार्यक्रम मे 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।

मंगलवार, नवंबर 15, 2022

अहंकार और संस्कार में फर्क


अहंकार और संस्कार में फर्क है, अहंकार दूसरे को झुका कर खुश होता है, जबकि संस्कार खुद झुक कर खुश होता है। बोलना तो सब लोग जानते हैं, पर कब और क्या बोलना है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। खोलते हुए पानी मे जिस तरह प्रतिबिंब नहीं देखा जा सकता,,,, उसी तरह गुस्से में सच को नहीं देखा जा सकता...!! जिस तरह माचिस की तीली किसी दूसरे को जलाने से पहले खुद जलती है, उसी तरह गुस्सा भी पहले आपको बर्बाद करता है, फिर दुसरो को। गुस्से में भी शब्दों का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि कल जब गुस्सा उतरे तो खुद की नज़रों में शर्मिंदा ना होना पड़े।  अपने किरदार की हिफाजत जान से भी बढ़कर कीजिये, क्योकि इसे जिंदगी के बाद भी याद किया जाता है।

गुरुवार, नवंबर 10, 2022

संस्कारी बेटी तेरापंथ की कार्यक्रम का आयोजन : भुज

युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी के पावन सानिध्य में तेरापंथ महासभा का विशेष उपक्रम बेटी तेरापंथ की के अंतर्गत "संस्कारी बेटी तेरापंथ की" विशेष कार्यक्रम तेरापंथ भवन भुज में आयोजित हुआ। मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने इस अवसर पर फरमाया तेरापंथ धर्मसंघ में महिला जागृति तथा संस्कार संवर्धन के संदर्भ में आचार्य श्री भारमलजी स्वामी ,श्रीमद् जयाचार्य, पूज्य कालूगणि तथा आचार्यश्री तुलसी आदि आचार्यों ने तेरापंथ की बेटी संस्कारवान कैसे बने तथा जिस परिवार की बहू बने वहां भी धार्मिक वातावरण संस्कारी वातावरण बनाए रखें इसके लिए विशेष श्रम किया है ।बेटी संस्कारवान बनती है तो दो कुलों को रोशन करती हैं ।कच्छ भुज में तेरापंथ की बेटियों का सक्रिय संगठन एवं माहौल सन 2013 के आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान बना था। तेरापंथ की बेटियां आज भी गुरुवर के प्रति भक्तिवान बनकर उनके दिशानिर्देश को पालन करने के लिए सदा तत्पर बनी रहती हैं ।मुनिश्री ने आव्हान किया की आगे संभावित आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान तेरापंथ की बेटियां विशेष सेवा दर्शन का लाभ उठाने की योजना तैयार करें ।कार्यक्रम का प्रारंभ नमस्कार महामंत्र उच्चारण से हुआ ।मंगलाचरण वीणा मेहता ने किया ।तेरापंथी महासभा के प्रकल्प बेटी तेरापंथ की जूम मीटिंग एवं ऑनलाइन फॉर्म की जानकारी शांतिलालजी जैन ने दी ।ध्यान प्रयोगों के साथ आदित्य मुनि ने धर्म आराधना की प्रेरणा प्रदान की ।तेरापंथ सभा भुज के अध्यक्ष वाडीभाई मेहता ने उपस्थित सभी तेरापंथी बेटियों का स्वागत किया। महिला मंडल भुज से दीपा मेहता ने मंगल भावना व्यक्त की। तेरापंथी बेटियों की तरफ से पुनीता बहन ने मुनिश्री के प्रति इस तरह के कार्यक्रम आयोजन के लिए कृतज्ञता व्यक्त की ।कार्यक्रम में लगभग 65 के आसपास तेरापंथ की बेटियों ने उत्साह के साथ सहभागिता दर्ज करवाई जिनकी अन्य संप्रदायों में शादी हुई है। मुनि श्री के चातुर्मास ने इस तरह का यह तीसरी बार कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रीति दोशी ने किया।





सोमवार, जून 27, 2022

हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है

ये एक सरल चित्र है, लेकिन बहुत ही गहरे अर्थ के साथ

आदमी को पता नहीं है कि नीचे सांप है और महिला को नहीं पता है कि आदमी भी किसी पत्थर से दबा हुआ है।


महिला सोचती है : - ‘मैं गिरने वाली हूं और मैं नहीं चढ़ सकती क्योंकि साँप मुझे काट रहा है।" आदमी अधिक ताक़त का उपयोग करके मुझे ऊपर क्यों नहीं खींचता!


आदमी सोचता है :- "मैं बहुत दर्द में हूं फिर भी मैं आपको उतना ही खींच रहा हूँ जितना मैं कर सकता हूँ! आप खुद कोशिश क्यों नहीं करती और कठिन चढ़ाई को पार कर लेती । आदमी को ये नहीं पता है कि औरत को सांप काट रहा है ।


नैतिकता : - आप उस दबाव को देख नहीं सकते जो सामने वाला झेल रहा है, और ठीक उसी तरह सामने वाला भी उस दर्द को नहीं देख सकता जिसमें आप हैं।


यह जीवन है, भले ही यह काम, परिवार, भावनाओं, दोस्तों, के साथ हो, आपको एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए, अलग अलग सोचना, एक-दूसरे के बारे में सोचना और बेहतर तालमेल बिठाना चाहिए।

हर कोई अपने जीवन में अपनी लड़ाई लड़ रहा है और सबके अपने अपने दुख हैं। इसीलिए कम से कम जब हम अपनों से मिलते हैं तब एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने के बजाय एक दूसरे को प्यार, स्नेह और साथ रहने की खुशी का एहसास दें, जीवन की इस यात्रा को लड़ने की बजाय प्यार और भरोसे पर आसानी से पार किया जा सकता है।


साभार : फेसबुक

मंगलवार, मार्च 08, 2022

World Women's Day

आज 8 मार्च को सम्पूर्ण विश्व Women's Day अर्थात नारी दिवस मना रहा है। जिसकी बधाई सभी विविध माध्यम से समाज का प्रत्येक वर्ग दे रहा है। मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है हम जन्मदिन, वैवाहिक व मृत्यु के तारीख के तर्ज पर ही शायद Women's Day, Mother's Day, Children Day, Father's Day, Valentine's Day जैसे के मनाने के लिए एक दिवस को चयनित कर सीमा में बांध दिया। जबकि यह सारे दिवस एक दिवसीय नहीं होते ये तो रोज के दिवस है पर हम सभ्य सामाजिक प्राणी है ख़ुशी के इजहार के लिए एक दिन चयन कर लेते है। क्या हम सिर्फ उस एक विशेष घोषित दिन को ही उन्हें बधाई देते है, उनसे आशीर्वाद लेते है या रोज ही आशीर्वाद लेते है या चिंतन करने योग्य बात है। हम दिल की गहराई से चिंतन जरुर करें।


आज समाज का हर वर्ग जब इस दिवस के लिए बधाई प्रेषित कर रहा है इसलिए मैं भी सभी के स्वर के साथ अपना एक स्वर मिलाते हुए आज के दिवस की बधाई देता हूँ। परन्तु मेरी यह बधाई / शुभकामना सिर्फ आज के लिए ही नहीं है। मेरी बधाई / शुभकामना शक्ति की प्रतिक नारी को सदा के लिए समर्पित है।


हम मूलतः नारी को माँ, बहन, जीवनसंगनी या बेटी के रूप में देखते है।


माँ हमें संसार में जन्म दे हमारा पालन पोषण कर शिक्षा दे हमें अलग पहचान देती है।


भाई बहन का सबसे पवित्र रिश्ता भावनओं के तार से जुड़ा होता है बहन जब कलाई में मोली के कच्चे धागों को भावनाओं के स्नेहाशीष से अटूट शक्ति भर बाँधती है जिससे भाई की रक्षा होती है।


जीवनसंगनी विवाह के पश्चात अपने माता - पिता का घर छोड़ जीवन भर 7 वचनों के पवित्र संकल्पों से अपने पति का साथ हर कदम पर देते हुए उसके परिवार का साथ जीवन भर निभाती है।


बेटी एक ऐसी अनमोल कड़ी है जो एक घर नहीं दो घर (जन्म लेकर पिता के घर, विवाह बाद पति के घर) को रौशन करती है।


हम नारी को दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी के रूप में भी देखते है। हम ध्यान से देखे तो ये तीनो रूप एक तरह से शक्ति के ही पर्याय है।


आज इस दिवस को कई जगह सशक्तिकरण के रूप में भी मनाया जा रहा है। मनाना भी चाहिए क्योकि नारी सर्व शक्तिशाली है संसार पुरुष प्रधान हो सकता है पर सहनशीलता और कार्य करने की असीम क्षमता नारी में ही देखने की मिलती जिसमें सहने की क्षमता हो वो ही शक्तिशाली हो सकता है। कमजोर में सहने की क्षमता नहीं होती है। इसलिए मेरा पुरजोर मानना है की प्रत्येक नारी दुर्गा, सरस्वती व लक्ष्मी की प्रतिबिम्ब होती है।


बस यह अलग बात है की शक्ति जिसके पास है वो उसे कैसे उपयोग करता है कैसे उस शक्ति के द्वारा सृजन करता है या विनाश करता है।


कई बार हम सुनते है नारी अबला है, कमजोर है पर मैं यह नहीं मानता मेरा व्यक्तिगत मानना है की शक्ति की प्रतिबिम्ब नारी को सिर्फ नारी ही दबा सकती है अन्य किसी में वो क्षमता नहीं जो शक्तिरूपी नारी से मुकाबला कर सके। क्योकि जो शक्ति एक नए जीवन को संसार में अस्तित्व प्रदान करती है वो कमजोर हो ही नहीं सकती समय आने पर वो सरस्वती रूप में बच्चे की पहली शिक्षक बन ज्ञान, संस्कार प्रदान करती है, लक्ष्मी रूप में विष्णु (पति) के सहयोग से शांति द्वारा समृद्धि लाती है हम सुनते ही है बुजुर्गो से की जहाँ शांति है वहा समृद्धि है वही अन्याय के खिलाफ जब खड़ी होती है तब लोगों द्वारा अबला कहे जाने वाली नारी दुर्गा, काली, चंडी का रूप ले लेती है। नारी कमजोर नहीं हो सकती क्योकि उसमे माँ समाहित है और किसी की उत्पत्ति माँ द्वारा ही हो सकता है। प्रसंगवश कह रहा हूँ  हमारी जिद्द / हट के आगे उसकी माँ, बहन, पत्नी व बेटी झुक जाती है इसका अर्थ यह नहीं की जो झुकता है वो अबला होता है वास्तिवकता यह है की ये हमारे स्नेह के कारण भी कई बार झुकती है। 

हम अध्ययन करे तो लगेगा की हम नारी शक्ति के अनगिनत उदाहरण पढ़ चुके, देख चुके और भविष्य में भी पढने और देखने को मिलेगा पर उस शक्ति को शक्ति माने कैसे यह बात कईयों को आज भी समझ नहीं आती। इसलिए आज सभी से मैं पंकज दुधोडिया कोलकाता से यही कहना चाहता हूँ की -


यह दिवस नहीं

सिर्फ

एक दिवस का

ये दिवस तो रोज

प्रतिदिन आता है।


प्रति दिवस करें हम

शक्ति रूपी को

नमन

जिनसे प्राणी

अस्तित्व पाता है।


"पंकज" कहता यही

हे शक्ति रूपी

स्विकारों बधाई

भावों से नित मेरी

जो अन्तर्मन देता है।।

शनिवार, दिसंबर 25, 2021

मेरे जीवन के सेंटा माता - पिता व गुरु है - पंकज दुधोडिया

आज क्रिसमस के दिन यह मनमोहक तस्वीर देख मन मे विचार आया कि एक मान्यता है सेंटा 25 दिसंबर को गिफ्ट देने आते है पर मैं तो यह कहता हूँ मेरे  जीवन के सेंटा माता - पिता व गुरु है।

माता पिता ने जीवन दिया, संस्कार दिए, कवच बन सदा सुरक्षा की और मेरे आध्यात्मिक गुरु तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य श्री महाश्रमण जी अपने मंगल प्रवचन के माध्यम से रोज सबको अनमोल गिफ्ट देते है आपका गिफ्ट मानव जीवन को उन्नत बनाने के लिए संदेश रूप में नैतिकता, सद्भावना, नशामुक्ति की प्रेरणा देता है यदि यह गिफ्ट सभी ग्रहण कर ले तो विश्व की लगभग तमाम समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा।

शुक्रवार, फ़रवरी 15, 2019

वीर जवानों को हमें सलामी देना है


संसद में बैठे नेताओ से मुझको कुछ कहना है
चुपी है क्यों बोलो सेना को कब तक मरना है।।

भारत माता के रक्षक चौकीदार हमारी सेना है
युद्ध भूमि में शाहिद हुए उनको नमन करना है।।

दे दो आदेश वीर जवानों को अब नही रुकना है
दिवंगत सपूतों का बदला लेकर तुमको आना है।।

बलिदान हुए वीर सैनानी के आगे सर झुकाना है
"पंकज" ऐसे वीर जवानों को हमें सलामी देना है।।