मंगलवार, दिसंबर 20, 2022

भौतिकता पर रहे आध्यात्मिकता का अंकुश : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

 


20.12.2022, मंगलवार, कुड़ी, जोधपुर (राजस्थान), जनकल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में कांकाणी से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर कुड़ी स्थित जिनेट प्रा. लि. में पधारे तो जोधपुर के श्रद्धालुओं व जिनेट आफिस के कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने जिनेट के परिसर में श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान कर अल्पकालीन प्रवास पुनः भक्तों की भावनाओं को देखते हुए सान्ध्यकालीन विहार किया। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए लगभग छह किलोमीटर का सान्ध्यकालीन विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर नम्बर दो में स्थित श्री मर्यादा कोठारी के निवास स्थान में पधारे। जहां नगरवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ। श्रद्धालुओं की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एक दिन में कुल लगभग 22 किलोमीटर का विहार किया। 


जिनेट में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ ने एक ही जन्म में भौतिक जगत के सबसे सर्वोच्च पद चक्रवर्ती को भी प्राप्त किया और भौतिक जगत का परित्याग किया तो अध्यात्म जगत के सर्वोच्च पद तीर्थंकर पद को भी प्राप्त कर लिया। अध्यात्म के समक्ष भौतिकता की बात बौनी-सी बात होती है। गृहस्थ के पास संपदा का भण्डार हो सकता है, किन्तु संयम रत्न के समक्ष उसकी समस्त सम्पदाएं मानों तुक्ष-से होते हैं। धन तो इसी जीवन में उपयोेग में आ सकता है, किन्तु संयम रूपी रत्न आगे भी काम आ सकता है। 


गृहस्थों को भौतिक संपदाओं के विकास पर अध्यात्मिकता का अंकुश लगाए रखने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन को चलाने के लिए भौतिक विकास की आवश्यकता होती है, किन्तु संपदा के अर्जन में नैतिकता, प्रमाणिकता रहे, तो संपदा के अर्जन में अध्यात्म का अंकुश रह सकता है। अर्थाजन में अहिंसा, संयम और प्रमाणिकता रहे तो शुद्धता की बात हो सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित किया। 


आचार्यश्री के आगमन से हर्षित जिनेट के ऑनर श्री सुरेन्द्र पटावरी (बेल्जीयम) व श्री संदीप पटावरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। जिनेट ऑफिस की महिला टीम व राकेश सुराणा के नेतृत्व में पुरुष टीम ने स्वागत गीत का संगान किया। सुश्री खुशी चौपड़ा व श्रीमती मनोनिका चोरड़िया ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। ऑफिस के सदस्यों ने आचार्यश्री से कार्यालय समय के दौरान आधा घण्टा तक मोबाइल का यूज न करने का संकल्प स्वीकार किया। 


प्रलम्ब विहार, मंगल प्रवचन के बाद भी भक्तों की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अल्पसमय का विश्राम कर पुनः सान्ध्यकालीन विहार को गतिमान हुए। आचार्यश्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति से अनायास ही भव्य जुलूस-सा दृश्य उपस्थित हो गया। आचार्यश्री लगभग छह किलोमीटर का विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर दो में स्थित कोठारी परिवार के निवास स्थान में पधारे, जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ। 


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