1 सितंबर 2018, दिल्ली, प्रज्ञापाथेय, क्रांतिकारी संत मुनि तरुण सागर जी महाराज का शनिवार सुबह देश की राजधानी दिल्ली में निधन हो गया। आप 51 वर्ष के थे। मुनि श्री का स्वास्थ्य कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी।
मैक्स अस्पताल की ओर से कहा गया था कि उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का निधन शनिवार सुबह लगभग 3 बजकर 11 मिनट पर हुआ। कृष्णानगर के राधेपूरी में उऩ्होंने अंतिम सांस ली। जैन मुनि के पार्थिक शव को राधे पुरी से मोदीनगर (यूपी) ले जाया गया। यहां पर तरुण सागर जी नाम से एक आश्रम है, जहां आपका अंतिम संस्कार होगा। बताया जा रहा है कि जैन मुनि तरुण सागर बुखार और पीलिया की बीमारी से जूझ रहे थे। वैशाली के मैक्स अस्पताल में उन्हें करीब 15 दिन तक भर्ती रखा गया था।
मुनि तरुण सागर के निधन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है। उन्होंने शोक संदेश के साथ जैन मुनि के साथ अपनी एक फोटो भी ट्वीट कर लिखा है की - 'जैन मुनि तरुण सागर के निधन पर गहरा दुख हुआ है। हम उन्हें उनके उच्च विचारों और समाज के लिए योगदान के लिए याद करेंगे। उनके विचार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।'
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी शोक जताते हुए ट्वीट किया की - 'जैन मुनि श्रद्धेय तरुण सागर जी महाराज के असामयिक महासमाधि लेने के समाचार से मैं स्तब्ध हूं। वे प्रेरणा के स्रोत, दया के सागर एवं करुणा के आगार थे। भारतीय संत समाज के लिए उनका निर्वाण एक शून्य का निर्माण कर गया है। मैं मुनि महाराज के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जैन मुनि तरुण सागर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा- 'उनके शिक्षा और विचार लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।'
उल्लेखनीय है कि प्रवास स्थल के बाहर सैकड़ों श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए मुनि श्री तरुण सागर चार बार मकान की बालकनी में आए और फिर अंदर चले गए थे।
मुनि तरुण सागर जी का असली नाम पवन कुमार जैन था। उनका जन्म 26 जून 1967 को मध्य प्रदेश के दमोह में हुआ था। आपने 1981 में उन्होंने घर छोड़ दिया और दीक्षा ली थी। जैन मुनि तरुण सागर अपने कड़वे प्रवचनों के लिए काफी मशहूर थे। वे मध्यप्रदेश और हरियाणा विधानसभा में प्रवचन भी कर चुके थे।
मुनि श्री तरुण सागर जी के निधन सम्पूर्ण जैन समाज की अपूर्णीय क्षति है। आपके समाज सुधार के लिए दिए गए कड़वे प्रवचन व्यक्ति को भीतर से झकझोर देते थे जिससे व्यक्ति सुधार की प्रक्रिया को अपना अपने व्यक्तित्व का नवनिर्माण करने के लिए गतिशील होता था। आपने जैन समुदाय की एकता के लिए सराहनीय कार्य किया था।