रविवार, नवंबर 26, 2017
शनिवार, अप्रैल 22, 2017
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।
विनम्रता, तत्परता, गुरु के प्रति समर्पण
मेरे महाप्रज्ञ प्रभु का जीवन जैसे दर्पण।।
प्रेक्षाप्रणेता ने दिया प्रेक्षा ध्यान अनमोल
साहित्य सृजन कर दिया खजाना खोल।।
शांति का तुमने सदा ही था पाठ पढ़ाया
मानव को तुमने सदा मानव ही बनाया।।
हिंसा पर लगाने अंकुश तुमने कदम बढ़ाया
अहिंसा यात्रा द्वारा शांति सन्देश फैलाया।।
हे दिव्य दिवाकर, हे शांत सुधा के सागर
तुम भी बने मेरे जीवन निर्माण के आधार।।
महाप्रयाण दिवस पर दिव्य प्रज्ञ को अर्पित
"पंकज" प्रभु महाप्रज्ञ के चरणों में समर्पित।।
हे महायोगी, हे दिव्य पुरुष
शब्दों बाँधु कैसे हे महापुरुष।।
गुरुवार, फ़रवरी 23, 2017
अब घर बैठे सीखे प्रतिक्रमण
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प्रसारक – अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
मंगलवार, दिसंबर 27, 2016
सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहुंचे आध्यात्मिकता के महासंरक्षक आचार्यश्री महाश्रमण
सीमा सुरक्षा बलों के बीच पहुंचे आध्यात्मिकता के महासंरक्षक आचार्यश्री महाश्रमण
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आचार्यश्री महाश्रमणजी |

परिसर में ही बने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं
और सेना के जवानों को मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि एक योद्धा युद्ध में लाखों शत्रुओं को जीत लेता है, जिसे अजेय समझा जाता है उसे भी जीत लेता है तो कितनी बड़ी बात हो जाती है, किन्तु अध्यात्म
जगत में आत्मा को जीतना युद्ध में जीतने से भी बड़ा विजय बताया गया है। जो आत्मा को जीत लेता है, वह अपने जीवन का कल्याण कर सकता है। युद्ध के लिए तैयार रहना, प्रशिक्षण
लेना और प्राणों की परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना मनोबल की दृष्टि से बहुत ऊंची बात है। सीमा सुरक्षा बल के जवान किस प्रकार प्रशिक्षित होते होंगे और किस प्रकार अपना कार्य करते होंगे। आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आज हम सीमा सुरक्षा बल के स्थान में आए हैं। यदि एक प्रकार से देखा जाए तो साधु-साध्वियां
भी योद्धा हैं, जो आत्मा की सुरक्षा के लिए समर्पित रहते हैं।


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