तीर्थंकर के केवल कल्याणक के बाद देवता समवशरण की रचना करते हैं समवशरण खुला प्रवचन स्थल होता है इसके चारों तरफ तीन कोट चकरा कार दीवार होती है पहला कोट चांदी का होता है उस पर सोने के रंग कंगूरे होते हैं उस कोट के भीतर 1300 धनुष का अंतर छोड़कर दूसरे सोने का कोट होता है उस पर रत्नों के कंगूरे होते हैं फिर उसके भीतर 1300 धनुष का अंतर छोड़कर रत्नों का बना हुआ तीसरा कोट होता है उस पर मणि रत्नों के कंगूरे होते हैं इस कोर्ट के मध्य में 8 माह प्रतिहार य से युक्त तीर्थंकर भगवान पद्मासन में विराजमान होकर भगवान प्रतिभूति भावना से धर्म देशना देते हैं
प्रियंका गादिया , राजगढ़
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