रविवार, अगस्त 02, 2009

प्रेरणा की साँस भर देना :- साध्वी कनकप्रभा

प्रेरणा की साँस भर देना थकन में,
चरण मंज़िल से नहीं अब रूठ पाए,
सींचते रहना नयी हर पौध को तुम,
पल्लवों फूलों फलों से लहलहाए॥
तोड़ सपनों को हमें दो सत्य का सुख,
अनकही मन की तुम्हें है ज्ञात सारी,
स्वाति बनकर दुःख को मोती बना दो,
भटकते अरमान दो छाया तुम्हारी,
चाँद सूरज से अधिक ले तेज अपना,
तिमिर- तट पर पूर्णिमा बन उतर आए॥
दीप हर आलोक से मंडित हुआ है,
मुस्कराते हैं गगन में नखत तारे,
एक मूरत गढ़ गया कोई मनोहर,
ज्योति- किरणों ने बिछाई हैं बहारें,
मुग्ध हैं ये प्राण इस अनुपम छटा पर,
मौन मन की धड़कनें कुछ गुनगुनाए॥
स्नेह संवर्षण मिला जब से तुम्हारा,
क्यारियाँ विश्वास की हैं शस्यश्यामल,
ज़िन्दगी को मोड़ दे तुमने बढ़ाए,
साधना की राह पर ये चरण कोमल,
जग निछावर पुण्य चरणों में तुम्हारे,
दीप ये विश्वास के तुमने जलाए॥

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