गुरुवार, नवंबर 17, 2022

विद्यालय वह मन्दिर जहाँ तराशी जाती है बच्चों की प्रतीभा - अर्हत कुमार जी



विद्यालय वह पावन मंदिर है यहां अनगढ़ पत्थर आते है जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ती के रुप मे निर्मित होते है। विद्यालय जहां बच्चे शिक्षित होते है और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते है। विद्यालय वह पावन धाम है जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। आपने आगे कहा- बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिन्दगी मे नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह मात-पिता का आर्शीवाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणो का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।

युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने सभी मे जोश भरते हुए कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान।

बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये।


आज सुबह मुनि श्री 17 KM का विहार कर कलम्बेला Government Higher Primary School मे पधारे। जहाँ के अनिल कुमार D ने मुनि श्री जी का स्वागत किया और उनके आगमन को अपना सौभाग्य माना। मुनि श्री के सेवा मे तेयुप बेंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया । मुनि श्री के सानिध्य मे कैसे हो भारत के भविष्य का निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया।


मुनिश्री अर्हत कुमारजी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनिश्री भरत कुमारजी ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये । हिन्दी से कन्नड़ मे अनुवाद रजत वैद ने किया। महिला मंडल कि ओर से लता गादिया और बिमला भंसाली उपस्थित रहे।कार्यक्रम मे 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।

मंगलवार, नवंबर 15, 2022

अहंकार और संस्कार में फर्क


अहंकार और संस्कार में फर्क है, अहंकार दूसरे को झुका कर खुश होता है, जबकि संस्कार खुद झुक कर खुश होता है। बोलना तो सब लोग जानते हैं, पर कब और क्या बोलना है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। खोलते हुए पानी मे जिस तरह प्रतिबिंब नहीं देखा जा सकता,,,, उसी तरह गुस्से में सच को नहीं देखा जा सकता...!! जिस तरह माचिस की तीली किसी दूसरे को जलाने से पहले खुद जलती है, उसी तरह गुस्सा भी पहले आपको बर्बाद करता है, फिर दुसरो को। गुस्से में भी शब्दों का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि कल जब गुस्सा उतरे तो खुद की नज़रों में शर्मिंदा ना होना पड़े।  अपने किरदार की हिफाजत जान से भी बढ़कर कीजिये, क्योकि इसे जिंदगी के बाद भी याद किया जाता है।

गुरुवार, नवंबर 10, 2022

संस्कारी बेटी तेरापंथ की कार्यक्रम का आयोजन : भुज

युगप्रधान शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य डॉ मुनिश्री पुलकित कुमारजी के पावन सानिध्य में तेरापंथ महासभा का विशेष उपक्रम बेटी तेरापंथ की के अंतर्गत "संस्कारी बेटी तेरापंथ की" विशेष कार्यक्रम तेरापंथ भवन भुज में आयोजित हुआ। मुनिश्री पुलकित कुमारजी ने इस अवसर पर फरमाया तेरापंथ धर्मसंघ में महिला जागृति तथा संस्कार संवर्धन के संदर्भ में आचार्य श्री भारमलजी स्वामी ,श्रीमद् जयाचार्य, पूज्य कालूगणि तथा आचार्यश्री तुलसी आदि आचार्यों ने तेरापंथ की बेटी संस्कारवान कैसे बने तथा जिस परिवार की बहू बने वहां भी धार्मिक वातावरण संस्कारी वातावरण बनाए रखें इसके लिए विशेष श्रम किया है ।बेटी संस्कारवान बनती है तो दो कुलों को रोशन करती हैं ।कच्छ भुज में तेरापंथ की बेटियों का सक्रिय संगठन एवं माहौल सन 2013 के आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान बना था। तेरापंथ की बेटियां आज भी गुरुवर के प्रति भक्तिवान बनकर उनके दिशानिर्देश को पालन करने के लिए सदा तत्पर बनी रहती हैं ।मुनिश्री ने आव्हान किया की आगे संभावित आचार्यश्री महाश्रमणजी के कच्छ प्रवास के दौरान तेरापंथ की बेटियां विशेष सेवा दर्शन का लाभ उठाने की योजना तैयार करें ।कार्यक्रम का प्रारंभ नमस्कार महामंत्र उच्चारण से हुआ ।मंगलाचरण वीणा मेहता ने किया ।तेरापंथी महासभा के प्रकल्प बेटी तेरापंथ की जूम मीटिंग एवं ऑनलाइन फॉर्म की जानकारी शांतिलालजी जैन ने दी ।ध्यान प्रयोगों के साथ आदित्य मुनि ने धर्म आराधना की प्रेरणा प्रदान की ।तेरापंथ सभा भुज के अध्यक्ष वाडीभाई मेहता ने उपस्थित सभी तेरापंथी बेटियों का स्वागत किया। महिला मंडल भुज से दीपा मेहता ने मंगल भावना व्यक्त की। तेरापंथी बेटियों की तरफ से पुनीता बहन ने मुनिश्री के प्रति इस तरह के कार्यक्रम आयोजन के लिए कृतज्ञता व्यक्त की ।कार्यक्रम में लगभग 65 के आसपास तेरापंथ की बेटियों ने उत्साह के साथ सहभागिता दर्ज करवाई जिनकी अन्य संप्रदायों में शादी हुई है। मुनि श्री के चातुर्मास ने इस तरह का यह तीसरी बार कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रीति दोशी ने किया।