25.07.2023, मंगलवार, मीरा रोड (ईस्ट), मुम्बई (महाराष्ट्र), मायानगरी मुम्बई में चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में तेरापंथ धर्मसंघ के अनेक धार्मिक - आध्यात्मिक संगठनों के वार्षिक अधिवेशन, शिविर और प्रशिक्षण शिविर आदि का कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो चुका है। मंगलवार को भी तीर्थंकर समवसरण में आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालु जनता को एक ओर भगवती सूत्र के आधार पर आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया तो दूसरी ओर अपने वार्षिक अधिवेशन के संदर्भ में गुरु सन्निधि में देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंची कन्याओं को आचार्यश्री ने जीवन में उज्ज्वलता की दिशा में गति करने की प्रेरणा प्रदान की। आचार्यश्री से पावन पाथेय प्राप्त कर तेरापंथ कन्या मण्डल की सदस्याएं स्वयं को कृतार्थ महसूस कर रही थीं।
मंगलवार को तीर्थंकर समवसरण के प्रातःकालीन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भगवती सूत्र आगम के माध्यम से पावन आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में कभी शारीरिक अथवा मानसिक प्रतिकूलता भी आ सकती है। जीवन में कभी-कभी मौसम की प्रतिकूलता भी देखने को मिल सकती है। जीवन में अनुकूलता और प्रतिकूलता की स्थिति आ सकती है। साधु का जीवन तो परमार्थ के लिए होता है। साधु अवस्था में अनुकूलता आए अथवा प्रतिकूलता, उसे सहन करने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियों को भगवती सूत्र में 22 भागों बांटा गया है और उन प्रतिकूल परिस्थतियों को परिषह नाम से संबोधित किया गया है। साधु को परिषहों को सहन करने का प्रयास करना चाहिए। परिषहों पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उन प्रतिकूल परिस्थितियों से घबराना और परेशान नहीं होना चाहिए, बल्कि परिषहों को सहने का प्रयास करना चाहिए। साधु को परिषहों को सहन करने से दोनों तरह से लाभ प्राप्त हो सकता है कि सहन करते हुए अपने मार्ग से च्यूत नहीं होता और कर्म की निर्जरा भी होती है। क्षुधा परिषह ऐसा परिषह तो कठिन है। जब किसी को भूख लगती है और कुछ खाने को न मिले तो बड़ी कठिनाई महसूस होती है। साधु को उसमें भी शांति रखने का प्रयास करना चाहिए। आहार मिले तो साधु शरीर को पोषण देने का प्रयास करे और न मिले तो सहज रूप में हो रही तपस्या मान कर क्षुधा परिषह को सहन करने का प्रयास करना चाहिए।
साधु जीवन में ही क्या गृहस्थ जीवन में भी अनेक प्रकार की प्रतिकूलताएं आती रहती हैं। प्रतिकूलताओं में आदमी को समता और शांति बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिकूलता में मानसिक शांति रहे, मनोबल मजबूत हो तो यह बड़ी उपलब्धि होती है। आदमी को प्रतिकूलताओं में अवसाद / डिप्रेशन में नहीं जाना चाहिए, बल्कि मजबूत मनोबल के साथ प्रतिकूलताओं का समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए। समस्याओं में भी प्रसन्नता बनी रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त कालूयशोविलास के आख्यान क्रम को आगे बढ़ाया। अनेक तपस्वियों ने अपनी-अपनी धारणा के अनुसार प्रत्याख्यान किया। आज के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के तत्त्वावधान में 19वां तेरापंथ कन्या मण्डल के राष्ट्रीय अधिवेशन का मंचीय उपक्रम भी रखा गया था। इस अधिवेशन की थीम ‘उजाला’ था। इस संदर्भ में तेरापंथ कन्या मण्डल की प्रभारी श्रीमती अर्चना भण्डारी ने अवगति प्रस्तुत की। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती नीलम सेठिया ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए वर्ष 2023 के लिए श्राविका गौरव अलंकरण श्रीमती भंवरीदेवी भंसाली को दिए जाने की घोषणा की। ‘उजाला’ के थीम गीत पर कन्याओं ने अपनी प्रस्तुति दी।
कन्याओं को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित कन्याओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य अपने जीवन में कुछ लक्ष्य बनाए और उसके अनुरूप श्रम कर अपने जीवन को धन्य बना सकता हैं परिश्रमपूर्ण मानव जीवन की निष्पत्ति कर्मों का क्षय करना भी हो तो आदमी मोक्ष की दिशा में गति कर सकता है। कन्यओं में अच्छी प्रतिभा और शिक्षा का विकास हो रहा है। ज्ञान के संदर्भ में उजाला का आकलन पुष्ट हो तो उज्ज्वलता की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। कन्याओं में ईमानदारी और नैतिकता हो, गुस्से पर नियंत्रण हो और जीवन में शांति रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए। उजाला और उज्ज्वलता में निरंतर विकास होता रहे।