हम आपाधापी की दौड़ में अपने को अपडेट बताने के चक्कर में क्या कही हिंदी भाषा को हीन तो नही समझ रहें?
रविवार, दिसंबर 04, 2022
मातृभाषा के प्रति हम कितने जागरूक
गुरुवार, नवंबर 17, 2022
विद्यालय वह मन्दिर जहाँ तराशी जाती है बच्चों की प्रतीभा - अर्हत कुमार जी
विद्यालय वह पावन मंदिर है यहां अनगढ़ पत्थर आते है जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ती के रुप मे निर्मित होते है। विद्यालय जहां बच्चे शिक्षित होते है और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते है। विद्यालय वह पावन धाम है जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। आपने आगे कहा- बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिन्दगी मे नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह मात-पिता का आर्शीवाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणो का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनि श्री ने सभी बच्चों को नशा मुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।
युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने सभी मे जोश भरते हुए कहा जो करता है महाप्राण ध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान।
बाल संत जयदीप कुमार ने अपने विचार व्यक्त किये।
आज सुबह मुनि श्री 17 KM का विहार कर कलम्बेला Government Higher Primary School मे पधारे। जहाँ के अनिल कुमार D ने मुनि श्री जी का स्वागत किया और उनके आगमन को अपना सौभाग्य माना। मुनि श्री के सेवा मे तेयुप बेंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया ने रास्ते की सेवा का लाभ लिया । मुनि श्री के सानिध्य मे कैसे हो भारत के भविष्य का निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मुनिश्री अर्हत कुमारजी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनिश्री भरत कुमारजी ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाये । हिन्दी से कन्नड़ मे अनुवाद रजत वैद ने किया। महिला मंडल कि ओर से लता गादिया और बिमला भंसाली उपस्थित रहे।कार्यक्रम मे 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया।
मंगलवार, नवंबर 15, 2022
अहंकार और संस्कार में फर्क
अहंकार और संस्कार में फर्क है, अहंकार दूसरे को झुका कर खुश होता है, जबकि संस्कार खुद झुक कर खुश होता है। बोलना तो सब लोग जानते हैं, पर कब और क्या बोलना है, ये बहुत कम लोग जानते हैं। खोलते हुए पानी मे जिस तरह प्रतिबिंब नहीं देखा जा सकता,,,, उसी तरह गुस्से में सच को नहीं देखा जा सकता...!! जिस तरह माचिस की तीली किसी दूसरे को जलाने से पहले खुद जलती है, उसी तरह गुस्सा भी पहले आपको बर्बाद करता है, फिर दुसरो को। गुस्से में भी शब्दों का चुनाव ऐसा होना चाहिए कि कल जब गुस्सा उतरे तो खुद की नज़रों में शर्मिंदा ना होना पड़े। अपने किरदार की हिफाजत जान से भी बढ़कर कीजिये, क्योकि इसे जिंदगी के बाद भी याद किया जाता है।
गुरुवार, नवंबर 10, 2022
संस्कारी बेटी तेरापंथ की कार्यक्रम का आयोजन : भुज
रविवार, सितंबर 25, 2022
अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के बैनर का लोकार्पण युगप्रधान अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में
अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के बैनर का लोकार्पण |