गुरुवार, मार्च 13, 2025

ABTYP was awarded the India Book of Records for organizing a blood donation camp for 108 hours continuously

अभातेयुप हुआ लगातार 108 घंटे रक्तदान शिविर करने के लिए India Book of Records से सम्मानित

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में कोलकाता - हावड़ा एवं सबर्बन की समस्त परिषदों द्वारा आयोजित लगातार 108 तक चलने वाले रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ । लगातार 108 घंटे चलने वाले इस रक्तदान शिविर के लिए गौरव का पल है क्योंकि इस शिविर को India Book of Records से आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी की सानिध्य में सम्मानित किया गया।


India Book of Records सम्मान को सीमा मनिकोट ने अभातेयुप को प्रदान किया। इसे लेने के लिए अभातेयुप एवं तेयुप के प्रतिनिधि मौजूद थे। 


गौरतलब है कि इस कार्यक्रम को सफल करने में यूको बैंक, कमल ललवानी जी, RJ प्रवीण, केंद्रीय संस्थाओं व स्थानीय संस्थाओं के पदाधिकारी / कार्यकर्ताओं का अतुलनीय सहयोग रहा।


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मंगलवार, फ़रवरी 04, 2025

161 वां मर्यादा महोत्सव 2025 का तृतीय दिन


161वें मर्यादा महोत्सव के शिखर दिवस पर तेरापंथ के शिखरपुरुष ने दिया धर्मसंघ को संदेश

साधु-साध्वी व समणीवृंद ने गीत के माध्यम से संघ को किया वर्धापित

साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को अनुशासन के प्रति किया उत्प्रेरित

अनेक घोषणाओं आदि का साक्षी बना भुज का स्मृतिवन

दीक्षा में उम्र की सीमा को शांतिदूत ने किया समाप्त

04.02.2025, मंगलवार, भुज, कच्छ (गुजरात), भुज का ऐतिहासिक स्मृतिवन परिसर में बने जय मर्यादा समवसरण के विशाल पण्डाल में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 161वें मर्यादा महोत्सव के त्रिदिवसीय आयोजन का शिखर दिवस। गुजरात के प्रथम मर्यादा महोत्सव के अंतिम दिवस। चतुर्विध धर्मसंघ की विराट उपस्थिति। निर्धारित समय पर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगलवाणी से उच्चरित मंगल महामंत्रोच्चार के साथ भव्य कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। मुनि दिनेशकुमारजी ने जयघोष कराया। जयघोष से पूरा स्मृतिवन गुंजायमान हो रहा था। मुनि दिनेशकुमारजी ने ‘मर्यादा गीत’ का संगान कराया। 


समणीवृंद ने गीत का संगान किया। आज के अवसर पर साध्वीवृंद ने अपनी गीत को प्रस्तुति दी। तदुपरान्त मुनिवृंद ने भी मर्यादा महोत्सव के शिखर दिवस पर गीत के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। गीतों की प्रस्तुति के उपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ की नवीं साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने चतुर्विध धर्मसंघ को उद्बोधित करते हुए विभिन्न प्रेरणाएं प्रदान कीं। 


मर्यादा महोत्सव के शिखर दिवस पर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान शिखरपुरुष, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि हम धर्म से जुड़े हुए हैं। आज हम एक धर्मसंघ के मर्यादा महोत्सव समारोह से भी जुड़े हुए हैं। भगवान महावीर के इस शासन में अनेक आम्नाय हैं। दिगम्बर हैं, श्वेताम्बर हैं। श्वेताम्बर परंपरा में भी अनेक संप्रदाय हैं, उनमें से एक है तेरापंथ धर्मसंघ। हमारे तेरापंथ धर्मसंघ का संस्थापन वि.सं. 1817 में हुआ था। आज वर्तमान में इस धर्मसंघ को शुरु हुए 264 वर्ष संपन्न हो चुके हैं। हमारे धर्मसंघ के आदि अनुशास्ता भिक्षु स्वामी हुए। वे हमारे धर्मसंघ के पिता हैं और हम सभी उनकी संतानें हैं। उन्होंने धर्मसंघ की स्थापना की और उन्होंने मर्यादाएं भी बनाईं। उनकी एक लिखित मर्यादा पत्र वि.सं. 1859 का प्राप्त होता है। आचार्यश्री ने उस पत्र को दिखाते हुए कहा कि यह पत्र मानों हमारा गणछत्र है। इससे संदर्भित आज का यह मर्यादा महोत्सव आयोजित हो रहा है। मर्यादा महोत्सव का प्रारम्भ प्रज्ञापुरुष श्रीमज्जयाचार्य ने किया था। वि.सं. 1919 में राजस्थान के बालोतरा से हुआ। हमारे धर्मसंघ ने अतीत में दस आचार्यों का शासनकाल देख लिया है। यह मर्यादाओं का महोत्सव है। भारत के संविधान के अनुसार 26 जनवरी भारत का मर्यादा महोत्सव है और हमारे धर्मसंघ का मर्यादा महोत्सव चल रहा है। इसके माध्यम से न्यारा में चतुर्मास करने वाले चारित्रात्माओं को गुरुदर्शन और सेवा में रहने का अवसर मिल जाता है। 


इसमें एक आचार्य के नेतृत्व में रहने की व्यवस्था है। इसमें एक आचार्य का ही विधान है। आचार्य की आज्ञा से ही साधु-साध्वियां विहार-चतुर्मास करते हैं। इस नियम में 265 वर्षों में आज तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हमारे यहां साधु-साध्वियां भी हैं और समणश्रेणी भी हैं। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी के समय इस श्रेणी का प्रारम्भ हुआ है। ये साध्वियां तो नहीं हैं, किन्तु अनेक अंशों में साध्वियों के समान ही हैं। ये वाहन का यथाविधि उपयोग कर सकती हैं। देश-विदेश में जा सकती हैं और धर्म प्रचार कर सकती हैं। आचार्यों की दृष्टि के बिना आज तक कोई चतुर्मास नहीं हुए हैं। जहां आचार्य विहार के लिए कह दें, वहां विहार करने की मर्यादा है। कोई भी साधु-साध्वी अपना-अपना शिष्य-शिष्याएं न बनाएं। कभी-कभी साधु-साध्वी आचार्य की दृष्टि से दीक्षा तो सकते हैं, किन्तु वह शिष्य तो आचार्य का ही होता है। आचार्यश्री भी योग्य व्यक्ति को दीक्षित करते हैं और कोई दीक्षा के बाद भी अयोग्य निकले तो उसे गण से बाहर कर सकते हैं। योग्यता देखकर ही दीक्षा देनी चाहिए। आचार्य अपने गुरुभाई या शिष्य को अपना उत्तराधिकारी चुने तो उसे सभी साधु-साध्वियां सहर्ष स्वीकार करते हैं। पूरे धर्मसंघ में इन पांच मर्यादाओं का सम्यक् और दृढ़ता के साथ पालन हो रहा है। आचार्यश्री ने ‘हमारे भाग्य बड़े बलवान, मिला यह तेरापंथ महान’ गीत का आंशिक संगान किया। 


आचार्यश्री ने आगे कहा कि साधु-साध्वियों रूपी गण को प्रणमन करता हूं। हमारे पूर्वाचार्यों ने मर्यादाओं में विस्तार भी किया है। संन्यास व साधुता के प्रति पूर्ण जागरूकता रहे। हमारे धर्मसंघ में साधु-साध्वियां, समणियां और श्रावक-श्राविकाएं भी हैं। इनके साथ हमारी अनेक संस्थाएं भी हैं। केन्द्रीय हैं और स्थानीय और प्रान्तीय स्तर पर भी होती हैं। कितनी हमारी केन्द्रीय संस्थाएं कितनी अनुशासित और जागरूक होती हैं। जिनका कार्य बहुत व्यवस्थित प्लानिंग, योजना और फिर उसकी क्रियान्विति भी होती हैं। ये संस्थाएं समाज के सौभाग्य की बात है। कल्याण परिषद एक ऐसा मंच है, जहां योजनाओं पर निर्णय होता है और उसका पालन भी होता है। विकास परिषद भी है, वह भी कल्याण परिषद के अंतर्गत ही है। 


समाज की कई गतिविधियां भी बहुत उपयोगी हैं। ज्ञानशाला के माध्यम से छोटे-छोटे बच्चों को धार्मिक ज्ञान देने का बहुत सुन्दर उपक्रम है। महासभा के तत्त्वावधान में चलने वाली इस ज्ञानशाला में सभाएं और फिर अनेक संस्थाएं जुड़ी हुई होती हैं, बहुत अच्छा क्रम देखने को मिल रहा है। ज्ञानशाला और ज्ञानार्थियों की संख्या भी बढ़े तो बालपीढी के लिए बहुत उपयोगी हो सकता है। 


उपासकश्रेणी भी महासभा के तत्त्वावधान में चल रही है। आज इतने उपासक-उपासिकाएं बन गए हैं। उपासक-उपासिकाओं की संख्या भी बढ़े। पर्युषण में उनका अच्छा उपयोग हो और कभी संथारे की बात हो, जहां साधु-साध्वियां न हों, समणियां न हों तो उपासक-उपासिकाएं संथारा करा सकते हैं अणुव्रत आन्दोलन, प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान जो हमारी गैर संप्रदायिक और लोककल्याणकारी प्रवृत्तियां हैं, जो गुरुदेव तुलसी के समय से चल रही हैं। इनके माध्यम से जन-जन का कल्याण हो सकता है। 


दीक्षा में उम्र संबंधी बाधा हुई समाप्त


161वें मर्यादा महोत्सव के अवसर पर आचार्यश्री महाश्रमणजी ने धर्मसंघ को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने पहले पुरुषों की दीक्षा में 50 वर्ष की सीमा लगी हुई थी। उसे आचार्यश्री ने खोलते हुए कहा कि जिस अवस्था के व्यक्ति की दीक्षा की इच्छा होगी, यदि वह हमारी कसौटियों पर खरा उतरेगा, उसे दीक्षा प्रदान की जा सकती है। 


अहमदाबाद चतुर्मास में दीक्षा समारोह की घोषणा


मुमुक्षु कल्प मेहता, मुमुक्षु प्रीत कोठारी, मुमुक्षु मोहक बेताला, मुमुक्षु मनीषा, मुमुक्षु प्रेक्षा, मुमुक्षु राजुल, मुमुक्षु भावना, मुमुक्षु कीर्ति भाद्रव शुक्ला एकादशी 3 सितम्बर 2025 को चतुर्मास स्थल में दीक्षा समारोह के दिन इन आठ मुमुक्षुओं को मुनि व साध्वी दीक्षा देने का भाव है। मुमुक्षु भाविका, मुमुक्षु बिनू, मुमुक्षु अंजलि और मुमुक्षु साधना को उसी दीक्षा समारोह में समणी दीक्षा देने का भाव है। वैरागी श्री मनोज संकलेचा को साधु प्रतिक्रमण सीखने की स्वीकृति प्रदान की। 


स्वरचित गीत का युगप्रधान आचार्यश्री ने किया संगान


मर्यादा महोत्सव के अवसर पर तेरापंथ अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने स्वरचित गीत ‘करें हम आध्यात्मिक उत्थान रे, शुभ ध्यान रे, जैनागम वाङ्मय का’ संगान किया। अपने आराध्य के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने इस गीत का संगान किया। 


मर्यादा पत्र का तेरापंथ के अनुशास्ता ने किया वाचन


गीत संगान के उपरान्त आचार्यश्री ने मर्यादा महोत्सव के आधार ‘मर्यादा पत्र’ का वाचन किया। साधु-साध्वियों ने तन्मयता के साथ उसका अनुश्रवण किया। यह वही मर्यादा पत्र है, जिसकी मर्यादा के आधार पर तेरापंथ शासन का संचालन होता है। राजस्थानी भाषा में लिखित इस मर्यादा पत्र को आचार्यश्री ने वाचन करते हुए चारित्रात्माओं को त्याग भी कराया। 43 साधु और 53 साध्वियां और 43 समणियों की उपस्थिति रही। 


तदुपरान्त विशाल प्रवचन पण्डाल में एक ओर संतवृंद, दूसरी ओर साध्वीवृंद और मध्य में समणीवृंद ने पंक्तिबद्ध होकर लेखपत्र का उच्चारण किया। तेरापंथ धर्मसंघ की मर्यादा, अनुशासन व व्यवस्था की इस नयनाभिराम दृश्य को देखकर भुज की धरा ही नहीं उपस्थित हजारों नेत्र हर्षान्वित और गौरवान्वित हो रही थीं। उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को आचार्यश्री ने ‘श्रावक निष्ठा पत्र’ का वाचन कराया। जो श्रावक-श्राविकाओं के वाचन से पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा। 


आचार्यश्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में साधु-साध्वियों के विहार चतुर्मासों की घोषणा की। साथ ही आचार्यश्री ने विदेशों और देश के अन्य हिस्सों में स्थित श्रावक समाज को लाभान्वित करने के लिए सेण्टर्स व उपकेन्द्र की घोषणा की। 


आचार्यश्री ने आगे प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि तेरापंथ समाज कही भी रहे, कहीं भी जाए, नॉनवेज व शराब आदि के सेवन से बचने का प्रयास करना चाहिए। अपनी निंदा का जवाब अपने अच्छे कार्यों से देने का प्रयास करना चाहिए। संयम के साथ अपना अच्छा कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। समाज की संस्थाओं में नैतिकता रखने का प्रयास करना चाहिए। मैत्री और शुद्ध भावना रखना ही धर्म है। दूसरों का कल्याण हो, इसके लिए दूसरों की सेवा का भी प्रयास करना चाहिए। साध्वीप्रमुखाजी, साध्वीवर्याजी और मुख्यमुनि महावीर धर्मसंघ को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। और भी साधु-साध्वियां चाहे गुरुकुलवास में हों या न्यारा में वे अपने कार्यों में ध्यान देते हैं। कई संत बहुत अच्छी सेवा दे रहे हैं। संत कई संस्थाओं के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं। बहुत कर्मठता से अपनी सेवा दे रहे हैं। कई साध्वियां आगम के कार्य और अन्य सेवा के कार्य से जुड़ी हुई हैं। सभी अपने कार्य मंे जुटे रहें। 


आचार्यश्री पट्ट से नीचे खड़े हुए तो अपने आराध्य के साथ चतुर्विध धर्मसंघ खड़ा हुआ और संघगान प्रारम्भ किया। संघगान से पूरा स्मृतिवन गूंज रहा था। इसके साथ ही आचार्यश्री ने भुज-कच्छ में आयोजित 161वें मर्यादा महोत्सव के त्रिदिवसीय समारोह की सम्पन्नता की घोषणा भी की। इस प्रकार ऐतिहासिक भूमि पर तेरापंथ धर्मसंघ का ऐतिहासिक सुसम्पन्न हुआ। 

"तेरापंथ धर्मसंघ का महाकुंभ 161 वाँ मर्यादा महोत्सव" - भुज (कच्छ)- तृतीय दिवस

मर्यादा के शिखर पुरुष युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा नमस्कार महामंत्र के समुच्चारण के साथ मर्यादा महोत्सव के तृतीय दिवस के मुख्य कार्यक्रम का हुआ शुभारम्भ

पूज्यप्रवर द्वारा आज होगी साधु - साध्वियों के चातुर्मास क्षेत्र की घोषणाएं


बहुश्रुत परिषद सदस्य मुनिश्री दिनेशकुमारजी द्वारा जय घोष एवं "भीखण जी स्वामी भारी मर्यादा बांधी गीत के संगान के पश्चात समणी वृंद द्वारा "गुरु भुज मां आव्या" गीत की हुई श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


मर्यादा महोत्सव के अवसर पर साध्वीवृंद द्वारा "भिक्षु का आसन - भिक्षु का शासन" गीत की हुई श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुनिवृन्द द्वारा "विघ्नविनायक मंगलदायक स्वामीजी का जय नारा" गीत की हुई श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


मर्यादा महोत्सव के संदर्भ में साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी ने "मर्यादा और अनुशासन" विषय पर किया उपस्थित जन मेदनी को सम्बोधित

जहाँ मर्यादा होती है वहाँ विकास, सफलता और महानता स्वतः आ जाती है : साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुतविभाजी


पूज्य गुरुदेव मर्यादा महोत्सव के अवसर पर चतुर्विध धर्मसंघ को प्रदान कर रहे है प्रेरणा पाथेय

पुज्य गुरुदेव ने आचार्य भिक्षु द्वारा लिखित ऐतिहासिक मर्यादा पत्र को दिखाते हुए मर्यादाओं की महत्ता पर डाला प्रकाश

तेरापंथ में पांच बातों में एकता है । वे है "एक आचार, एक विचार, एक आचार्य, एक विधान और एक सुगुरु  : आचार्य श्री महाश्रमणजी


हमारे संघ में मर्यादा शिरोमणि है । हमारी मुख्य पांच मर्यादाएं है : आचार्य श्री महाश्रमणजी


पुज्य गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी द्वारा 161 वें मर्यादा महोत्सव के उपलक्ष में सम्मुचरित गीत


परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी ने महत्ती कृपाकर मर्यादा महोत्सव के अवसर पर निम्न लिखित मुमुक्ष भाई बहिनों की दीक्षा दिनांक 3-9-2025, बुधवार, भाद्रव शुक्ला एकादशी को प्रेक्षा विश्व भारती, कोबा (अहमदाबाद) में देने का फरमाया है।


मर्यादा के शिखर पुरुष आचार्य श्री महाश्रमणजी ने आचार्य श्री भिक्षु द्वारा लिखित ऐतिहासिक मर्यादापत्र का किया वांचन । सभी उपस्थित साधु साध्वियों ने मर्यादा पत्र में उल्लेखित संकल्पों का किया उच्चारण।


मर्यादा महोत्सव के अवसर पर हाजरी वांचन का अद्भुत दृश्य देख श्रावक - श्राविका समाज हुआ अभिभूत

पूज्य गुरुदेव द्वारा समुच्चरित मर्यादाओं के लेखपत्र का पंडाल के दोनों ओर पंक्ति बद्ध खड़े साधु - साध्वी वृंद ने पुनः किया उच्चारित


तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादा, अनुशासन और एकता का दिव्य संगम – 161वें मर्यादा महोत्सव के महाकुंभ का तृतीय दिवस उल्लासपूर्वक संपन्न


सोमवार, फ़रवरी 03, 2025

मर्यादा महोत्सव : उदयपुर


उदयपुर में तेरह चारित्रात्माओ के सान्निध्य में तेरापंथ धमिसंघ ने मनाया 161 वाँ मर्यादा महोत्सव 

बहुश्रुत मुनिश्री उदित कुमार का उदयपुर में आगमन

तेरापंथ धर्मसंघ का 161 वाँ मर्यादा महोत्सव का शहर के तेरापंथ सभा भवन अणुव्रत चौक में तेरापंथ सभा के तत्वावधान में तेरह साधु-साध्वीयों के सान्निध्य में मुनिवृन्द के नमस्कार महामंत्रोच्चारण के साथ भव्य आगाज हुआ शासन श्री मुनि सुरेश कुमार ने तेरापंथ धर्मसंघ का आधार मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए कहा आचार्य भिक्षु ने जब मर्यादाओं का सृजन किया तब इस महोत्सव का समायोज न नहीं होता था यह श्रीमद जयाचार्य की सुझबुझ की परिणति है। मुनि ने मर्यादा पत्र का वाचन करते हुए कहा- यह मर्यादा पत्र नहीं तेरापंथ धर्म संघ का सुरक्षा छत्र है। मुनि ने इस अवसर पर तेरापंथ शासन पाया रे भाग्य बड़े बलवान गीत प्रस्तुत किया ।

मुनि मुनिसुव्रत कुमार ने कहा- तेरापंथ धर्मसंध जैसा पुण्यशाली धर्मसंध पाकर कौन अपने सौभाग्य की सराहना नहीं करेगा। मुनि ने "भिक्षु शासन की महिमा अपार हैं। सुमधुर गीत का संगान करते हुए कहा- जो मर्यादा का शुद्ध पालन करता है वह सृष्टि के लिए पुज्य हो जाता है।

बहुश्रुत परिषद् सदस्य व ज्ञानशाला आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि उदित कुमार ने कहा- दीक्षीत होने के बाद जीवन भर मानसिक व शारिरीक तौर पर निश्चिंत करना ही तेरापंथ धर्मसंघ की मिसाल है। अनुशासन, समर्पण का यह उत्सत केवल तेरापंथ में ही हो सकता है।मुनि ने सेवा के विभिन्न आयामों पर विश्लेषण किया।

साध्वी सम्यकप्रभा ने कहा-तेरापंथ धर्मसंघ की तेजस्विता का आधार है अनुशासन । बहुत सहज है औरो पर अनुशासन करना किन्तु जो स्वयं पर शासन करना सीख ले वही नायक है। 

मुनिवृंद की और से मुनि सम्बोध कुमार 'मेधांश' मुनि मंगल प्रकाश, मुनि रम्य कुमार, मुनि ज्योतिर्मय, मुनि शुभम कुमार, मुनि सिद्धप्रज्ञ ने समुहगान, साध्वी वृंद की ओर से साध्वी सौम्यप्रभा, साध्वी मलय प्रभा, साध्वी दीक्षीत प्रभा ने समुहगान से मर्यादा की प्रेरणा दी।

कार्यक्रम में ट्राइबल विभाग निदेशक ओ. पी. जैन ने श्रावक निष्ठा व पत्र का वांचन करते हुए श्रावक समाज को संघीय निष्ठा की शपथ दिलाइ । इस अवसर पर तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ युवक परिषद् ने समूह गान की प्रस्तुति दी तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नाहटा, सभा मंत्री अभिषेक पोखरणा , ते. यु.प अध्यक्ष भुपेश खमेसरा, महिला मंडल अध्यक्षा सीमा बाबेल ने भावपूर्ण विचारो की अभिव्यक्ति दी। आभार सभा उपाध्यक्ष आलोक पगारिया ने किया। मंच संचालन मुनि सम्बोध कुमार 'मेधांश' ने किया। कार्यक्रम का समापन संघ गान व मुनि सुरेश कुमार के मंगलपाठ से हुआ।





161 वां मर्यादा महोत्सव 2025 का द्वितीय दिन

आज्ञा, मर्यादा, आचार्य, गण और धर्म में समाहित है मर्यादा महोत्सव का सार : आचार्य महाश्रमण

161वें मर्यादा महोत्सव का दूसरा दिवस

आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के पट्टोत्सव पर आचार्यश्री ने किया श्रद्धा स्मरण

मुख्यमुनिश्री ने जनता को किया उद्बोधित

श्रद्धालुओं ने श्रीचरणों में प्रस्तुत की अनेक प्रस्तुतियां
 


03.02.2025, सोमवार, भुज, कच्छ (गुजरात), भुज की धरा पर गुजरात का प्रथम तथा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ का 161वां मर्यादा महोत्सव। भुज के ऐतिहासिक स्मृतिवन के प्रांगण में बने जय मर्यादा समवसरण में भव्य आयोजन। सोमवार को मर्यादा महोत्सव का दूसरा दिन। निर्धारित समयानुसार तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अध्यात्मवेत्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी मंच के मध्य विराजमान हुए और मंगल महामंत्रोच्चार करते हुए दूसरे दिवस का मंगल शुभारम्भ किया। 

आज के आयोजन में सर्वप्रथम मुमुक्षु बहनों ने गीत का संगान किया। तदुपरान्त मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को उद्बोधित किया। तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन अपनी अमृतमयी वाणी से अमृतवर्षा करते हुए कहा कि पांच शब्द हैं-आज्ञा, मर्यादा, आचार्य, गण और धर्म। इन पांच शब्दों में मार्यादा महोत्सव, साधुता, संगठन की सफलता के तत्त्व सन्निहित हैं। मैं आज्ञा की सम्यक् आराधना करूंगा। आज्ञा के प्रति एक समर्पण का भाव होना, सफलता का महत्त्वपूर्ण सूत्र प्रतीत हो रहा है। जिसकी आज्ञा से आज्ञापालक का हित हो सकता है, उसकी आज्ञा का पालन करने का प्रयास होना चाहिए। जैन आगमों और शास्त्रों की आज्ञा का पालन करने का प्रयास करना चाहिए। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में 32 आगम मान्य हैं। आदमी को आगमों की आज्ञा पर ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। शास्त्रों की वाणी के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। वर्तमान में तीर्थंकर उपलब्ध नहीं तो आचार्य उनके प्रतिनिधि के रूप में होते हैं। आचार्य की आज्ञा पर ध्यान देना चाहिए। तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य की आज्ञा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। साधु-साध्वियों को ऐसा त्याग भी दिलाया जाता है कि ‘आचार्य की आज्ञा को लांघने का त्याग है।’ आचार्य की आज्ञा का लांघने का त्याग है, तो आचार्य की आज्ञा का कितना महत्त्व हो जाता है।

आचार्य की कड़ी दृष्टि को भी सहन करने का प्रयास करना चाहिए। सहन करने में हीरे के समान कठोर बनना चाहिए न कि कांच की भांति अधीर। गुरुओं की कठोर वाणी को सहन करने वाला ऊंचाई को प्राप्त कर सकता है। अपने अग्रणी की आज्ञा पर भी ध्यान देने का प्रयास करना चाहिए। अग्रणी साधु-साध्वी आचार्य के प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए उनकी आज्ञा आदि का पालन करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने युवाचार्यश्री जीतमलजी के प्रसंग का वर्णन किया। आज्ञा की आराधना सफलता का एक सूत्र है। 

दूसरी बात है मर्यादाओं के प्रति निष्ठा। मर्यादा का मान हम रखेंगे तो मानों मयार्दाएं हमारा मान रख सकेंगी। संगठन के मर्यादाओं के पालन के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। तीसरी बात बताई गई कि मैं आचार्य की सम्यक् आराधना करूंगा। आचार्य की आज्ञा ही नहीं, उनकी इंगित पर ध्यान देना और उसे समझने का प्रयास करना, उनके प्रति विनयपूर्ण व्यवहार रखना, अप्रमत्त रहकर आचार्य की सुसुश्रा करना बहुत अच्छी बात होती है। सेवा के प्रति जागरूकता के लिए मुनि खेतसीजी स्वामी के प्रसंगों का आचार्यश्री ने वर्णन किया। चौथी बताई गई कि गण का अनुगमन करना। संघ है तो संघ की सेवा की भावना भी रखनी चाहिए। जितना संभव हो सके, संघ की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। आवेश में कभी संघ को छोड़ना नहीं चाहिए। छूटे तो कभी यह शरीर छूट जाए, लेकिन संघ का परित्याग करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। पांचवी बात बताई गई कि धर्म कभी नहीं छोडूंगा। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म को कभी छोड़ना नहीं चाहिए। शरीर से प्राण भले छूट जाए, लेकिन धर्म को नहीं छोड़ना चाहिए। धर्म के प्रति ऐसी निष्ठा होनी चाहिए। 

आचार्यश्री ने आगे कहा कि आचार्यश्री तुलसी ने मुनिश्री नथमलजी स्वामी टमकोर को अपना युवाचार्य बनाया। आज माघ शुक्ला षष्ठी है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का आचार्य पदारोहण दिवस है। आज के दिन आचार्यश्री तुलसी ने दिल्ली में उन्हें आचार्य पद पर प्रतिष्ठित हुए। ऐसा अवसर इस धर्मसंघ में एक ही बार आया कि अपने गुरु और आचार्य के रहते हुए ही आचार्य पद प्राप्त किया। आचार्य के छत्तीस गुण बताए गए हैं। उनका आयुष्य नब्बे वर्ष का रहा। उनका लम्बा संयम पर्याय रहा। हम आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के प्रति श्रद्धा अभिव्यक्त करता हूं। आज मर्यादा महोत्सव का दूसरा दिन है। इस प्रकार हम सभी पांचों शब्दों के प्रति जागरूक रहें। 

मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री महाश्रमण मर्यादा व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री कीर्तिभाई संघवी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज भुज-कच्छ ने संयुक्त रूप में गीत का संगान किया। भुज से संबद्ध मुनि अनंतकुमारजी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। भुज ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा ‘शासनश्री साध्वी अशोकश्री पावन पथगामिनी’ पुस्तक आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की गई। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

संस्था शिरोमणि तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री रमेश डागा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष श्री हिम्मत माण्डोत, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के अध्यक्ष श्री प्रताप दुगड़, विकास परिषद के सदस्य श्री पदमचन्द पटावरी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आगामी मर्यादा महोत्सव छोटी खाटू में आयोजित है। इस संदर्भ में छोटी खाटू तेरापंथ समाज अपना आमंत्रण लेकर गुरु सन्निधि में उपस्थित हुआ और गीत को प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने कहा कि छोटी खाटू में वर्ष 2026 का मर्यादा महोत्सव घोषित है। खूब आध्यात्मिकता-धार्मिकता बनी रहे। चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-अहमदाबाद ने भी गीत को प्रस्तुति दी। अक्षय तृतीया व्यवस्था समिति-डीसा की ओर श्री रतनलाल मेहता ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री के मंगलपाठ के साथ मर्यादा महोत्सव के दूसरे दिन का कार्यक्रम सुसम्पन्न हुआ। 



पूज्य गुरुदेव युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के समुच्चारण के साथ 161 वें मर्यादा महोत्सव के द्वितीय दिवस का हुआ शुभारम्भ

पारमार्थिक शिक्षण संस्था की मुमुक्षु बहनों द्वारा मर्यादा महोत्सव के अवसर पर सामूहिक गीत की हुई श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुख्यमुनि श्री महावीरकुमारजी ने अनुशासन विषय पर उपस्थित श्रद्धालु समाज को।किया सम्बोधित


मर्यादा के शिखर पुरुष युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने मर्यादा महोत्सव के द्वितीय दिवस "आज्ञा की महत्ता" के संदर्भ में उपस्थित श्रद्धालु समाज को प्रदान किया प्रेरणा पाथेय


आचार्य श्री महाश्रमण मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिती : भुज - कच्छ के अध्यक्ष श्री कीर्तिभाई संघवी ने श्रीचरणों में प्रस्तुत की कृतज्ञता पूर्ण भावाभिव्यक्ति


तेरापंथ समाज - भुज कच्छ ने "जय मर्यादा - जय मर्यादा" गीत की समवेत स्वर में दी श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


भुज के दीक्षित संत मुनि श्री अनंतकुमारजी द्वारा भावाभिव्यक्ति के पश्चात ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा "यह महोत्सव है मर्यादा का" गीत की हुई भावपूर्ण प्रस्तुति


पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में आचार्य श्री महाश्रमण मर्यादा महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति - छोटी खाटू द्वारा वर्ष - 2026 के लोगो के अनावरण के पश्चात छोटी खाटू वासियों द्वारा हुई गीत की श्रद्धासिक्त प्रस्तुति


केंद्रीय संस्थाओं द्वारा प्रस्तुति के क्रम में संस्था शिरोमणि तेरापंथी महासभा, अभातेयुप, टीपीएफ, जैन विश्व भारती - लाडनूँ , अणुविभा के अध्यक्षों द्वारा संस्थाओं की गतिविधियों की दी प्रस्तुति के पश्चात विकास परिषद सदस्य श्री पदमचंदजी पटावरी ने प्रस्तुत की अपनी भावाभिव्यक्ति