रविवार, फ़रवरी 05, 2023

व्यक्ति के भीतर अच्छाईयां, दया, करुणा व आध्यात्मिकता के भाव प्रकट हो - आचार्य महाश्रमण


05.02.2023, रविवार, जीवाणा, जालौर (राजस्थान), अपनी पदयात्राओं द्वारा देश–विदेशों में परिभ्रमण कर जन-जन में नैतिक मूल्यों की चेतना को जागृत करने वाले तेरापंथ प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज जीवाणा में मंगल पदार्पण हुआ। जालौर जिले में गतिमान आचार्यश्री ने प्रभात वेला में सिराणा से मंगल विहार किया। मार्ग में कई स्थानों पर स्थानीय ग्राम वासियों को आचार्यप्रवर का पावन आशीष प्राप्त हुआ। सड़क मार्ग के दोनों और अनार, अरंडी, आदि के विस्तृत खेत नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। ज्ञात हुआ कि यहां अनार की काफी प्रचुरता है तथा भारत में अनार की मंडी के रूप में तीसरे स्थान पर यह स्थान पहचाना जाता है। स्टेट हाईवे संख्या 16 पर गतिमान आचार्य श्री लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर जीवाणा ग्राम में पधारे। इस अवसर पर स्थानीय जैन समाज  के श्रद्धालु ही नहीं अपितु सकल ग्रामवासी आचार्यवर का जयनारों से स्वागत कर रहे था। श्री बायोसा आदर्श विद्या मंदिर विद्यालय में आचार्य प्रवर का प्रवास हेतु पदार्पण हुआ।

स्कूल प्रांगण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए युगप्रधान आचार्यश्री ने कहा - मनुष्य इस दुनिया का श्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य जन्म ही ऐसा है, जहां से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है, जहां केवलज्ञान प्राप्त हो सकता है और साधना के द्वारा 14 वां गुणस्थान फिर मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। किन्तु व्यक्ति पाप ज्यादा करें तो पतन में भी गिर सकता है, नरक में भी जा सकता है। मनुष्य बहुत बढ़िया कार्य कर सकता है, तो बहुत घटिया कार्य भी कर सकता है। भीतर हिंसा के है तो अहिंसा के भाव भी देखने को मिलते है। व्यक्ति में निष्ठुरता है तो दया के भाव भी होते हैं। अच्छाइयां होती है तो बुराइयां भी मिल जाती है। आवश्यकता इस बात की है की व्यक्ति हिंसा से, बुरे कार्यों से बचने का प्रयास करें।

आचार्य प्रवर ने आगे फरमाते हुए कहा कि व्यक्ति के भीतर अच्छाईयां, दया, करुणा व आध्यात्मिकता के भाव प्रकट हो तो वह अपने जीवन में आगे बढ सकता है। अंधकार से प्रकाश की ओर मनुष्य को हमेशा आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। अज्ञान का अंधकार हमारे भीतर ज्ञान को कम कर देता है। अज्ञानी आदमी कभी भी हित–अहित, विवेक–अविवेक को समझ नहीं सकता। ज्ञान रूपी तलवार द्वारा अज्ञान को छिन्न किया जा सकता है। जीवन को ज्ञान द्वारा प्रकाशित करने का प्रयास करे यह काम्य है। 

इस अवसर पर पंजाब के गोविंदगढ़ से चातुर्मास संपन्न आज गुरु दर्शन करने वाली साध्वी प्रसन्नयशा जी ने गुरुदेव के समक्ष अपने विचार  रखे। 

तत्पश्चात जीवाणा आदर्श विद्या स्कूल के प्रधानाचार्य इंदरसिंहजी ने स्वागत वक्तव्य दिया। श्री धीरज गोलेछा, सोहनलालजी कोठारी (रिछेड़) ने भी गुरुदेव के समक्ष अपने विचार रखें। पूज्य चरणों में 'बढ़ते कदम' पुस्तक का विमोचन किया गया।

शुक्रवार, फ़रवरी 03, 2023

कोलकाता हावड़ा को जोड़ने वाला हावड़ा ब्रिज 80 वर्षो से दे रहा है आम नागरिकों को अपनी सेवाएं


आज विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक हावडा़ ब्रिज (रवीन्द्र सेतु) जो 3 फरवरी 1943 में निर्मित हुआ था यह आज दिनांक 3-2-2023 को "80" साल पुरे कर रहा है । 

जब हावडा़ पुल जब बना था न जाने बनाने वाले ने कितनी दूरदर्शिता कर साथ इसे इतना अद्भुत ब्रिज का निर्माण किया था तब आज जैसे आधुनिक संसाधन उपलब्ध नही थे। इस अद्वितीय ब्रिज का निर्माण करने वाली सोच को सलाम, इसके निर्माण में जुड़े हर एक शख्स को सलाम। इसकी सुरक्षा व रखरखाव की ज़िम्मेदारी निभा रहे "कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट" के सभी श्रम सेवकों को विशेष रूप से धन्यवाद सहित बधाई जिनके रखरखाव के कारण ही आज भी यह ब्रिज आवागमन का अहम मार्ग बना हुआ है। कोलकाता हावड़ा मे रहने वाले प्रत्येक नागरिकों  को भी बधाई।


न जाने जीवन मे कितनी ही अनमोल यादें इस हावड़ा ब्रिज से जुड़ी हुई है। तेरापंथ धर्मसंघ के अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का 2017 में जब कोलकाता आगमन हुआ था तब हावड़ा ब्रिज के माध्यम से आपने कोलकाता में प्रवेश किया था वो अविस्मरणीय क्षण जिसका मैं भी साक्षी बना था ऐसे ही मेरी और शायद आप सब की भी यादें इस अनमोल सेतु के साथ जुड़ी हुई है।

यह अलबेला, अनोखा, अद्वितीय, अद्भुत हावड़ा ब्रिज जो हुगली नदी पर बना हुआ है यह ऐसे ही हम जैसे आम नागरिकों को अपनी सेवा देता रहें।

इस जन्म के साथ अगले जन्म के बारे में भी चिंतन करे - आचार्य महाश्रमण


03.02.2023, शुक्रवार, अरणियाली, बाड़मेर (राजस्थान), पाव–पाव चल गांव, नगर, शहरों में नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति की ज्योत जलाने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज अरणियाली ग्राम में मंगल पदार्पण हुआ। प्रातः आचार्य श्री ने सिणधरी से मंगल विहार किया। लगभग 15 किलोमीटर विहार कर गुरुदेव राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय अरणियाली में प्रवास हेतु पधारे। बाड़मेर जिले के पश्चात अब उत्तर गुजरात की ओर अग्रसर गुरुदेव का आगामी कुछ दिन का जालोर जिला क्षेत्र में संभावित है। बायतु मर्यादा महोत्सव के पश्चात आचार्यवर की यात्रा अब गुजरात की ओर प्रवर्धमान है। 


अरणियाली में धर्मसभा को संबोधित करते हुए युगप्रधान ने कहा –यह मनुष्य जीवन बहुत दुर्लभ है। चौरासी लाख जीव योनियों में भ्रमण करते हुए यह मनुष्य जीवन दुबारा कब मिलेगा, यह कोई नहीं जानता। अभी तो यह हमें आसानी से उपलब्ध है इसे यूं ही गंवा देना भारी भूल है। संसार में सभी तो साधु नहीं बन सकते, ऐसे में गृहस्थ जीवन में रहकर भी जो आत्मस्थ, तटस्थ व मध्यस्थ रह सकता है, वह स्वयं के आत्म कल्याण के पथ को प्रशस्त कर सकता है। मनुष्य जन्म एक प्रकार का वृक्ष है, जिस वृक्ष में सुंदर फल होते है, हितकर फल होते है उसकी उपयोगिता होती है। 


आचार्यश्री ने आगे कहा कि इस मनुष्य जन्म रूपी वृक्ष में हम छह प्रकार के फल लगाने का प्रयास करें। पहला है जिनेन्द्र-पूजा। अर्थात राग-द्वेष से मुक्त वीतराग भगवान की पूजा करें, उनकी स्तुति करे भक्ति करे। दूसरा फल है गुरु पर्युपासना। जो कंचन व कामिनी के त्यागी है ऐसे गुरुओं की सेवा उपासना करे। तीसरा सत्वानुकंपा यानी सब प्राणी मात्र के प्रति दया व करुणा के भाव रहे व किसी को भी कष्ट न दें। चौथा सुपात्रदान, अर्थात त्यागी साधुओं को शुद्ध दान दें। पांचवा गुणों के प्रति हमारे मन में अनुराग व प्रेम के भाव रहें। अनुराग व्यक्ति की अपेक्षा गुणों से होना चाहिए व गुण किसी में भी हो हमें उसका सम्मान करना चाहिए यह गुणानुराग हो। छठा श्रुतिरागमस्य, अर्थात आगम वाणी व शास्त्रों की वाणी का श्रवण करो। हम मनुष्य जीवन को इन छह फलों के द्वारा सुफल एवं सफल कर सकते है। इस जन्म के साथ अगले जन्म के बारे में भी चिंतन करे। 


विद्यालय के प्रिंसिपल श्री माधाराम जी ने आचार्य श्री के स्वागत में अपने विचार व्यक्त किए। अहमदाबाद प्रवास व्यवस्था समिति से संबद्ध व्यक्तियों द्वारा प्रिंसिपल को अणुव्रत नियम पट्ट एवं साहित्य प्रदान किया गया।

गुरुवार, फ़रवरी 02, 2023

व्यक्ति जितना स्वाध्याय करता है, ज्ञान की आराधना करता है, उतना ही ज्ञान पुष्ट बनता है - युगप्रधान आचार्य महाश्रमण



02.02.2023, शुक्रवार, सिणधरी, बाड़मेर (राजस्थान), अपनी पावन ज्ञानमयी वाणी से जनमानस के अज्ञान रूपी अंधकार को हरने वाले महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज अपनी धवल सेना के साथ सिणधरी में मंगल पदार्पण हुआ। तेरापंथ शिरमौर के सिणधरी पदार्पण से स्थानीय जैन समाज में विशेष उत्साह, उमंग दिखाई दे रहा था। इससे पूर्व प्रातः आचार्यश्री ने कमठाई ग्राम से मंगल विहार किया। गत रात्रि ग्रामवासियों को आचार्यप्रवर का पावन आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हुआ। लगभग 09 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री सिणधरी के नवकार विद्यालय में प्रवास हेतु पधारे।



मंगल प्रवचन में अमृत देशना देते हुए गुरुदेव ने कहा– हमारे जीवन में ज्ञान का बड़ा महत्व है और ज्ञान प्राप्ति का एक उपाय है स्वाध्याय। व्यक्ति जितना स्वाध्याय करता है, ज्ञान की आराधना करता है, उतना ही ज्ञान पुष्ट बनता है। स्वाध्याय ज्ञान प्राप्ति का एक सशक्त माध्यम है। स्वाध्याय करने के बाधक तत्वों में पहली बाधा है – ज्यादा नींद लेना अथवा नींद को बहुमान देना। नींद अपेक्षित हो सकती है पर उसमें ज्यादा रस लेना व आवश्यकता से ज्यादा नींद लेना उचित नहीं। ज्ञान प्राप्ति की दूसरी बाधा है मनोरंजन में अधिक रस लेना। इसी प्रकार तीसरी गपशप में समय बर्बाद करना। अगर मनोरंजन और इधर उधर की बातों में समय लग जायेगा तो स्वाध्याय में बाधक बन सकता है। इन बाधक तत्वों से बचने का प्रयास करना चाहिए।


आचार्य श्री ने आचार्य भद्रबाहु एवं स्थुलिभद्र के दृष्टांत का वर्णन करते हुए कहा की स्वाध्याय के वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा व धर्मकथा के स्वाध्याय के पांच प्रकार है। अध्यापन, पुनरावर्तन से कंठस्थ किया हुआ ज्ञान विस्मृति में नहीं जाता, पुष्ट बन जाता है। वर्तमान में विद्या संस्थानों में विद्यार्थी पढ़ाई करते है। उनमें ज्ञान के साथ अच्छे संस्कारों का भी विकास हो। बालपीढ़ी संस्कारवान बने य अपेक्षित है। 

प्रसंगवश पूज्यप्रवर ने कहा कि आज हमारा सिणधरी के नवकार विद्यालय में आना हुआ है। यहां के बच्चों में जैनत्व के संस्कार भी आते रहे। जैन समाज में धर्म आराधना का क्रम निरंतर चलता रहे।


अणुव्रत का उद्देश्य बच्चों को संस्कार देना



अंबिकापुर। अणुव्रत आंदोलन के गौरवशाली 75वर्ष पर अणुव्रत अमृत महोत्सव 2023 मनाया जा रहा है। अणुव्रत समिति ने मंगलवार को सरगुजा प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि अणुव्रत ऐसा आंदोलन है, जिसमें ना तो चक्काजाम होता है, ना ही कोई प्रदर्शन। यह आंदोलन देश को दिशा देने वाला है। अणुव्रत अमृत महोत्सव के तहत 21 फरवरी को महारैली निकाली जाएगी। इसके साथ-साथ वर्ष भर जागरूकता के कार्यक्रम किए जाएंगे। स्लोगन व अन्य कार्यक्रमों में पर्यावरण शुद्धि, पानी बचाओ, चित्रकला के माध्यम से संयमित जीवन कैसे जी सकते हैं उसे सिखाया जाएगा। सभी कार्यक्रम स्कूली बच्चों को साथ लेकर किए जाएंगे। समिति की संयोजक ममोल कोचेटा ने बताया कि छोटी-छोटी बातों को प्रेरणादायक बनाकर हम बच्चों को अच्छा जीवन दे सकते हैं। उन्होंने कहा बच्चों को जिस ढांचे में ढाला जाए वे उसी में ढलेंगे। अणुव्रत का उद्देश्य बच्चों को संस्कार देना है। 16 वर्षों से वे अणुव्रत का कार्यक्रम कर रही हैं। उन्होंने बताया सबसे पहले दो स्कूलों से इसकी शुरुआत की गई थी, अब लगभग 27 स्कूल इस आयोजन में भागीदारी करते हैं। उन्होंने कहा प्रभु बनकर ही हम प्रभु की पूजा कर सकते हैं। महोत्सव के तहत एक मार्च को संयम दिवस भी मनाया जाएगा क्योंकि अणुव्रत संयम और त्याग पर आधारित है। पत्रकारों से चर्चा के दौरान समिति के अध्यक्ष राजरूप, मंत्री धनपत कुमार मनहोत, प्रचार प्रसार मंत्री हनुमान मल डागा, तकनीकी प्रभारी नीलू बाला, ज्योत्सना पालोलकर, सुषमा जयसवाल, पूर्णिमा, शीला जैन, मीरा गहलोत, भारती वैष्णव सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।