चातुर्मास हेतु शांतिदूत का ऐतिहासिक मंगल प्रवेश
भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्य का प्रथम चातुर्मास
स्वागत में पहुंचे पंजाब के राज्यपाल सहित अनेक गणमान्य
18 जुलाई 2021, रविवार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान, तेरापंथ नगर आदित्य विहार, प्रातः 09 बज कर 21 मिनट पर जैसे ही शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने महाश्रमण सभागार में चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश किया पूरा वातावरण 'जय जय ज्योतिचरण - जय जय महाश्रमण' के जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। हर ओर श्रद्धा-भक्ति का अनूठा दृश्य दिखाई दे रहा था। वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में आचार्यश्री का यह चातुर्मास प्रवेश अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्यों का यह पहला चातुर्मास है। आचार्य श्री के साथ भी प्रथम बार 200 से अधिक साधु-साध्वियां चातुर्मास में है। देश- विदेश की हजारों किलोमीटर पदयात्रा संपन्न कर मेवाड़ पधारे गुरुवर के स्वागत में सभी में उत्साह-उमंग की नई लहर छाई हुई है।
प्रशासनिक दिशा-निर्देश एवं कोविद गाइडलाइन के मद्देनजर प्रवेश जुलूस का आयोजन नहीं रखा गया था। साधु-साध्वियों की धवल पंक्ति के मध्य आचार्य प्रवर को मंगल प्रवेश करता देख सभी श्रद्धानत थे। भीलवाड़ा वासियों का वर्षों पूर्व देखा गया स्वप्न आज साकार हो गया, ऐसा लग रहा था मानो भीलवाड़ा शहर महाश्रमणमय बन गया हो।
स्वागत समारोह में आचार्य प्रवर ने कहा- इस संसार में जब मंगल की बात आती है तो कई चीजों का नाम आ सकता है। कोई मुहूर्त आदि को मंगल मानता है, तो कहीं गुड़, नारियल आदि को भी मंगल माना जाता है, परंतु ये सब उत्कृष्ट मंगल नहीं है। धर्म ही उत्कृष्ट मंगल होता है। धर्म साथ में है तो फिर सदा मंगल है।अहिंसा, संयम, तप ये धर्म के लक्षण हैं। जीवन में अगर ये है, तो मानो धर्म है, अध्यात्म है। अहिंसा एक ऐसा तत्व है जो लोक में सबके लिए क्षेमंकरी है, कल्याणकारी है। आज समाज, राजनीति में भी अहिंसामय नीति होनी चाहिए। लोकतंत्र हो या राजतंत्र दोनों जनता की भलाई के लिए होते हैं। किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता। अहिंसा, प्रेम-मैत्री से भी समस्या सुलझाई जा सकती है।
गुरुदेव ने प्रेरणा देते हुए आगे कहा कि- इस भारत देश में धर्मनिरपेक्षता ही नहीं पंथनिरपेक्षता भी है। सबको अपनी रुचि अनुसार धर्म करने की छूट है। भारत एक आजाद देश है, आजादी के साथ संयम, अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। लोकतंत्र में अगर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन नहीं तो देश का विकास नहीं हो सकता। साथ ही सत्ता में निस्वार्थ सेवा रूपी तप भी होना चाहिए। सत्ता में आकर अगर जनता की सेवा ना करें तो वह व्यर्थता है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म जीवन में आ जाए तो व्यक्ति अपना जीवन सार्थक कर सकता है।
चातुर्मास प्रवेश पर गुरुदेव ने कहा कि- यह चातुर्मास का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। वर्षभर यात्रा के पश्चात ये चार महीने ऐसे होते हैं जब साधु को एक स्थान पर रहना होता है। आज चातुर्मास हेतु यहां प्रवेश हुआ है। कितने ही रत्नाधिक व छोटे साधु-साध्वियां वर्षों बाद इस बार साथ में है। यहां की जनता भी जितना हो सके उतना धर्म का लाभ उठाएं। यह चातुर्मास उपलब्धिकारक रहे, मंगलकामना।
साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी ने उद्बोधन में कहा- आचार्यश्री एक महान यात्रा, विजय यात्रा कर यहां पधारे हैं। मेवाड़ के श्रावकों में विशिष्ट भक्ति है। चातुर्मास में सभी लक्ष्य बनाएं कि हमें गुरुवर की वाणी को आत्मसात कर जीवन में अपनाना है। यह सिर्फ भीलवाड़ा का ही नहीं पूरे मेवाड़ का चतुर्मास है।
स्वागत में पहुंचे पंजाब के राज्यपाल सहित अनेक गणमान्य
शांतिदूत के स्वागत में पंजाब के महामहिम राज्यपाल श्री वीपी सिंह बदनोर विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर सांसद श्री सुभाष बहेरिया, विधायक श्री रामलाल जाट, विधायक श्री विट्ठल शंकर अवस्थी, नगर परिषद चेयरमैन श्री राकेश पाठक, जिला कलेक्टर श्री शिव प्रकाश नकाते, जिला पुलिस अधीक्षक श्री विकास शर्मा, राइफल संघ के जिलाध्यक्ष श्री अभिजीत सिंह बदनोर, वरिष्ठ एडवोकेट उमेद सिंह राठौड़ आदि अनेक गणमान्य जनों ने भी आचार्य वर का अभिनंदन किया।
स्वागत करते हुए राज्यपाल श्री वीपी.सिंह बदनोर ने कहा- यह मेरा परम सौभाग्य है जो आज मेवाड़ की धरा पर मुझे आपका स्वागत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आप के प्रवचन हम सभी का मार्गदर्शन करने वाले हैं। मेरी विनती है पंजाब की धरा पर भी आप पधारे। इस चातुर्मास से पूरे देश में धर्म की ज्योति जलेगी।
कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री प्रकाश सुतरिया, स्वागताध्यक्ष श्री महेंद्र ओस्तवाल, वरिष्ठ श्रावक श्री नवरतन झाबक ने अपने विचार रखे। मंच संचालन मुनि दिनेश कुमार जी व व्यवस्था समिति के महामंत्री श्री निर्मल गोखरू ने किया।