गुरुवार, मई 07, 2020

हे "महाप्रज्ञ" पट्टधारी जय हो




जन्म लिया "मोहन" बनकर,
"मुदित" बने, ले दीक्षा तुम ।
हे "महाप्रज्ञ" पट्टधारी जय हो,
"महाश्रमण" लो अभिनंदन तुम ।।

झूमर नेमा के हो नन्दन,
कुल "दुगड़" बड़भागी है ।
जन्म लिया सरदारशहर में,
धन्य हुई यह माटी है ।।

"तुलसी" गुरु की कृपा पाई,
संयम रत्न का मिला वरदान ।
चतुर्दशी वैशाख शुक्ल दिन,
अध्यात्म "सुमेर" चढ़े सौपान ।।

"तुलसी-महाप्रज्ञ" की प्रतिकृति,
हे महाश्रमण ! अभिनंदन ।
मुदित भाव से दीक्षा दिवस पर,
हे ज्योतिचरण ! तुम्हें करते वंदन ।।

रचनाकार : श्री पवन फुलफगर, संपादन टीम सदस्य, भातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

बुधवार, मई 06, 2020

आराध्य के प्रति भावों की अभ्यर्थना


बालक मोहन सरदारशहर दुगड़ कुल के अद्भुत , विलक्षण , रत्न अनमोल,
गुरु तुलसी आज्ञा से मुनि सुमेर ने दी दीक्षा, सीखे प्रभु आध्यात्म के बोल।

12 वर्ष की अल्प आयु में मोहन से मुनि मुदित बन संयम यात्रा हुई प्रारंभ,
गुरु - आज्ञा को आत्मधर्म मान, सहज, समर्पण, निष्ठा से शिक्षा हुई आरंभ।

छोटा कद था पर संकल्प फौलादी , लक्ष्य बड़े लेकर बढ़ते थे प्रभुवर के चरण,
राग विराग के भावों से ऊपर उठकर बन गए मुनि मुदित से आप महाश्रमण।

गौर मुखमंडल को जब जब देखा, सहज मुस्कान की मिलती छाया शीतल,
प्रवचन की धारा इतनी निर्मल जैसे कल कल बहता हो गंगा का अमृत जल।

सर्दी-गर्मी, अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति में भी महातपस्वी को सदा सम देखा,
तुलसी - महाप्रज्ञ का रूप जय जय ज्योतिचरण, जय जय महाश्रमण में है देखा।

दीक्षा दिवस के अवसर पर तेरापंथ सरताज को जन जन शुभ भावों से बधाता है
तेरी दृष्टि में मेरी सृष्टि रहें सदा "पंकज" अपने भगवान की गौरव गाथा गाता है।

शनिवार, अप्रैल 25, 2020

मधुमक्खी से मिली प्रेरणा कोई आपका Creation चुरा जा सकता है Talent नहीं - पंकज दुधोडिया


💤💫 बहुत सुन्दर सन्देश 💫💤

एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हें बुरा नहीं लगता ??
मधुमक्खी ने बहुत सुंदर मार्मिक जवाब दिया :
इंसान मेरा शहद ही चुरा सकता है पर मेरी शहद बनाने की कला नहीं !!
कोई भी आपका Creation चुरा सकता है पर आपका Talent (हुनर) नहीं चुरा सकता।

Whatsaap पर आये इस अग्रेषित मैसेज को पढ़ने के बाद ऐसा विचार (फिलिंग) मन में आया की चिंतन कितना विशाल है सकारात्मक है मधुमक्खी का की शहद चुरा सकता है पर टेलेंट नहीं।


इस सकारात्मक प्रेरणा देने वाले मैसेज के साथ मैं भी कुछ अपने विचार जोड़ रहा हूँ।


हम 84 लाख जीवयोनी मे मनुष्य जीवन को श्रेष्ठ मानते है। हम माने भी क्यों ना मनुष्य चिंतनशील प्राणी होता है।
यह अलग बात है चिंतन हम किस दिशा में करते है सकारात्मक दिशा या नकारात्मक दिशा यह हम विचार करें।

उपरोक्त FWD मैसेज में जो सकारात्मक जबाब मधुमक्खी ने दिया वो वास्तव में सीख प्रदान करता है की हम कभी जीवन में हतास ना हो सुख दुःख, ख़ुशी गम, आते रहेगे जाते रहेगे। पर हमें हर भाव में सकारात्मक सोच के साथ प्रसन्न रहना है। अपने विचार को सकारात्मक सोच से भावीत करना है। तभी हम जीवन की वास्तविक कड़वाहट के साथ साथ मिठास का अनुभव कर पायेगे। 
यह विचार मेरे स्वयं पर भी लागू होती है क्योकि हम लिखते तो बहुत है पर उसे जीवन में कितना अपनाते है यह महत्वपूर्ण है। हम जीवन में पढ़ते तो बहुत है पर उसे कितना आत्मसात करते है यह महत्वपूर्ण है।
हम आईने को रोज देखते है आइना हमें प्रतिबिम्ब दिखाता है कुछ ऐसा ही प्रतिबिम्ब हमें हमारी आत्मा में भी देखने का प्रयास करना चाहिए। प्रेक्षा ध्यान का प्रयोग करना चाहिए। आत्मावलोकन, आत्मवलोचन करना चाहिए व सदा इसे सकारात्मक चिंतन से भावीत करना चाहिए। जिससे हम ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण कर पाये की हमारा Creation कोई भले ही चुरा ले पर हम अपने Talent के बल पर पुनः सकारात्मक सोच, सकारात्मक कार्य से आगे बढ़ते हुए जीवन में विकास के सोपान चढ़ते जाए।
यदि हम अपनी ऊर्जा प्रयास के द्वारा मन वचन काया के माध्यम से होने वाले निगेटिव सोच को हटा सकारात्मक सोच को स्थापित कर पाये तो हो सकता है हम नव युग का निर्माण कर दें।
क्योकि हमारी सोच ही हमें ऊंचाई प्रदान करती है और हमारी सोच ही हमें निचे गिराती है।
मैं पंकज धन्यवाद देना चाहूँगा जिसने भी उपरोक्त मैसेज बनाया है और जिन्होंने FWD किया उनके माध्यम से प्राप्त मैसेज से यही सकारात्मक विचार आया की हम चिंतित ना हो, हतास ना हो हम अपने पुरुषार्थ से पुनः प्रयास करे जिससे हम जीवन में प्रगति कर सकते है।


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155256602639451&id=641524450

बुधवार, अप्रैल 15, 2020

जिंदगी को कभी हल्के में ना ले

"जिंदगी का सफर है यह कैसा सफर .."
"कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं..."


_महान गीतकार इंदीवर की यह भावपूर्ण रचना वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सटीक बैठ रही है ।_

इसीलिए कहा जाता है कि जिंदगी को कभी हल्के में ना लें । पल में सब कुछ बदल जाता है । आप खुद ही देखिए कि कुछ हफ्तों पहले हम सब की जिंदगी क्या थी । क्या कोई सोच सकता था कि इतना परिवर्तन अकस्मात आ जाएगा । हम में से हर एक को कुछ पलों तक की फुरसत नहीं हुआ करती थी और आज ....

इसलिए जिंदगी को कभी हल्के में ना ले और हर समय पूरी गंभीरता और सहज भाव में रहे । हो सकता है आने वाला समय और कठिन हो लेकिन हम संयम और जागरूकता से इसे पार कर सकते है । अपने अपने हिसाब से सबको इस जंग से निपटना है लेकिन इस समय का भी घर परिवार में साथ रहकर सम्यक नियोजन करके, दिनचर्या को व्यवस्थित करके साथ ही अपनों को अपना समय व साथ देकर जीवन को सजीव बनाए रखने का भरसक प्रयास करते रहे ।

धर्मेन्द्र डाकलिया, गंगाशहर बीकानेर, 15/04/2020, बुधवार

सोमवार, अप्रैल 06, 2020

तीर्थंकर का समवशरण कैसा होता है ? : प्रियंका गादिया

तीर्थंकर के केवल कल्याणक के बाद देवता समवशरण की रचना करते हैं समवशरण खुला प्रवचन स्थल होता है इसके चारों तरफ तीन कोट चकरा कार दीवार होती है पहला कोट चांदी का होता है उस पर सोने के रंग कंगूरे होते हैं उस कोट के भीतर 1300 धनुष का अंतर छोड़कर दूसरे सोने का कोट होता है उस पर रत्नों के कंगूरे होते हैं फिर उसके भीतर 1300 धनुष का अंतर छोड़कर रत्नों का बना हुआ तीसरा कोट होता है उस पर मणि रत्नों के कंगूरे होते हैं इस कोर्ट के मध्य में 8 माह प्रतिहार य से युक्त तीर्थंकर भगवान पद्मासन में विराजमान होकर भगवान प्रतिभूति भावना से धर्म देशना देते हैं

प्रियंका गादिया , राजगढ़