बुधवार, अक्टूबर 27, 2021
सोमवार, सितंबर 27, 2021
नागपुर में मनाया गया जीवन विज्ञान दिवस
नागपुर, 27 सितंबर 2021, अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का दूसरा दिन, जीवन विज्ञान दिवस। कार्यक्रम की शुरुआत, महिला मंडल ने अणुव्रत गीत से की। साध्वी रिद्धि श्री जी ने उद्बोधन में कहा - शारीरिक मानसिक भावनात्मक विकास जरूरी है। सुंदर उदाहरण द्वारा उन्होंने बहुत अच्छे ढंग से समझाया। जीवन बिना लक्ष्य के, बिना उद्देश्य के, तथा बिना जीने की कला आए, व्यर्थ है। साध्वी वर्धमान श्री जी ने अपने उदबोधन में फरमाया - जीवन जीने की कला, बिना प्रयोग के संभव नहीं है। उन्होंने सुंदर गीतिका द्वारा प्रेक्षा ध्यान का महत्व समझाया। कुछ प्रयोग करवाएं। साथ ही श्वास प्रेक्षा तथा श्वास स्वर के द्वारा चिकित्सा कैसे कर सकते हैं, बताया। शरीर आपका ऑर्डर मानता है। बस दृढ़ विश्वास और दृढ़ संकल्प के साथ प्रयोग करें। सफलता जरूर मिलेगी। मंच संचालन प्रेक्षा ट्रेनर जतन जी मालू ने किया। साथ ही उन्होंने प्राणिक हीलिंग का छोटा सा सुंदर प्रयोग भी कराया।
रविवार, सितंबर 26, 2021
अणुव्रत समिति नागपुर ने किया संप्रदायिक सौहार्द दिवस का आयोजन
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी, द्वारा 26 सितंबर से 2 अक्टूबर अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह प्रतिवर्ष मनाया जाता है। आज दिनांक 26 सितंबर, रविवार को अणुव्रत समिति नागपुर ने केंद्र द्वारा निर्देशित संप्रदायिक सौहार्द दिवस का आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वी श्री समीक्षा प्रभा जी,धृति प्रभा जी और राज श्री जी द्वारा अणुव्रत गीत से किया गया। नागपुर अणुव्रत समिति अध्यक्ष राजेंद्र जी पटावरी ने अपने वक्तव्य में स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हुए कहा कि मैं अणुव्रत का कार्यकर्ता हूँ। उन्होंने और भी अणुव्रत संबंधित जानकारी दी। साध्वी श्री जी द्वारा वक्तव्य, कविता तथा गीत का संगान किया गया। विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों का वक्तव्य हुआ। साध्वी चंदनबाला जी ने उद्बोधन में कहा - जब प्रकृति, कुदरत अपनी उर्जा देने में भेदभाव नहीं करते हैं ,तो फिर हम क्यों करें। साथ ही कहा संप्रदायिकता घातक है।केवल प्रोग्राम लेने मात्र से कुछ नहीं होगा, अपितु स्वयं में सुधार करना पड़ेगा। आपके व्यवहार में आचार में नैतिकता दिखनी चाहिए। नैतिकता से शुन्य जीवन का कोई अर्थ नहीं है।
ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा (हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई) अलग-अलग गेट अप में आ, सौहार्द सद्भावना का संदेश दिया। प्रोग्राम का कुशल संचालन मंत्री श्रद्धा जवेरी ने किया ।
शनिवार, सितंबर 04, 2021
जीवन में भोजन का संयम आवश्यक है - आचार्य महाश्रमण
रविवार, अगस्त 08, 2021
Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha
Let's know about Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha
Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha is the oldest apex and national institution of Terapanth Religion and Society. It was established on 28 October 1913 in Kolkata. Its registered head office is at 3, Pochugese Church Street, Kolkata 700001.
Initially the Mahasabha was named as 'Jain Swetamber Terapanthi Sabha', but after the establishment of many Terapanthi Sabhas in different regions of the country, it was renamed as 'Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha' on 30 January 1947. It has a three-storey private building called 'Mahasabha Bhavan' at the above address, in which its head office, discourse room, worship room, auditorium, monk columnist etc. are located.Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha is the oldest apex and national institution of Terapanth Religion and Society. It was established on 28 Oct'13 in Kolkata. Its registered head office is at 3, Pochugese Church Street, Kolkata 700001. Initially the Mahasabha was named as 'Jain Swetamber Terapanthi Sabha', but after the establishment of many Terapanthi Sabhas in different regions of the country, it was renamed as 'Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha' on 30 Jan'47. It has a three-storey private building called 'Mahasabha Bhavan' at the above address, in which its head office, discourse room, auditorium, monk columnist etc. are located.
Source : https://jstmahasabha.org/