साभार ; श्री गजेंद्र नाहटा (Whatsapp ग्रुप के माध्यम से)
शनिवार, जनवरी 21, 2023
सुविचार
मंगलवार, जनवरी 17, 2023
नैतिकता से महके मानव जीवन - आचार्य महाश्रमण
फलसुंडवासियों पर बरसी गुरुकृपा, एक दिवस पूर्व ही युगप्रधान का मंगल पदार्पण
18 कि.मी. प्रलम्ब विहार कर मुख्यमुनि की जन्मस्थली फलसुंड पधारे ज्योतिचरण
17.01.2023, मंगलवार, फलसुंड, जैसलमेर (राजस्थान), मंगलवार का दिन आज फलसुंडवासियों के लिए मंगल ही मंगल लेकर आया। जब युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का निर्धारित दिवस से एक दिन पूर्व ही फलसुंड में धवल सेना संग पावन पदार्पण हुआ तो वर्षों से आराध्य के आगमन को प्रतीक्षारत श्रद्धालु श्रावक–श्राविकों का हर्ष हिलोरे लेने लगा। तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने आज प्रातः जाखड़ ग्राम से मंगल विहार किया। 5-6 डिग्री सेल्सियस तापमान के सर्द मौसम में आमजन जहां घरों से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचते है, ऐसे में जनकल्याण के लिए प्रतिबद्ध गुरुदेव सदा की भांति समत्व भाव से पदयात्रा के साथ गतिमान हुए। रेतिले धोरों की मरुधरा पर बाड़मेर जिले से जैसलमेर जिले में गुरुवर का प्रवेश हुआ। लगभग 12 कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री मानासर के राजकीय विद्यालय में प्रवास हेतु पधारे। इस दौरान ग्रामवासियों से श्रद्धा भावों से शांतिदूत का स्वागत किया।
पूर्व निर्धारित यात्रा पथ के अनुसार धवल सेना का फलसुंड पदार्पण 18 जनवरी को संभावित था, किन्तु फलसुंडवासियों की तीव्र भावना एवं भक्ति भाव भरे निवेदन पर गुरुदेव ने स्वीकृति प्रदान की और मुख्यमुनि श्री महावीरकुमार जी की जन्मभूमि फलसुंड पर अनुग्रह कर आज ही पधारने की घोषणा की। लगभग 10 वर्ष पूर्व सन् 2012 में आचार्यश्री महाश्रमण फलसुंड में पधारे थे उस समय चार दिवसीय प्रवास यहां प्रदान किया था। तब मुख्यमुनि सामान्य मुनि अवस्था में थे। वर्तमान में मुख्यमुनि बनने के पश्चात अपनी जन्मभूमि पर आचार्यप्रवर के साथ उनका प्रथम बार यह आगमन हुआ है। एक दिवसीय अतिरिक्त प्रवास पाकर क्षेत्रवासियों का उल्लास द्विगुणित हो गया। मध्याह्न में लगभग 6 कि.मी. का विहार कर आचार्यप्रवर फलसुंड में श्री सवाईचंदजी कोचर के निवास स्थान पर रात्रि प्रवास हेतु पधारे।
मंगल प्रवचन में उद्बोधन देते हुए आचार्यश्री ने कहा- दुनियां में अनेक प्रकार के पाप बताए गए हैं। जैन धर्म में 18 प्रकार के पापों का वर्णन आता है। जिनमें अदत्तादान पाप तीसरा पाप है। अदत–आदान अर्थात जो नहीं दिया गया उसको लेना, चोरी करना। पराया धन तो धूलि के समान होता है। व्यक्ति को किसी दूसरे की वस्तु को हडपने का प्रयास नहीं करना चाहिए। साधु महाव्रती होते है उनके सर्व प्रकार की चोरी का त्योग होता है। गृहस्थ भी बड़ी चोरी से बचने का प्रयास करे और जितना संभव हो सूक्ष्म चोरी से भी बचे। जीवन में ईमानदारी, नैतिकता की सौरभ से महके यह जरुरी है।
शांतिदूत ने एक कथा के माध्यम से प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि चोरी के दो मुख्य कारण हो सकते है - अभाव और लोभ। बेरोजगारी, अभाव, गरीबी में आकर व्यक्ति चोरी की दिशा में बढ सकता है। इसी प्रकार लालच भी चोरी का एक बड़ा कारण है। व्यक्ति इन सबसे बचने का प्रयास करे। मनोबल के द्वारा और साधु, संतों की संगति में त्याग आदि ग्रहण कर व्यक्ति अदत्तादान पाप से बच सकता है।
कार्यक्रम में आचार्यप्रवर की प्रेरणा से ग्रामवासियों ने नैतिकता एवं नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। फलसुंड की ग्रामीण बहनो ने गीत के द्वारा अपनी भावनाएं रखी।
गुरुवार, जनवरी 12, 2023
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में आयोजित हुआ जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन
बालोतरा। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा स्थानीय न्यू तेरापंथ भवन में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी के सानिध्य में जीवन विज्ञान विद्यार्थी सम्मेलन का आयोजन किया गया। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने फरमाया कि विद्यार्थियों को तीन बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है - सद्भावना, नैतिकता और नशा मुक्ति। इनका निरंतर विकास होता रहे। विशेषकर विद्यार्थी नशे से दूर रहे एवं जीवन में अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों की पालना करते हुए अपने जीवन को पवित्र बनाने का अभ्यास करें।
कार्यक्रम में मुनि श्री योगेश कुमार जी ने प्रेरणा देते हुए फरमाया विद्यार्थी प्रतिदिन जीवन विज्ञान के प्रयोग कर अपने जीवन को ऊर्जावान बना सकते हैं। मुनि श्री ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान के प्रयोग करवाए। श्वासप्रेक्षा, महाप्राण ध्वनि एवं मंत्र उच्चारण करवाए गए।
कार्यक्रम में मुनि श्री मनन कुमार जी का भी उपस्थित थे। अणुव्रतसेवी एवं राज्य प्रभारी श्री ओम जी बांठिया ने बताया कि बालोतरा के आसपास के क्षेत्रों में अणुव्रत समिति द्वारा जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया। अणुव्रत समिति बालोतरा द्वारा शहर की दीवारों पर अणुव्रत आन्दोलन, जीवन विज्ञान एवं नशा मुक्ति के स्लोगन पेंटिंग किए गए। इस कार्यक्रम में तुलसी किड्स स्कूल, शांति निकेतन स्कूल, नवकार विद्या मंदिर, राजकीय उच्च बालिका विद्यालय एवं वर्धमान स्कूल आदि विद्यालय के प्राचार्य एवं लगभग 500 विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। समिति द्वारा विद्यालय प्राचार्य को आचार संहिता के फोल्डर भेंट किए गए। कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में ओसवाल समाज अध्यक्ष श्री शांतिलाल जी डागा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री धनराज जी ओस्तवाल एवं तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुव्रत समिति आदि सभी के पदाधिकारी व सदस्यगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन एवं आभार अणुव्रत समिति मंत्री सुरेश बागमार ने किया।
मंगलवार, दिसंबर 20, 2022
भौतिकता पर रहे आध्यात्मिकता का अंकुश : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
20.12.2022, मंगलवार, कुड़ी, जोधपुर (राजस्थान), जनकल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में कांकाणी से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री लगभग सोलह किलोमीटर का प्रलम्ब विहार कर कुड़ी स्थित जिनेट प्रा. लि. में पधारे तो जोधपुर के श्रद्धालुओं व जिनेट आफिस के कार्यकर्ताओं ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने जिनेट के परिसर में श्रद्धालुओं को पावन पाथेय प्रदान कर अल्पकालीन प्रवास पुनः भक्तों की भावनाओं को देखते हुए सान्ध्यकालीन विहार किया। आचार्यश्री श्रद्धालुओं पर आशीषवृष्टि करते हुए लगभग छह किलोमीटर का सान्ध्यकालीन विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर नम्बर दो में स्थित श्री मर्यादा कोठारी के निवास स्थान में पधारे। जहां नगरवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ। श्रद्धालुओं की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने एक दिन में कुल लगभग 22 किलोमीटर का विहार किया।
जिनेट में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को अपनी अमृतवाणी से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में 16वें तीर्थंकर भगवान शांतिनाथ ने एक ही जन्म में भौतिक जगत के सबसे सर्वोच्च पद चक्रवर्ती को भी प्राप्त किया और भौतिक जगत का परित्याग किया तो अध्यात्म जगत के सर्वोच्च पद तीर्थंकर पद को भी प्राप्त कर लिया। अध्यात्म के समक्ष भौतिकता की बात बौनी-सी बात होती है। गृहस्थ के पास संपदा का भण्डार हो सकता है, किन्तु संयम रत्न के समक्ष उसकी समस्त सम्पदाएं मानों तुक्ष-से होते हैं। धन तो इसी जीवन में उपयोेग में आ सकता है, किन्तु संयम रूपी रत्न आगे भी काम आ सकता है।
गृहस्थों को भौतिक संपदाओं के विकास पर अध्यात्मिकता का अंकुश लगाए रखने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ जीवन को चलाने के लिए भौतिक विकास की आवश्यकता होती है, किन्तु संपदा के अर्जन में नैतिकता, प्रमाणिकता रहे, तो संपदा के अर्जन में अध्यात्म का अंकुश रह सकता है। अर्थाजन में अहिंसा, संयम और प्रमाणिकता रहे तो शुद्धता की बात हो सकती है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी ने भी जनता को अभिप्रेरित किया।
आचार्यश्री के आगमन से हर्षित जिनेट के ऑनर श्री सुरेन्द्र पटावरी (बेल्जीयम) व श्री संदीप पटावरी ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। जिनेट ऑफिस की महिला टीम व राकेश सुराणा के नेतृत्व में पुरुष टीम ने स्वागत गीत का संगान किया। सुश्री खुशी चौपड़ा व श्रीमती मनोनिका चोरड़िया ने भी अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। ऑफिस के सदस्यों ने आचार्यश्री से कार्यालय समय के दौरान आधा घण्टा तक मोबाइल का यूज न करने का संकल्प स्वीकार किया।
प्रलम्ब विहार, मंगल प्रवचन के बाद भी भक्तों की भावनाओं को स्वीकार करते हुए अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अल्पसमय का विश्राम कर पुनः सान्ध्यकालीन विहार को गतिमान हुए। आचार्यश्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालुओं की विशाल उपस्थिति से अनायास ही भव्य जुलूस-सा दृश्य उपस्थित हो गया। आचार्यश्री लगभग छह किलोमीटर का विहार कर कुड़ी भक्तासिनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर दो में स्थित कोठारी परिवार के निवास स्थान में पधारे, जहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।
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रविवार, दिसंबर 04, 2022
मातृभाषा के प्रति हम कितने जागरूक
हम आपाधापी की दौड़ में अपने को अपडेट बताने के चक्कर में क्या कही हिंदी भाषा को हीन तो नही समझ रहें?