मंगलवार, जुलाई 25, 2023
समस्याओं में भी बनी रहे प्रसन्नता : अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण
रविवार, मई 21, 2023
"चिट्ठी ले लीजिये।"
आंखो में आंसु आ गए पढ़ करएक दिन एक बुजुर्ग डाकिये ने एक घर के दरवाजे पर दस्तक देते हुए कहा..."चिट्ठी ले लीजिये।"
आवाज़ सुनते ही तुरंत अंदर से एक लड़की की आवाज गूंजी..." अभी आ रही हूँ...ठहरो।"
लेकिन लगभग पांच मिनट तक जब कोई न आया तब डाकिये ने फिर कहा.."अरे भाई! कोई है क्या, अपनी चिट्ठी ले लो...मुझें औऱ बहुत जगह जाना है..मैं ज्यादा देर इंतज़ार नहीं कर सकता....।"
लड़की की फिर आवाज आई...," डाकिया चाचा , अगर आपको जल्दी है तो दरवाजे के नीचे से चिट्ठी अंदर डाल दीजिए,मैं आ रही हूँ कुछ देर औऱ लगेगा ।
" अब बूढ़े डाकिये ने झल्लाकर कहा,"नहीं,मैं खड़ा हूँ,रजिस्टर्ड चिट्ठी है,किसी का हस्ताक्षर भी चाहिये।"
तकरीबन दस मिनट बाद दरवाजा खुला।
डाकिया इस देरी के लिए ख़ूब झल्लाया हुआ तो था ही,अब उस लड़की पर चिल्लाने ही वाला था लेकिन, दरवाजा खुलते ही वह चौंक गया औऱ उसकी आँखें खुली की खुली रह गई।उसका सारा गुस्सा पल भर में फुर्र हो गया।
उसके सामने एक नन्ही सी अपाहिज कन्या जिसके एक पैर नहीं थे, खड़ी थी।
लडक़ी ने बेहद मासूमियत से डाकिये की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाया औऱ कहा...दो मेरी चिट्ठी...।
डाकिया चुपचाप डाक देकर और उसके हस्ताक्षर लेकर वहाँ से चला गया।
वो अपाहिज लड़की अक्सर अपने घर में अकेली ही रहती थी। उसकी माँ इस दुनिया में नहीं थी और पिता कहीं बाहर नौकरी के सिलसिले में आते जाते रहते थे।
उस लड़की की देखभाल के लिए एक कामवाली बाई सुबह शाम उसके साथ घर में रहती थी लेकिन परिस्थितिवश दिन के समय वह अपने घर में बिलकुल अकेली ही रहती थी।
समय निकलता गया।
महीने ,दो महीने में जब कभी उस लड़की के लिए कोई डाक आती, डाकिया एक आवाज देता और जब तक वह लड़की दरवाजे तक न आती तब तक इत्मीनान से डाकिया दरवाजे पर खड़ा रहता।
धीरे धीरे दिनों के बीच मेलजोल औऱ भावनात्मक लगाव बढ़ता गया।
एक दिन उस लड़की ने बहुत ग़ौर से डाकिये को देखा तो उसने पाया कि डाकिये के पैर में जूते नहीं हैं।वह हमेशा नंगे पैर ही डाक देने आता था ।
बरसात का मौसम आया।
फ़िर एक दिन जब डाकिया डाक देकर चला गया, तब उस लड़की ने,जहां गीली मिट्टी में डाकिये के पाँव के निशान बने थे,उन पर काग़ज़ रख कर उन पाँवों का चित्र उतार लिया।
अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते मंगवाकर घर में रख लिए ।
जब दीपावली आने वाली थी उससे पहले डाकिये ने मुहल्ले के सब लोगों से त्योहार पर बकसीस चाही ।
लेकिन छोटी लड़की के बारे में उसने सोचा कि बच्ची से क्या उपहार मांगना पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ।
साथ ही साथ डाकिया ये भी सोंचने लगा कि त्योहार के समय छोटी बच्ची से खाली हाथ मिलना ठीक नहीं रहेगा।बहुत सोच विचार कर उसने लड़की के लिए पाँच रुपए के चॉकलेट ले लिए।
उसके बाद उसने लड़की के घर का दरवाजा खटखटाया।
अंदर से आवाज आई...." कौन?
" मैं हूं गुड़िया...तुम्हारा डाकिया चाचा ".. उत्तर मिला।
लड़की ने आकर दरवाजा खोला तो बूढ़े डाकिये ने उसे चॉकलेट थमा दी औऱ कहा.." ले बेटी अपने ग़रीब चाचा के तरफ़ से "....
लड़की बहुत खुश हो गई औऱ उसने कुछ देर डाकिये को वहीं इंतजार करने के लिए कहा..
उसके बाद उसने अपने घर के एक कमरे से एक बड़ा सा डब्बा लाया औऱ उसे डाकिये के हाथ में देते हुए कहा , " चाचा..मेरी तरफ से दीपावली पर आपको यह भेंट है।
डब्बा देखकर डाकिया बहुत आश्चर्य में पड़ गया।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे।
कुछ देर सोचकर उसने कहा," तुम तो मेरे लिए बेटी के समान हो, तुमसे मैं कोई उपहार कैसे ले लूँ बिटिया रानी ?
"लड़की ने उससे आग्रह किया कि " चाचा मेरी इस गिफ्ट के लिए मना मत करना, नहीं तो मैं उदास हो जाऊंगी " ।
"ठीक है , कहते हुए बूढ़े डाकिये ने पैकेट ले लिया औऱ बड़े प्रेम से लड़की के सिर पर अपना हाथ फेरा मानो उसको आशीर्वाद दे रहा हो ।
बालिका ने कहा, " चाचा इस पैकेट को अपने घर ले जाकर खोलना।
घर जाकर जब उस डाकिये ने पैकेट खोला तो वह आश्चर्यचकित रह गया, क्योंकि उसमें एक जोड़ी जूते थे। उसकी आँखें डबडबा गई ।
डाकिये को यक़ीन नहीं हो रहा था कि एक छोटी सी लड़की उसके लिए इतना फ़िक्रमंद हो सकती है।
अगले दिन डाकिया अपने डाकघर पहुंचा और उसने पोस्टमास्टर से फरियाद की कि उसका तबादला फ़ौरन दूसरे इलाक़े में कर दिया जाए।
पोस्टमास्टर ने जब इसका कारण पूछा, तो डाकिये ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और भीगी आँखों और रुंधे गले से कहा, " सर..आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस छोटी अपाहिज बच्ची ने मेरे नंगे पाँवों को तो जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा ?"
इतना कहकर डाकिया फूटफूट कर रोने लगा ।
साभार : https://www.facebook.com/groups/Loverkarma/permalink/1227085751336088/?mibextid=Nif5oz
गुरुवार, मई 11, 2023
रविवार, अप्रैल 16, 2023
मंगलवार, अप्रैल 04, 2023
भगवान महावीर के उपदेश समग्र मानव जाति के लिए कल्याणकारी है - मुनि उदित कुमार
अहिंसा के अग्रदूत भगवान महावीर का 2622 वें जन्म कल्याणक दिवस मुनिश्री उदित कुमार जी के सान्निध्य में उधना में आयोजित हुआ। इस अवसर पर उधना में जैनों के चारों संप्रदाय द्वारा भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें चारों संप्रदाय के श्रावक श्राविकाओं ने विशाल संख्या में भाग लिया। रैली महावीर भवन उधना से शुरू होकर आचार्य तुलसी मार्ग, आचार्य तुलसी सर्कल, उधना मैन रोड,चन्दनवन सोसाइटी होते हुए तेरापंथ भवन उधना में धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हुई।
मुनि श्री उदित कुमार जी ने अपने उद्बोधन में फरमाया- भगवान महावीर ने सभी को अहिंसा का उपदेश दिया। भगवान महावीर ने कहा कोई ऊंचा नहीं होता कोई नीचा नहीं होता। सभी जीव एक समान होते हैं, इसलिए हमें सभी से समान व्यवहार करना चाहिए। सभी को अपना जीव प्यारा लगता है । किसी को सताना नहीं चाहिए। भगवान महावीर ने हमें कर्मवाद का सिद्धांत दिया। मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भोगना पड़ता है व्यक्ति किसी का अहित चिंता ना करें। भगवान महावीर के उपदेश आज के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत मुनि श्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ हुई। तत्पश्चात उधना महिला मंडल, स्थानकवासी महिला मंडल और तेरापंथ भजन मंडली द्वारा गीतों की प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा सुंदर नाटिका की प्रस्तुति की गई। सभा अध्यक्ष श्री बसंतीलाल नाहर ने स्वागत वक्तव्य में आए हुए सभी मेहमानों का स्वागत किया। स्थानकवासी संप्रदाय से महामंत्री श्री राजू भाई दानी ने भी अपने भावों की प्रस्तुति दी। मुनि श्री अनंत कुमारजी ने अपने प्रासंगिक विचार रखे। मुनि श्री रम्य कुमार जी ने सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उधना क्षेत्र के विधायक श्री मनु भाई पटेल, स्टैंडिंग चेयरमैन श्री परेश भाई पटेल,स्लम चेयरमैन श्री दिनेश राजपुरोहित, पीएसी रेलवे कमेटी मेंबर श्री छोटू भाई पाटिल, नगरसेवक श्री दीनानाथ महाजन, नगर सेविका श्रीमती उर्मिला त्रिपाठी,पूर्व नगरसेवक श्री प्रकाश भाई देसाई, श्री मूलजीभाई ठक्कर, श्री शैलेंद्र त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री श्री सुरेश चपलोत ने किया। आभार ज्ञापन श्री संजय बोथरा ने किया।