गुरुवार, मई 06, 2021

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ ।


जन-जन है डरा हुआ,

हर मन है घुटन से भरा हुआ ।

आशा की नव किरण जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ....


नकारात्मकता फैली है चहुँ ओर,

मृत्यु का भय फैला हर ओर ।

आत्म विजय का पाठ पढ़ाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


तन की "इम्युनिटी" हुई है क्षीण,

हर मन हुआ है जीर्ण - शीर्ण ।

प्रेक्षा से प्रज्ञा को जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हिंसा का तांडव है फैला,

प्रेम भाव मानव है भुला ।

अहिंसा का नव अभियान चलाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


जीवन जीना, पर कैसे जीना ?

कैसे चलना, सोना, खाना ? 

जीने का विज्ञान सिखाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


महाप्रयाण दिवस द्वादश है आया,

सरदारशहर समाधि स्थल मन भाया ।

जन जन को "पावन" दर्श दिराने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ .....


श्री पवन फुलफगर, सूरत - लाडनूँ की भावपूर्ण प्रस्तुति तेरापंथ के दशमाधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के द्वादशम महाप्रयाण दिवस की पूर्व संध्या पर।

बुधवार, अप्रैल 21, 2021

नोट लेकर आया था खोट देकर गया


21/4/2021, विहार के मध्य आज श्रद्धा-भक्ति का अनूठा दृश्य देखने को मिला। पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जब विहार करा रहे थे तभी सामने से आता एक ट्रक सहसा शांतिदूत के समक्ष रुक गया और उसमें से ट्रक ड्राइवर ने उतरकर गुरुदेव को कुछ रुपए भेंट करने चाहे। जब उसे साधुचर्या के बारे में बताया गया कि जैन साधु रूपए-पैसे आदि नहीं लेते तब वह विस्मित हो उठा। आचार्यश्री की प्रेरणा से उसने शराब आदि नशे को छोड़ते हुए नशामुक्ति की भावना व्यक्त की। शांतिदूत के चरणों में नोट चढ़ाने आया वह व्यक्ति मानों अपने जीवन की खोट चढ़ा गया।

Fwd & Received

सोमवार, मार्च 22, 2021

मार्च एन्डिंग में जांचे स्वयं के जीवन की बैलेंस शीट


इस मार्च एन्डिंग में जीवन की बैलेंस शीट जांचने की इच्छा हुई तो पाया कि प्रेम, स्नेह, आत्मीयता, भाईचारा, कर्तव्यनिष्ठा के खाते ही गायब हैं।

मन के 'मुनीम' से पूछा तो वो बोला - सर  जी, वर्षो से इनके साथ कोई लेनदेन हुआ ही नहीं।।।
  
ना जाने कितने रिश्ते, ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं ही सही हूँ, और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ...!!

हम सभी के साथ कही ना कही ऐसा हो रहा है। हम भी अपना बेलेंसशिट चेक करे कही हम मैं के खातिर हम को तो नहीं भूल रहें। मैं एक अंगुली जैसी होती है और हम मुट्ठी जैसी। एकता मुट्ठी में ही होती है। अब समय है रिश्तों को सुधारने का सबके साथ वैचारिक मतभेद दूर करने का, आपसी सम्बन्ध व्यवस्थित करने का क्योकि रिश्ते बनाते सालों बीत जाते है पर टूट एक पल में जाते है क्योकि दिल तो बच्चा है जी वैसे बच्चा सरल होने के साथ साथ चंचल भी होता है।

पंकज नाम में जल व कीचड़ का योग मिलता है और कहते है कीचड़ में रहते हुए भी वो कीचड़ से निर्लिप्त रहता है। हम आज विश्व जल दिवस के अवसर पर संकल्पित हो की हम द्वेष रूपी कीचड़ से ऊपर उठकर जल रूपी पवित्र जीवन जिए क्योकि जल है तो जीवन है वैसे ही पवित्रता है, विश्वास है, मधुरता है तो जीवन अमृतमय बन जाता है।

अग्रेषित Whatsapp सन्देश साथ मेरे भावों के समावेश पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें - पंकज दुधोडिया

शुक्रवार, जनवरी 29, 2021

Kayotsarg means, "abandoning the body" - Acharya Mahapragya

All humans have strong attachments to material things, and in fact, to their body. Strong attachments are a significant obstacle in practicing meditation. Attachments can make it difficult to take even the first step of meditation, called Kayotsarg. Kayotsarg means, "abandoning the body". 


There is a technique very similar to kayotsarg in Hindu tradition of Hathyoga called shavaasan. There are simi|arities and differences between Hathyoga’s shavaasan and Jain tradition’s kayotsarg. Therefore, readers who have heard about shavaasan should not assume that kayotsarg and shavaasan are the same. In shavaasan one concentrates on relaxing the body, whereas in kayotsarg one not only makes the body relaxed but goes beyond the body to experience the separateness of body and soul and detachment from the body (mamatva visarjan).


 This is a profound realization of seeing the soul as different from the body, and is known by a technical term in Jain philosophy called bhed-vigyaan (Le. the science of differentiation between the soul and the body). To completely achieve the state of kayotsarg it is essential to use bhed vigyaan, the science of differentiation. 


~ Acharya Mahapragya


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साभार : Preksha Meditation

सोमवार, नवंबर 02, 2020

गायन, चित्रकला, भाषण और लेखन प्रतियोगिताओं का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन शीघ्र

अणुव्रत आंदोलन द्वारा नई पीढ़ी के नव निर्माण की अनूठी पहल

नई पीढ़ी में रचनात्मकता और सकारात्मकता के विकास को केन्द्र में रख कर अणुव्रत आन्दोलन की प्रतिनिधि संस्था अणुव्रत विश्व भारती द्वारा पूरे देश में अणुव्रत क्रिएटिविटी कॉन्टेस्ट के नाम से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। गायन, चित्रकला, भाषण और कविता व निबन्ध लेखन जैसी रचनात्मक विधाओं में होने वाली इन प्रतियोगिताओं में तीन वर्गों में कक्षा 3 से 12 तक के बच्चे भाग ले सकेंगे। प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए शीघ्र ही वेबसाइट और ऐप लॉन्च किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इनमें से कुछ प्रतियोगिताएं पिछले 25 वर्षों से आयोजित की जा रही हैं लेकिन कोरोना जनित परिस्थितियों के चलते पहली बार इन्हें ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आयोजित किया जा रहा है।


अणुविभा के अध्यक्ष श्री संचय जैन ने बताया कि ये प्रतियोगिताएं पूर्णतः ऑनलाइन आयोजित होंगी जिसमें बच्चे अपनी स्कूल के माध्यम से अथवा सीधे भी पंजीकरण करवा कर अपनी प्रविष्ठि अपलोड कर सकेंगे। प्रतियोगियों में बिना किसी जाति, धर्म, वर्ग या लैंगिक भेदभाव के कक्षा 3 से 12 का कोई भी बच्चा भाग ले सकेगा और यह पूर्णतः निशुल्क होगी। शहर व जिला स्तर पर ई प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे एवं राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ प्रतियोगियों को चुना जाएगा और उन्हें पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। प्रतियोगिताओं का मुख्य विषय है - "कोरोना वैश्विक संकट : प्रभाव, समाधान और अवसर" जिसके अन्तर्गत दिए गए अनेक उप विषयों में से बच्चे अपनी पसन्द के विषय पर प्रस्तुति दे सकेंगे।


उल्लेखनीय है कि 7 दशक पूर्व महान संत आचार्य तुलसी द्वारा प्रवर्तित अणुव्रत आंदोलन मानवीय मूल्यों के संवर्द्धन के लिए अपने बहुआयामी रचनात्मक प्रकल्पों के माध्यम से निरन्तर प्रयासशील है। अणुव्रत दर्शन की यह मान्यता है छोटे-छोटे व्रत स्वीकार कर व्यक्ति स्वयं को सकारात्मक दिशा में अग्रसर कर सकता है और सुधरे व्यक्ति से ही समाज, राष्ट्र और विश्व सुधर सकता है। वर्तमान में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण इस आन्दोलन को आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं और अहिंसा यात्रा के रूप में हजारों किलोमीटर की पदयात्राएं करके जन-जन को नैतिकता, सद्भावना और नशामुक्ति का संदेश दे रहे हैं। 


नई पीढ़ी का संस्कार निर्माण अणुव्रत आंदोलन की प्रमुख प्रवृत्तियों में शामिल रहा है और अणुव्रत विश्व भारती का राजसमंद स्थित मुख्यालय चिल्ड्रन'स पीस पैलेस बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक प्रयोगशाला है जहां कुछ दिन बीता कर ही बच्चे अपने आप को रूपांतरित अनुभव करते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा प्रणीत जीवन विज्ञान पाठ्यक्रम नई पीढ़ी के नव निर्माण का सशक्त माध्यम है जिसके माध्यम से लाखों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं।


श्री जैन ने बताया कि प्रतियोगिता में भाग लेने के इच्छुक स्कूल और बच्चों के लिए शीघ्र ही वेबसाइट का लिंक शेयर किया जाएगा। प्रतियोगिता की तैयारियों के लिए अणुविभा की केंद्रीय टीम में अध्यक्ष श्री संचय जैन के अलावा वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अविनाश नाहर, महामंत्री श्री राकेश नौलखा, मंत्री श्री प्रकाश तातेड, सह मंत्री श्री जय बोहरा प्रतियोगिताओं के राष्ट्रीय संयोजक श्री रमेश पटावरी एवं लगभग 150 से अधिक जोनल, राज्य एवं स्थानीय संयोजकों की टीम दिन रात तैयारियों में जुटी है। श्री विमल गुलगुलिया के तकनीकी सहयोग से प्रतियोगिता के लिए वेबसाइट एवं ऐप तैयार किया गया है।