रविवार, अगस्त 08, 2021

Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha


Let's know about Jain 
Swetamber Terapanthi Mahasabha

Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha is the oldest apex and national institution of Terapanth Religion and Society. It was established on 28 October 1913 in Kolkata. Its registered head office is at 3, Pochugese Church Street, Kolkata 700001.

Initially the Mahasabha was named as 'Jain Swetamber Terapanthi Sabha', but after the establishment of many Terapanthi Sabhas in different regions of the country, it was renamed as 'Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha' on 30 January 1947. It has a three-storey private building called 'Mahasabha Bhavan' at the above address, in which its head office, discourse room, worship room, auditorium, monk columnist etc. are located.Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha is the oldest apex and national institution of Terapanth Religion and Society. It was established on 28 Oct'13 in Kolkata. Its registered head office is at 3, Pochugese Church Street, Kolkata 700001. Initially the Mahasabha was named as 'Jain Swetamber Terapanthi Sabha', but after the establishment of many Terapanthi Sabhas in different regions of the country, it was renamed as 'Jain Swetamber Terapanthi Mahasabha' on 30 Jan'47. It has a three-storey private building called 'Mahasabha Bhavan' at the above address, in which its head office, discourse room, auditorium, monk columnist etc. are located.


Source : https://jstmahasabha.org/


AKHIL BHARTIYA TERAPANTH YUVAK PARISHAD


Let's know about AKHIL BHARTIYA Terapanth Yuvak Parishad


The Akhil Bhartiya Terapanth Yuvak Parishad is a youth forum that unites the Terapanthi youth from the age of 21 to 45 the world over. The formation of this organisation was due to the vision and able efforts of Acharya Shri Tulsi. It was his thinking that has led to this strong and rooted forum of Terapanthi youth. This organisation has a huge following of over 40000 youth across the world. The ABTYP has its wings spread all across the country with more than 325 branches which execute the vision of the present 11th Acharya of Terapanth His Holiness Acharya Shri Mahashramanji.

The vision of ABTYP is to generate opportunities and chances for the youth so that they can interact with the world. The organisation helps in strengthening the moral values of youth by creating opportunities to serve other people, state and nation through its various programmes, to network amongst themselves so that all can grow and a win-win scenario gets promoted and to inculcate in themselves the value of following the Jain philosophy. All this creates a platform for the youth from where the world see them as responsible citizens of the world.

ABTYP follows a missionary vision strategy wherein the missions are so aligned that the vision will only be achieved if the missions are followed well. Here the vision is the outcome of the missions. The first mission being that of service. The ABTYP pledges itself for the service of mankind and humanity. Under its service mission ABTYP runs and manages activities of social causes like Blood Donation Drives, Eye Check Up and Medical Check Up camps, De Addiction Programmes, helping the needy by timely distribution of needy things free of cost, setting up of pathology labs, giving services on days of national importance to the nation at large, supporting in times of national grief and natural calamities etc.

By its mission of empowerment the ABTYP pledges to empower the youth by inculcating the values of Jainism and Terapanth to the roots by way of having regular training and teaching camps and programmes. Inviting their services during the Chaturmas is another way of involving the youth to the philosophy of Humanity. Regular Meditation by means of Preksha Dhyan, Science of living (Jeevan Vigyan programmes), etc. are the ways in which empowerment of values in the youth is carried out. The mission of strengthening is basically to promote the feeling of fellowship among youth and enroute achieve a great network of Terapanthi youth all over the world. Facilities like encouragement to higher studies, hostel facilities in urban areas, talent hunt programmes,conducting seminars for personality and business development are the means by which the empowerment is generated in the youth and networking is promoted among them so that a youth is never out of resource and the hormonal links are established among the youth. Thus ABTYP intends to be a window of opportunities for the youth to interface with the world.

The aim is so set that the Objective of GOAL 2020 be achieved. GOAL 2020 – to become the largest NGO of youth in India. This have to be achieved by running development programmes as the following:

  • Brand Development
  • Image Development
  • Structure Development
  • Society Registration 588/83-84 Dt. 30/03/1984
  • NGO unique ID DL/2012/0048117

Source : www.abtyp.com

शुक्रवार, अगस्त 06, 2021

भीतर का "मैं" का मिटना ज़रूरी है...



सुकरात समुन्द्र तट पर टहल रहे थे| उनकी नजर तट पर खड़े एक रोते बच्चे पर पड़ी |

वो उसके पास गए और प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेरकर पूछा , -''तुम क्यों रो रहे हो?''

लड़के ने कहा- 'ये जो मेरे हाथ में प्याला है मैं उसमें इस समुन्द्र को भरना चाहता हूँ पर यह मेरे प्याले में समाता ही नहीं |''

बच्चे की बात सुनकर सुकरात विस्माद में चले गये और स्वयं रोने लगे |

अब पूछने की बारी बच्चे की थी |

बच्चा कहने लगा- आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आपका प्याला कहाँ है?'


सुकरात ने जवाब दिया- बालक, तुम छोटे से प्याले में समुन्द्र भरना चाहते हो,और मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जानकारी भरना चाहता हूँ |


आज तुमने सिखा दिया कि समुन्द्र प्याले में नहीं समा सकता है , मैं व्यर्थ ही बेचैन रहा |''


यह सुनके बच्चे ने प्याले को दूर समुन्द्र में फेंक दिया और बोला- "सागर अगर तू मेरे प्याले में नहीं समा सकता तो मेरा प्याला तो तुम्हारे में समा सकता है |"इतना सुनना था कि सुकरात बच्चे के पैरों में गिर पड़े और बोले-

"बहुत कीमती सूत्र हाथ में लगा है|


हे परमात्मा ! आप तो सारा का सारा मुझ में नहीं समा सकते हैं पर मैं तो सारा का सारा आपमें लीन हो सकता हूँ |"


ईश्वर की खोज में भटकते सुकरात को ज्ञान देना था तो भगवान उस बालक में समा गए |

सुकरात का सारा अभिमान ध्वस्त कराया | जिस सुकरात से मिलने के सम्राट समय लेते थे वह सुकरात एक बच्चे के चरणों में लोट गए थे |


ईश्वर जब आपको अपनी शरण में लेते हैं तब आपके अंदर का "मैं " सबसे पहले मिटता है |


या यूँ कहें....जब आपके अंदर का "मैं" मिटता है तभी ईश्वर की कृपा होती है |



साभार : टेलीग्राम लिंक👇🏻

https://t.me/joinchat/RD6z0BzLAXlkQdBaWCQhFQ


रविवार, जुलाई 18, 2021

लोकतंत्र में अगर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन नहीं तो देश का विकास नहीं हो सकता - आचार्य महाश्रमण

 चातुर्मास हेतु शांतिदूत का ऐतिहासिक मंगल प्रवेश

भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्य का प्रथम चातुर्मास

स्वागत में पहुंचे पंजाब के राज्यपाल सहित अनेक गणमान्य


18 जुलाई 2021, रविवार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा, राजस्थान, तेरापंथ नगर आदित्य विहार, प्रातः 09 बज कर 21 मिनट पर जैसे ही शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने महाश्रमण सभागार में चातुर्मास हेतु मंगल प्रवेश किया पूरा वातावरण 'जय जय ज्योतिचरण - जय जय महाश्रमण' के जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। हर ओर श्रद्धा-भक्ति का अनूठा दृश्य दिखाई दे रहा था। वस्त्र नगरी भीलवाड़ा में आचार्यश्री का यह चातुर्मास प्रवेश अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक रहा। भीलवाड़ा में तेरापंथ के आचार्यों का यह पहला चातुर्मास है। आचार्य श्री के साथ भी प्रथम बार 200 से अधिक साधु-साध्वियां चातुर्मास में है। देश- विदेश की हजारों किलोमीटर पदयात्रा संपन्न कर मेवाड़ पधारे गुरुवर के स्वागत में सभी में उत्साह-उमंग की नई लहर छाई हुई है।


प्रशासनिक दिशा-निर्देश एवं कोविद गाइडलाइन के मद्देनजर प्रवेश जुलूस का आयोजन नहीं रखा गया था। साधु-साध्वियों की धवल पंक्ति के मध्य आचार्य प्रवर को मंगल प्रवेश करता देख सभी श्रद्धानत थे। भीलवाड़ा वासियों का वर्षों पूर्व देखा गया स्वप्न आज साकार हो गया, ऐसा लग रहा था मानो भीलवाड़ा शहर महाश्रमणमय बन गया हो।


स्वागत समारोह में आचार्य प्रवर ने कहा- इस संसार में जब मंगल की बात आती है तो कई चीजों का नाम आ सकता है। कोई मुहूर्त आदि को मंगल मानता है, तो कहीं गुड़, नारियल आदि को भी मंगल माना जाता है, परंतु ये सब उत्कृष्ट मंगल नहीं है। धर्म ही उत्कृष्ट मंगल होता है। धर्म साथ में है तो फिर सदा मंगल है।अहिंसा, संयम, तप ये धर्म के लक्षण हैं। जीवन में अगर ये है, तो मानो धर्म है, अध्यात्म है। अहिंसा एक ऐसा तत्व है जो लोक में सबके लिए क्षेमंकरी है, कल्याणकारी है। आज समाज, राजनीति में भी अहिंसामय नीति होनी चाहिए। लोकतंत्र हो या राजतंत्र दोनों जनता की भलाई के लिए होते हैं। किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता। अहिंसा, प्रेम-मैत्री से भी समस्या सुलझाई जा सकती है।


गुरुदेव ने प्रेरणा देते हुए आगे कहा कि- इस भारत देश में धर्मनिरपेक्षता ही नहीं पंथनिरपेक्षता भी है। सबको अपनी रुचि अनुसार धर्म करने की छूट है। भारत एक आजाद देश है, आजादी के साथ संयम, अनुशासन का होना बहुत जरूरी है। लोकतंत्र में अगर कर्तव्यनिष्ठा, अनुशासन नहीं तो देश का विकास नहीं हो सकता। साथ ही सत्ता में निस्वार्थ सेवा रूपी तप भी होना चाहिए। सत्ता में आकर अगर जनता की सेवा ना करें तो वह व्यर्थता है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म जीवन में आ जाए तो व्यक्ति अपना जीवन सार्थक कर सकता है।


चातुर्मास प्रवेश पर गुरुदेव ने कहा कि- यह चातुर्मास का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। वर्षभर यात्रा के पश्चात ये चार महीने ऐसे होते हैं जब साधु को एक स्थान पर रहना होता है। आज चातुर्मास हेतु यहां प्रवेश हुआ है। कितने ही रत्नाधिक व छोटे साधु-साध्वियां वर्षों बाद इस बार साथ में है। यहां की जनता भी जितना हो सके उतना धर्म का लाभ उठाएं। यह चातुर्मास उपलब्धिकारक रहे, मंगलकामना।


साध्वीप्रमुखा श्री कनकप्रभा जी ने उद्बोधन में कहा- आचार्यश्री एक महान यात्रा, विजय यात्रा कर यहां पधारे हैं। मेवाड़ के श्रावकों में विशिष्ट भक्ति है। चातुर्मास में सभी लक्ष्य बनाएं कि हमें गुरुवर की वाणी को आत्मसात कर जीवन में अपनाना है। यह सिर्फ भीलवाड़ा का ही नहीं पूरे मेवाड़ का चतुर्मास है।


स्वागत में पहुंचे पंजाब के राज्यपाल सहित अनेक गणमान्य

शांतिदूत के स्वागत में पंजाब के महामहिम राज्यपाल श्री वीपी सिंह बदनोर विशेष रूप से उपस्थित थे। इस अवसर पर सांसद श्री सुभाष बहेरिया, विधायक श्री रामलाल जाट, विधायक श्री विट्ठल शंकर अवस्थी, नगर परिषद चेयरमैन श्री राकेश पाठक, जिला कलेक्टर श्री शिव प्रकाश नकाते, जिला पुलिस अधीक्षक श्री विकास शर्मा, राइफल संघ के जिलाध्यक्ष श्री अभिजीत सिंह बदनोर, वरिष्ठ एडवोकेट उमेद सिंह राठौड़ आदि अनेक गणमान्य जनों ने भी आचार्य वर का अभिनंदन किया।


स्वागत करते हुए राज्यपाल श्री वीपी.सिंह बदनोर ने कहा- यह मेरा परम सौभाग्य है जो आज मेवाड़ की धरा पर मुझे आपका स्वागत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आप के प्रवचन हम सभी का मार्गदर्शन करने वाले हैं। मेरी विनती है पंजाब की धरा पर भी आप पधारे। इस चातुर्मास से पूरे देश में धर्म की ज्योति जलेगी।


कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष श्री प्रकाश सुतरिया, स्वागताध्यक्ष श्री महेंद्र ओस्तवाल, वरिष्ठ श्रावक श्री नवरतन झाबक ने अपने विचार रखे। मंच संचालन मुनि दिनेश कुमार जी व व्यवस्था समिति के महामंत्री श्री निर्मल गोखरू ने किया।

गुरुवार, मई 06, 2021

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ ।


जन-जन है डरा हुआ,

हर मन है घुटन से भरा हुआ ।

आशा की नव किरण जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ....


नकारात्मकता फैली है चहुँ ओर,

मृत्यु का भय फैला हर ओर ।

आत्म विजय का पाठ पढ़ाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


तन की "इम्युनिटी" हुई है क्षीण,

हर मन हुआ है जीर्ण - शीर्ण ।

प्रेक्षा से प्रज्ञा को जगाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


हिंसा का तांडव है फैला,

प्रेम भाव मानव है भुला ।

अहिंसा का नव अभियान चलाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


जीवन जीना, पर कैसे जीना ?

कैसे चलना, सोना, खाना ? 

जीने का विज्ञान सिखाने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ.....


महाप्रयाण दिवस द्वादश है आया,

सरदारशहर समाधि स्थल मन भाया ।

जन जन को "पावन" दर्श दिराने,

हे महाप्रज्ञ ! तुम फिर आओ .....


श्री पवन फुलफगर, सूरत - लाडनूँ की भावपूर्ण प्रस्तुति तेरापंथ के दशमाधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के द्वादशम महाप्रयाण दिवस की पूर्व संध्या पर।